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सुरज्ञान सिंह
राजस्थानी वेशभूषा में राजस्थानी लोग......
राजस्थानी वेशभूषा में राजस्थानी लोग...... #nojotophoto
read moreAD Kapoor
Traditional dress ❤️ ©AD Kapoor हमारी वेशभूषा में शानदार छायाचित्र #adkapoor #gaddiculture #traditionaldress
हमारी वेशभूषा में शानदार छायाचित्र #adkapoor #gaddiculture #traditionaldress #Love
read moreMotivational indar jeet group
जीवन दर्शन 🌹 यह जरूरी नहीं है व्यक्ति जैसा वेशभूषा में नजर आता हो उसका व्यक्तित्व भी वैसा ही हो !.i. j ©Indra jeet #जीवन दर्शन 🌹 यह जरूरी नहीं है व्यक्ति जैसा वेशभूषा में नजर आता हो उसका व्यक्तित्व भी वैसा ही हो !.i. j #Ring
Niharika singh chauhan (अद्विका)
ग़ौर से देखिए इस डेविल👹 को... जी हां इन्सान की वेशभूषा में दिखने वाला ये एक खूंखार Artistic डेविल 👻 हैं... आज ये 💯 साल का हो गया हैं 😜 सत्यप्रेम सर की सुन्दर नोजोटो नगरी में इसकी पेनी नज़रों से कोई भी नहीं बच सकता... read in caption... Happpyyyyyyy wala AJ style bday toooo uuuu 😍💜 ग़ौर से देखिए इस डेविल👹 को... जी हां इन्सान की वेशभूषा में दिखने वाला ये एक खूंखार Artistic डे
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.... //अटल// °°°°°°°° जिनका व्यक्तित्व था अचल, थे धैर्यवान कभी हुए न विकल, दृढ़-निश्चयी थे गुणों में शक्तिमान, दिया सभी मुश्क़िलों को कुचल, अपार मे
//अटल// °°°°°°°° जिनका व्यक्तित्व था अचल, थे धैर्यवान कभी हुए न विकल, दृढ़-निश्चयी थे गुणों में शक्तिमान, दिया सभी मुश्क़िलों को कुचल, अपार मे #Inspiration #legend #atalbiharivajpeyee #longform #the_tishi
read morePARBHASH KMUAR
मनुष्य जब भी प्रेम की परिभाषा के बारे में सोचता है, तो सदैव ही राधा रानी और श्री कृष्ण की एक सुंदर सी छवि उसे अपनी ओर आकर्षित करती है। लेकिन क्या आपको पता है, कि श्री कृष्ण की प्रियतमा राधा नहीं, बल्कि रुक्मिणी उनकी पत्नी थीं? और इस विवाह के लिए देवी रुक्मिणी का हरण किया गया था? वेद-पुराण और साहित्य के अनुसार, श्रीकृष्ण की 8 रानियां थीं, जिनसे उन्होंने विधिपूर्वक विवाह किया था। इन 8 रानियों में सबसे पहली थीं, रानी रुक्मिणी। आइए उनके और श्री कृष्ण के विवाह की कथा को जानते हैं। देवी रुक्मिणी और श्रीकृष्ण के विवाह की कथा बेहद रोचक है। आज हम आपको बताएंगे, कि आखिर कैसे ये दोनों मिले और यह विवाह संपन्न हुआ। मानवजाति को अपनी लीलाओं की क्रीड़ा दिखाने वाले श्री कृष्ण के काल में, विदर्भ के राजा भीष्मक की एक कथा सुनने को मिलती है। भीष्मक के 5 पुत्रों के अलावा, उनकी एक पुत्री भी थीं, रुक्मिणी। अत्यंत सुंदर, बुद्धिमान और सदाचारी व्यवहार वाली रुक्मिणी, बचपन से ही श्री कृष्ण की साहस और वीरता की कायल थीं। ऐसा भी कहा जाता है, कि उन्होंने श्री कृष्ण द्वारा कंस के वध को भी साक्षात देखा था। जब रुक्मिणी की उम्र विवाह योग्य हुई, तो इसके संबंध में उनके भाई रुक्मी और माता-पिता को चिंता होने लगी। एक बार राजमहल के पुरोहित जी, द्वारिका से भ्रमण करते हुए विदर्भ आए। यहां आकर, वह श्री कृष्ण के रूप और गुणों का वर्णन करने लगे और साथ ही, चित्र के माध्यम से सभी को उनके छवि दर्शन भी कराए। उस वक़्त जब देवी रुक्मिणी ने उन्हें देखा, तो वह भी मोहित हो गईं और मन ही मन उन्हें अपना स्वामी मान बैठीं। अब कठिनाई यह थी, कि