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( prahlad Singh )( feeling writer)
ll चुप होकर भी उसकी सांसे बोलती हैं रातें होकर भी उसकी आंखे बोलती है ll ©( prahlad Singh )( feeling writer) आंखें बोलती है#GingerTea
DILEEP RAJ AHIRWAR
The tongue never lies. The eyes never lie. जुबान झूठ बोलती है आँखे कभी नहीं ©DILEEP RAJ AHIRWAR #sugarcandy जुबान झूठ बोलती है आँखे कभी नहीं
Rameshkumar Mehra Mehra
आदमी अन्दर तंक टूट जाता है... ©Rameshkumar Mehra Mehra # रोती हुई आंखे कभी झूठ नही बोलती...जब कभी कोई अपना दर्द देता है....
vikas Gupta shayari
Bharat Bhushan pathak
शब्द-शब्द हाव-भाव जब बोलती प्रतीत हो। है दफ़न राज़ जब जो खोलती प्रतीत हो। प्रीत-रीत गीत-जीत जब बखानता अतीत हो। अचेतना में चेतना का वास जब अगर कहीं। समझ लो तभी यही काव्य है वही-वही। ©Bharat Bhushan pathak #achievement शब्द-शब्द हाव-भाव जब बोलती प्रतीत हो। है दफ़न राज़ जब जो खोलती प्रतीत हो। प्रीत-रीत गीत-जीत जब बखानता अतीत हो। अचेतना में चेत
Shivkumar
मेरें बाइक की उस हॉर्न सुनकर.. वो पगली ऐसे दौड़ती हुई बाहर सी आ जाती हैं... बोलती तो कुछ नहीं मगर वो खुद ही खुद.. न जाने वो , कुछ न कुछ तो जरुर सोचती तो होगी के लो आ गया मेरा बालमा.... ©Shivkumar #bicycleride #Ride #bicycleride #Nojoto #nojotohindi मेरें #बाइक की उस #हॉर्न सुनकर.. वो #पगली ऐसे दौड़ती हुई बाहर सी आ जाती हैं... #
ਸੀਰਿਯਸ jatt
Rimpi chaube
मैं हमेशा लिखती रहूंगी प्रिय... कभी तुम्हारी यादों में,कभी तुम्हारी बातों पे कभी शरारत भरी अदा,कभी होंठो की मुस्कान पे मैं हमेशा सुनाती रहूंगी प्रिय... कभी तुम्हारे इश्क की धुन,कभी तुम्हारे प्रेम के गीत कभी तुमसे जुड़े तारों में,गूंजता हुआ जीवन संगीत मैं हमेशा बोलती रहूंगी प्रिय... तुमसे अपने मन की बात,यादों में तेरी कैसे गुजरी रात चाशनी में घुला हुआ सा,कैसा लगता तेरा साथ मैं हेमशा सोचती रहूंगी प्रिय... तुमसे अपने मिलन के पल,विरह में मन क्यूं हैं बेकल साथ तुम्हारा सदियों का,फिर ढूंढे क्यूं तुमको नैना चंचल।। ©Rimpi chaube #हमेशा_प्रिय ❤️🥰 मैं हमेशा लिखती रहूंगी प्रिय... कभी तुम्हारी यादों में,कभी तुम्हारी बातों पे कभी शरारत भरी अदा,कभी होंठो की मुस्कान पे मैं
Ravindra Singh
साड़ी में लिपटी हुई स्त्री… वो साड़ी में लिपटी हुई स्त्री, मुझे बहुत आकर्षित कर रही थी , मुझसे रह न गया , मैंने कह ही दिया… तुम्हारा रूप, तुम्हारा रंग , तुम लिपटी हुई साड़ी में, कर देती हो मेरी शराफ़त को भंग । तुम्हारी पायलों की छनछनाहट , तुम्हारी चूड़ियों की खनखनाहट , मुझे मजबूर करती है लिखने पर , तुम्हारी ये नटखट सी मुस्कराहट । तुम्हारे गजरे की महक , मुझे खींच लाती तुम्हारी ओर , तुम नहीं बोलती हो बेशक, निगाहें तुम्हारी दिल में मचातीं है शोर । मैं नहीं जानता तुम्हें, तुम अजनबी हो , न होकर भी , तुम हो मेरी कल्पनाओं के संग । तुम्हारा रूप... ©Ravindra Singh #lalishq साड़ी में लिपटी हुई स्त्री… वो साड़ी में लिपटी हुई स्त्री, मुझे बहुत आकर्षित कर रही थी , मुझसे रह न गया , मैंने कह ही दिया… तुम्ह
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- आज बैठा मुँह छुपाकर कौन है । दो उसे आवाज़ घर पर कौन है ।। जिसकी खातिर कर रहा हूँ मैं दुआ । इस जहाँ में उससे सुंदर कौन है ।।२ देख कण-कण में बसे प्रभु राम जी । पूछता फिर क्यों कि अंदर कौन है ।।३ और कुछ पल धीर धर ले तू यहाँ । वक़्त बोलेगा धुरंधर कौन है ।।४ एक तेरे सिर्फ़ कहने से नहीं । है खबर सबको सिकंदर कौन है ।।५ दौड़ आयेगा हमारे पास तू । गर पता तुझको हो रहबर कौन है ।।६ तुम कहो तो मान भी लें बात हम । बस बता दो तुम विशंभर कौन है ।।७ बंद हो जायेगी तेरी बोलती जानेगा जब तू कलंदर कौन है ।।८ हम सभी इंसान हैं तेरी तरह । खोजता फिर क्यों तू बंदर कौन है ।।९ इस कदर मत कर गुमाँ खुद पर बशर जान ले लिखता मुकद्दर कौन है ।।१० आज दिल की बात मैं पूछूँ प्रखर । तू प्रखर है तो महेन्दर कौन है ।।११ १९/०३/२०२४ -महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- आज बैठा मुँह छुपाकर कौन है । दो उसे आवाज़ घर पर कौन है ।। जिसकी खातिर कर रहा हूँ मैं दुआ । इस जहाँ में उससे सुंदर कौन है ।।२ देख कण-क