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Mehfuza
Black जिंदगी तमाशा नहीं जिसे देखने को हुजूम आए, कम लोग हो लेकिन पसंदीदा लोग हो, जो हुजूम-ए-आम तक साथ चले। ©Mehfuza #Thinking जिंदगी तमाशा नहीं जिसे देखने को हुजूम आए, कम लोग हो लेकिन पसंदीदा लोग हो, जो हुजूम-ए-आम तक साथ चले।
Shivkumar
तुमनें छुआ तो जैसे रंग गया जहां, बेरंग थी मुस्कान वो अब रही कहां, बंद आंखों में कैद कर लिए लम्हें, कि हमेशा लगे तू अब भी है यहां ! मेरा रंग उतर तेरा रंग ऐसा चढ़ा कि, जहां भी जाऊं, लगे हर कुछ नया, गुलाल की खुश्बू से गुलजार है दिन, कि कैसे इस खुशी को करूँ मैं बयां ! बालों से उड़ता गुलालों का हुजूम, और रंगीन करता जैसे ये समां, तुमनें छुआ तो जैसे रंग गया जहां, बेरंग थी मुस्कान वो अब रही कहां ! ©Shivkumar #Holi #holihai #happyholi #happyholi2024 #happyholi2025 #happyholi2026 तुमनें छुआ तो जैसे #रंग गया जहां, बेरंग थी #मुस्कान वो अब रही
Anjali Singhal
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
विधा :- चवपैया छन्द तुम हो मतदाता , मेरे भ्राता , क्यों इनसे डरते हो । अब सोच समझ लो,तब निर्णय लो,कब इनमें बसते हो ।। ये तेरा खाते , अपनी गाते , अपनी धुन रमते हैं । मत देखो थैली , होती मैली , पाप सदा भरते हैं ।। इनका धर्म नहीं , ईमान नहीं, माया के गुण गाते । सब भूले अपने , देखें सपने , जग को ये भरमाते ।। ये बे पथ होकर , बनकर नौकर , बन जाते हैं राजा । कर झूठे वादे , गलत इरादे , खूब बजाते बाजा ।। ठोको छाती , अब दिन राती , मुर्गा दारू खाके । अब क्यों है रोता , उडता तोता , बोलो मेरे काके ।। सुन जहाँ समय है , करूँ विनय है , जागो मेरे भ्राता । तुम क्यों हो डरते ,चलकर लडते , तुम सब हो मतदाता ।। २९/११/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा :- चवपैया छन्द तुम हो मतदाता , मेरे भ्राता , क्यों इनसे डरते हो । अब सोच समझ लो , तब निर्णय लो , कब इनमें बसते हो ।। ये तेरा खात
Bhupendra Ganjam
मैं ने कितने रस्ते बदले लेकिन हर रस्ते में 'फ़रोग़' एक अंधेरा साथ रहा है रौशनियों के हुजूम लिए ©Bhupendra Ganjam मैं ने कितने रस्ते बदले लेकिन हर रस्ते में 'फ़रोग़' एक अंधेरा साथ रहा है रौशनियों के हुजूम लिए #KhulaAasman
Dalip Kumar 'Deep'
ग़रीब का तो रोज़ बाजा बज जाता है अगर दिहाड़ी न लगे काम न लगे दुनिया से क्या कौन कब क्या बजा रहा है 'दीप'..✍🏿शायर तेरा🌷 ©Dalip Kumar Deep #worldmusicday गरीब का तो उस दिन बाजा बजता है जब दिहाड़ी लग जाती है काम मिल जाता है😀
_Ram_Laxman_
नान पन के सुरता,,,😁🤞🏻 संगवारी हो,,,, जब दाई बाबू मन हा पहली धान मींजे बर, दऊंरी फांदे ना ता बेलन गाड़ी अऊ बईला के संग मा हमन हा पाछु पाछू उलान बादी अड़बड़ खावत रहेंन । अऊ कहुं लुका छुपई खेलना राहय ता धान के पैरा मा लुकावत रहेंन। फेर मजा तब आवय संगवारी, जब हमन हा घाम पियास मा खेलन अऊ धूर्रा माटी मा सनाय राहन ता, ओ समय हमर मन बर न निरमा लगे न साबुन, सिधा तरिया मा जाके जुच्छा पानी भर मा नहावत रहेंन । फेर अऊ जब हमन ला कहूं कोनो डहर जाना राहय ना, ता चाहे ओह कतनो दूरिहा राहय ओ डहर ले हमन चार पांच झन संगवारी अइसने घूम फिर के आवत रहेंन । अऊ हमन हा नान - नान रहे हन ता हमन एकदम ना समझ रहे हन यार,,,, तभे तो जब बाजा बजाय के मन करय ता तेल टिपा ला डंडा धर के बजावत रहेंन । अऊ का बतावव संगवारी....! नान पन के गोठ हा तो सबके अड़बड़ निराला रहिथे । वइसने हमरो मन के निराला रहिस हे..! काबर कि हमर मन के नान नान हाथ गोड़ राहय अऊ बड़े बड़े आमा अमली के पेड़ मन राहय, ता बस खाना राहय ता आमा खाय बर एक के ऊपर एक के कंधा मा चढ़के कच्चा पक्का आमा टोर के सुघ्घर बईठ के छईहां मा खावत रहेंन । अऊ संगवारी जब हमन ला स्कूल हो या आंगन बाढ़ी, जाना राहय ता ना..