देवी रुक्मिणी के पिता और भाई रुक्मी का संबंध, सदैव श्री कृष्ण का अहित चाहने वाले जरासंध, कंस और शिशुपाल से था। यही वजह थी, कि रुक्मिणी का विवाह श्री कृष्ण से होना संभव नहीं था। जब राजनीतिक संबंधों को ध्यान में रखकर शिशुपाल से रुक्मिणी का विवाह उनकी मर्ज़ी के विरुद्ध तय हो गया, तब देवी से रहा नहीं गया और उन्होंने प्रेम पत्र लिखकर ब्राह्मण कन्या सुनन्दा के हाथों, श्री कृष्ण तक पहुंचा दिया। भेजे गए उस पत्र में रुक्मिणी लिखती हैं, “हे नंद-नंदन! मैंने आपको ही पति के रूप में वरण किया है। मैं आपके अतिरिक्त, किसी अन्य पुरुष से विवाह नहीं कर सकती। मेरे पिता और भाई, मेरी इच्छा के विरुद्ध मेरा विवाह शिशुपाल के साथ करना चाहते हैं और विवाह तिथि भी निश्चित है। मेरे कुल की रीति है, कि विवाह पूर्व दुल्हन की वेशभूषा में वधु नगर के बाहर गिरिजा मंदिर में दर्शन प्राप्ति हेतु जाती है। मैं भी वहां जाउंगी। अतः आपसे मेरा निवेदन है, कि आप आएं और मुझे पत्नी के रूप में वहीं स्वीकार करें। अगर आप नहीं आते हैं, तो मैं अपने प्राणों का त्याग करने की मंशा रखती हूँ।” अब भगवान श्री कृष्ण तो स्वयं सृष्टि के रचयिता हैं, उनसे तो कुछ भी छुपा नहीं था। फिर जब उन्हें यह आभास हुआ, कि देवी रुक्मिणी संकट में हैं, तो उन्होंने एक योजना बनाई। जब शिशुपाल बारात लेकर विदर्भ पहुंचा, उससे पहले ही श्री कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम की मदद से रुक्मिणी का हरण कर के वहां से चले गए। हरण के पश्चात श्री कृष्ण ने शंख की ध्वनि से धरती से आसमान तक, इसकी सूचना दे दी और यह देखकर शिशुपाल भी अत्यंत क्रोध में आ गया। वह तुरंत ही श्री कृष्ण के वध की मंशा से निकल पड़ा, लेकिन यहां भी उसके हाथों हार ही लगी और प्रभु, देवी रुक्मिणी समेत द्वारिका की ओर प्रस्थान कर गए। द्वारिका में श्री कृष्ण और रुक्मिणी के विवाह की उत्तम तैयारी हुई और यह विवाह संपन्न हुआ। ऐसा कहा जाता है, कि श्री कृष्ण का हर कर्म एक लीला है, जिसमें जीवन के लिए एक सीख व्याप्त है। इसी प्रकार, श्री कृष्ण-रुक्मिणी विवाह से भी हमें यह सीख मिलती है, कि महिलाओं को अपने अधिकार चुनने का पूरा अधिकार है और जब भी मनुष्य अपनी इच्छाओं को प्रभु के समक्ष प्रकट करेगा, तब नारायण स्वयं उसको पूरा करने के लिए अपने आशीष की स्नेह वर्ष करेंगे। अगर आपको यह कथा वृतांत पसंद आया, तो ऐसी ही और भी मनोरम लीलाओं और कहानियों को सुनने के लिए जुड़े रहिये, Sri Mandir के साथ। ©parbhashrajbcnegmailcomm मनुष्य जब भी प्रेम की परिभाषा के बारे में सोचता है, तो सदैव ही राधा रानी और श्री कृष्ण की एक सुंदर सी छवि उसे अपनी ओर आकर्षित करती है। लेकिन
मनुष्य जब भी प्रेम की परिभाषा के बारे में सोचता है, तो सदैव ही राधा रानी और श्री कृष्ण की एक सुंदर सी छवि उसे अपनी ओर आकर्षित करती है। लेकिन #Knowledge
read moreSaurav Dangi
आप किसी की वेशभूषा मात्र से उसका आकलन कर,उसकी अच्छाइयों से उठाए जाने वाले लाभ से हमेशा के लिए वंचित रह जाते हैं... You 're being perpetuated by the mere assessment of one' s dress and the advantage it receives from his well - being वेशभूषा
वेशभूषा
read moreशून्य(ब्राह्मण)
शौक भी खूबसूरत लगने लगते हैं जब संस्कृति का प्रतीक लिबाज़ से झलकता है! 🙌🙌🙌🙌🙌 क्या भारत क्या अमेरिका हर देश इस शान पर अक्सर ही फिसलता है! 👏👏👏👏👏👏 #गमछा #संस्कृति #भारतीय #वेशभूषा