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हिमांशु Kulshreshtha

लोगों के

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White लोगों के 
फरेबी चेहरे देख कर, 
जज़्बातों से रिस रहा हूँ ,
दिल और दिमाग की 
इस रस्साकशी में, 
मैं पिस रहा हूँ ...!!!!

©हिमांशु Kulshreshtha लोगों के

Bharat Bhushan pathak

#jaishriram#मंगलमंगना छंद hindi poetry poetry poetry lovers Hinduism poetry in hindi

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Jai Shri Ram १११ २,११ १२१ १२१ १२,१ २


भज रहे,निशि दिवा सब हैं वह नाम जी।

 जप सदा,जप सदा मनसे तुम राम जी।।

 मन रमे,तन रमे सुख की बरखा गिरे।

 सब रटें,सब सुनें प्रभु पीर सभी हरें।।

©Bharat Bhushan pathak #jaishriram#मंगलमंगना छंद  hindi poetry poetry poetry lovers Hinduism poetry in hindi

Ramji Tiwari

White 
विधा-मनहरण घनाक्षरी छंद 

    *मधुमास आ गया*

कूके कोयलिया बाग,गाती सुमधुर राग।
हुई धरा हरी- भरी, मधुमास आ गया।
खिले बहु सुमन हैं,भए रम्य चमन हैं। 
 लौट फिर से सुखद, अहसास आ गया।
सारे जग की स्वामिनी, वर मंगल दायिनी।
शारदा भवानी माँ का, पर्व खास आ गया।
लेके पूजा थाल हाथ,टेक तेरे दर माथ।
तुमको मनाने माता,"राम" दास आ गया।।

हर दिन करें पूजा,और नहीं काम दूजा।
मेरे प्यासे नयनों को ,दरश दिखाइए।
तप सिद्धियों की खान, अतुलित बलवान।
देके हमें वरदान,सबल बनाइए।
दे दो हमें वरदान,वाणी करें गुणगान।
निज भक्ति भाव प्रीति,हृदय जगाइए।
फैला तम चहुँ ओर,दिखे नहीं कोई छोर।
फैला पाप जग घोर,तमस मिटाइए।।

     स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                           उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #छंद
#मनहरण_घनाक्षरी_छंद 
#poem
#Spring

Ramji Tiwari

White  

 मनहरण घनाक्षरी छंद-

घर- घर उल्लास है, कोई नहीं उदास है।
बह रही चहुँ ओर,फागुनी बयार है।।
आम फूली अमराई,छाँव लगे सुखदाई।
छाया हर तन पर, रंगों का खुमार है।।
देख चहुँ हरियाली,कूँजे पिक मतवाली।
कल- कल बह रही,गंगा नदी धार है।।
झूम रहे नर नारी,देख खेत बाग- बारी।
धरा ने भी कर लिया,सोलह श्रृंगार है।।

घूम-घूम खग वृंद,गा रहे हैं गीत छंद।
खिल गई हर कली, झूम रही डाली है।।
चम-चम करें तारे, लगें मन अति प्यारे।
जगमग होती अब,रात काली-काली है।।
यौवन उमंग भरे,चोली बहु तंग करे।
इठलाती फिर रही,गोरी मतवाली है।।
मल गई रंग गाल,आई न समझ चाल।
बड़ी नटखट मेरे,भैया जी की साली है।।

     स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                           उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #Spring 
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#छंद 
#Festival 
#Nature 
#Friend

हिमांशु Kulshreshtha

कर के..

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Unsplash कर के 
मोहब्बत भरपूर तुमसे ..
हिस्से में 
सिर्फ तेरी बेरुखी के हक़दार हुए .. 
ख़बर भी ना लगी 
कब दिल खो गया
कब तेरी चाहतों के 
शिद्दत से तलबगार हुए ..

©हिमांशु Kulshreshtha कर के..

Ghanshyam Ratre

जंगलों के पशुओं पक्षियों के जीवन

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जंगल उपवन के छेड़छाड़ पेड़ -पौधों की कटाई कर रहें हैं।
वन्य प्राणी पशु-पक्षियों का जीवन संकटों से प्रभावित हो रहें हैं।।
जंगल में रहने वाले पशु-पक्षियां गांवों- शहरों में आ रहें हैं।
खेती-बाड़ी फसल को उजाड़ कर बर्बाद कर रहे हैं।।

©Ghanshyam Ratre जंगलों के पशुओं पक्षियों के जीवन

Ramji Tiwari

Book poem छंद कविता भक्ति भक्ति भजन

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Unsplash जय माँ शारदा 
विधा-सरसी छंद १६/११ पदान्त २१

भगवत गीता में मिलता है,सब ग्रंथों का सार।
मानव जीवन की खातिर है,जीवन का आधार।
जो गीता प्रतिदिन पढ़ते हैं, कभी न खाते खार।
गीता ज्ञान बिन नहीं होगा, मानव का उद्धार।।

      स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                            उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #Book 
#poem
#छंद
#कविता
#भक्ति  भक्ति भजन

BANDHETIYA OFFICIAL

White पसंद आ रही हैं आती नापसंद चीजें,
कल को आदी न कर दें जो पाबंद चीजें,
राह खोल सकती हैं मुझतक जैसे बंद चीजें,
डर है, क्या करूं लेकिन गीत के वे छंद चीजें,
फिर भी दूर रहें मुझसे लत के नाम पे चंद चीजें।

©BANDHETIYA OFFICIAL #sad_quotes #छंद

F M POETRY

#समंदर के किनारे आ के अक्सर..

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset समंदर के किनारे आ के अक्सर बैठ जाता हूँ..

सुना है दिल के दर्द-ओ-ग़म समंदर सोख लेता है..


यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY #समंदर के किनारे आ के अक्सर..

Anuj Ray

# मुक्त छंद कविता"

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset मुक्त छंद कविता 

कोहरा ठिठुर रहा कब से सर्दी में,
सूरज के रथ का पहिया ढीला 
जंगल जलता धू धू कर 
हिमशिखर बना  सरिता का पानी।

चलती पगडंडी मुड़ मुड़ कर देखें। 
नारी मंडवा बैठ निहारे पक्षी
खड़ी फसल चौपट कर डाली 
कृषक का दुश्मन पाला नरभक्षी।

©Anuj Ray # मुक्त छंद कविता"
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