ओ समय पहली बेग वेग कुछू नई राहय ता बस कलम अऊ पट्टी ला झोला मा डार के आँगन बाढ़ी अऊ स्कूल हलावत जावत रहेंन । फेर अऊ संगवारी,,,😎 जब हमन हा नान कुन राहन ता जम्मों चीज मन के मजा ला पावत रहेंन । फेर अब संगवारी उही दिन, उही रात अऊ उही जगह मन के अड़बड़ सुरता आथे यार...☹️ फेर कास,,,, अऊ हमन ला हमर नान पन मिल पातिस संगी..! ता अऊ हमन ला दुबारा खेले कूदे के मौका मिलथिस..। लेकिन अइसे नई हो सकय यार,,, तेखरे सेतिक अपन नान पन के सुरता ला कभू कभू रतिहा म लमावत रहिथन यार..😐 ©_Ram_Laxman_ नान पन के सुरता,,,😁🤞🏻 संगवारी हो,,,, जब दाई बाबू मन हा पहली धान मींजे बर, दऊंरी फांदे ना ता बेलन गाड़ी अऊ बईला के संग मा हमन हा पाछु पाछू उ
_Ram_Laxman_
नान पन के सुरता,,,😁🤞🏻 संगवारी हो,,,, जब दाई बाबू मन हा पहली धान मींजे बर, दऊंरी फांदे ना ता बेलन गाड़ी अऊ बईला के संग मा हमन हा पाछु पाछू उलान बादी अड़बड़ खावत रहेंन । अऊ कहुं लुका छुपई खेलना राहय ता धान के पैरा मा लुकावत रहेंन। फेर मजा तब आवय संगवारी, जब हमन हा घाम पियास मा खेलन अऊ धूर्रा माटी मा सनाय राहन ता, ओ समय हमर मन बर न निरमा लगे न साबुन, सिधा तरिया मा जाके जुच्छा पानी भर मा नहावत रहेंन । फेर अऊ जब हमन ला कहूं कोनो डहर जाना राहय ना, ता चाहे ओह कतनो दूरिहा राहय ओ डहर ले हमन चार पांच झन संगवारी अइसने घूम फिर के आवत रहेंन । अऊ हमन हा नान - नान रहे हन ता हमन एकदम ना समझ रहे हन यार,,,, तभे तो जब बाजा बजाय के मन करय ता तेल टिपा ला डंडा धर के बजावत रहेंन । अऊ का बतावव संगवारी....! नान पन के गोठ हा तो सबके अड़बड़ निराला रहिथे । वइसने हमरो मन के निराला रहिस हे..! काबर कि हमर मन के नान नान हाथ गोड़ राहय अऊ बड़े बड़े आमा अमली के पेड़, ता बस खाना राहय ता आमा खाय बर एक के ऊपर एक के कंधा मा चढ़के कच्चा पक्का आमा टोर के सुघ्घर खावत रहेंन । अऊ संगवारी जब हमन ला स्कूल हो या आंगन बाढ़ी, जाना राहय ता ना..ओ समय पहली बेग वेग कुछू नई राहय ता बस कलम अऊ पट्टी ला झोला मा डार के आँगन बाढ़ी अऊ स्कूल हलावत जावत रहेंन । फेर अऊ काला बतावंव संगवारी,,,😎 जब हमन हा नान कुन राहन ता जम्मों चीज मन के मजा ला पावत रहेंन । फेर अब संगवारी उही दिन, उही रात अऊ उही जगह मन के अड़बड़ सुरता आथे यार...☹️ फेर कास,,,, अऊ हमन ला हमर नान पन मिल पातिस संगी..! ता अऊ हमन ला दुबारा खेले कूदे के मौका मिलथिस..। लेकिन अइसे नई हो सकय यार,,, तेखरे सेतिक अपन नान पन के सुरता ला कभू कभू रतिहा म लमावत रहिथन यार..। ©_Ram_Laxman_ हमर नान पन के सुरता,,,😁🤞🏻 संगवारी हो,,,, जब दाई बाबू मन हा पहली धान मींजे बर, दऊंरी फांदे ना ता बेलन गाड़ी अऊ बईला के संग मा हमन हा पाछु पा
Pushpvritiya
Feminism का भार इस भार से ज़्यादा भारी जान पड़ा....... बड़ा हल्का कर दिया पुरूषों के अस्तित्व को... जो अस्तु में तो है पर धिक्कारित्....... वह ढोएगा....जताएगा...पर कभी उतारेगा नही....अस्वीकारेगा नही.... शायद यही पुरूष की प्रकृति है.. और यही प्रकृति का विधान........ शायद...... @पुष्पवृतियां . . ©Pushpvritiya दोपहिए पर अपने से तिगुणी भार को बिठाए...ढोए जा रहा था...जाने मां थी..भार्या या भगिनी...पिछली सीट जो महिलाओं के लिए लगभग संरक्षित....सुरक्षित