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Hiren. B. Brahmbhatt
रफ़्ता- रफ़ता दिल में समाया है वो, हमको इसकी ही ख़बर नहीं रहीं, चुपचाप से आंखों के रस्ते दिल से, रुह तक भी जा चुका है रफ़्ता - रफ़्ता .... #NojotoQuote रफ़्ता-रफ़ता ।
रफ़्ता-रफ़ता ।
read moreJitendra Kumar 'Noor'
रफ़्ता-रफ़्ता ख़त्म हो जाएगी हस्ती एक दिन तुझको ले डूबेगी तेरी मय-परस्ती एक दिन गिर रही है ज़िन्दगी की जैसे क़ीमत आजकल ऐसे तो हो जाएगी ये और सस्ती एक दिन ©Jitendra Kumar 'Noor' रफ़्तार-रफ़्ता ख़त्म हो जाएगी हस्ती एक दिन
रफ़्तार-रफ़्ता ख़त्म हो जाएगी हस्ती एक दिन #शायरी
read moreAbeer Saifi
आँखों से आँखें टकराईं थी रफ़ीक़ बस वो दिन था और आज का दिन है रफ़ीक़ - दोस्त
रफ़ीक़ - दोस्त
read moreAmit Singhal "Aseemit"
कभी भी एक रफ़ीक को दूसरे की होती आवश्यकता, बिना देर लगाए, वह अपने रफ़ीक के लिए है पहुंचता। रफ़ीक अपने रफ़ीक पर दिल और जान से है मरता, उसकी खुशी को ज़मीन आसमां एक करने से न डरता। ©Amit Singhal "Aseemit" #कभी #भी #एक #रफ़ीक
MR VIVEK KUMAR PANDEY
"रफ़्तार भले मेरी धीमी, है पर उड़ान लंबा होगा".। #रफ़्तारभले मेरी धीमी है
#रफ़्तारभले मेरी धीमी है
read moreAbeer Saifi
आँखों से आँखें टकराईं थी रफ़ीक़ बस वो दिन था और आज का दिन है रफ़ीक़ - दोस्त
रफ़ीक़ - दोस्त
read morePnkj Dixit
#OpenPoetry ❤️💓 रफ़ता- रफ़ता💝 मैं ख़्वाबों में मिलता-मिलाता चला गया हंसता - खेलता दिल लगाता चला गया वो रफ़ता - रफ़ता मुझमें समाता चला गया मैं रफ़ता - रफ़ता होश गंवाता चला गया श़राब - ए- जन्नत भी फ़ीकी पड़ने लगी वो रफ़ता - रफ़ता ज़ाम लबों के पिलाता चला गया रुह की मस्त प्यास रफ़ता - रफ़ता बढ़ने लगी वो अपनी अदाओं के पैमाने छलकाता चला गया शब़ से सहर हो गई लबों के ज़ाम टकराते हुए वो रफ़ता- रफ़ता मदहोश होकर मुझमें समाता चला गया २२/०७/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' ❤️💓 रफ़ता- रफ़ता💝 मैं ख़्वाबों में मिलता-मिलाता चला गया हंसता - खेलता दिल लगाता चला गया वो रफ़ता - रफ़ता मुझमें समाता चला गया मैं रफ़ता - र
❤️💓 रफ़ता- रफ़ता💝 मैं ख़्वाबों में मिलता-मिलाता चला गया हंसता - खेलता दिल लगाता चला गया वो रफ़ता - रफ़ता मुझमें समाता चला गया मैं रफ़ता - र
read moreTj_diaries
"इजा मुलाक़ात हुई उनसे, देखी वजाहत नजरें हटी नहीं। माज़िरत...इस ज़हमत के लिए गर हम वज़ाहत न दे सकें, कि हम तो ठहरें रफ़िक़, आपसे रफ़ाक़त की इल्तिज़ा करते हैं।" "इजा (अचानक), वजाहत (मुख मंडल की आभा) माज़िरत(माफ़ी), ज़हमत (कष्ट) वज़ाहत (स्पष्टीकरण) रफ़िक़(दोस्त) रफ़ाक़त(दोस्ती) इल्तिज़ा (प्रार्थना) ©Tejasvi Sidhu "इजा मुलाक़ात हुई उनसे, देखी वजाहत नजरें हटी नहीं। माज़िरत...इस ज़हमत के लिए गर हम वज़ाहत न दे सकें, कि हम तो ठहरें रफ़िक़, आपसे रफ़ाक़त की
"इजा मुलाक़ात हुई उनसे, देखी वजाहत नजरें हटी नहीं। माज़िरत...इस ज़हमत के लिए गर हम वज़ाहत न दे सकें, कि हम तो ठहरें रफ़िक़, आपसे रफ़ाक़त की #Poetry #Tjdiaries
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