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Shree Shyam Darshan 24hr
ज़िन्दगी का बस एक ही आधार है, सम्पूर्ण भगवतगीता का ही सार है। ©Mk.writer91 #गीता_तेरा_ज्ञान_अमृत #गीतासार
Mohan Sardarshahari
परतंत्र भारत को दी आवाज नये युग का किया आगाज गीतों की बना दी गीतांजलि नोबल के तमगे से भर दी झोली जन गण मन से देश की सीमा बनी शांतिनिकेतन सभ्यता बनी ज्योति गुरुदेव नाम सारे विश्व में जली तस्वीर दाढ़ी वाली भारतीय साहित्य की पयार्य तभी से हो चली।। ©Mohan Sardarshahari गीतों की गीतांजलि
Vk Virendra
गीता-सार ★ क्यों व्यर्थ की चिन्ता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा न पैदा होती है, न मरती है। ©Vk Virendra गीता सार #gita #गीतासार
Diwan G
gita ka gyan मुनष्य जिस तरह की सोच रखता है, वैसे ही वह आचरण करता है। खुद का आत्म मंथन करके... मनुष्य अपनी सोच में बदलाव ला सकता है। जो उसके लिए काल्याणकारी होगा। जय श्री कृष्णा #NojotoQuote गीतासार #गीता #सार #NojotoHindi
DR. LAVKESH GANDHI
गीत गीत हूँ मैं गजल हूँ मैं तेरी भावनाओं का प्रवाह हूँ मैं ज़ब तुम गुनगुनाती हो तो होठों से गीत निकलते हैं मेरे कवि हूँ मैं लेखक हूँ मैं तेरी चाहत का समुद्र हूँ मैं ज़ब तुम हँसती हो तो खुदबखुद कलम चलती है मेरी #गीत# #गीतगाताहैदिल # #yqlove_feelings_emotions#yqlifefeelings #
sahitya
तुम्हारे आत्मा में ही परमात्मा का वास होता है , तो कोई भी पाप करने के पहले ये बात जरूर सोचना। ©sahitya #भगवान #भगवदगीता #गीता #गीतज्ञान #श्रीकृष्ण #कृष्ण #भक्ति
नितिन कुमार 'हरित'
गीता सार | नितिन कुमार हरित | १ | जीवन के सुरभित पुष्पों पर, बन के यम मंडराऊं कैसे? जीवन यदि मैं दे ना सकूं तो, मृत्यु का पान कराऊं कैसे? मेरे हैं रिश्ते नाते सब से, इन पर बाण चलाऊं कैसे? हे केशव इतना समझा दो, इस मन को समझाऊं कैसे? शून्य ही केवल सत्य जगत में, जीवन चिन्ह है खालीपन का, शून्य से उपजा शून्य को जाए मृत्यु समय सुन पूर्ण हवन का, माटी माटी से मिल जाए, भ्रम ना टूटे चंचल मन का, मैं ना मरूंगा, तू ना मरेगा, जीना मरना खेल है तन का। ये जीवन एक युद्ध है अर्जुन, पल पल लड़ना काम हमारा, उसका जगत में मोल ना कोई, जो जीवन के रण में हारा, आज जो छोड़ोगे रण भूमि, तुम पे हंसेगा कल जग सारा, जिसने जगत में सब कुछ जीता, उसको मिला ना खुद से किनारा। दुर्योधन कब संमुख तेरे, सतजन का संताप खड़ा है, दंभ खड़ा है, द्वेष खड़ा है, मैं मैं का आलाप खड़ा है, जिसने ना माने रिश्ते नाते, नातों पर अभिशाप खड़ा है, तेरे संग है धर्म खड़ा और तेरे संमुख पाप खड़ा है। मन की दुर्बलता को त्यागो, मोह को छोड़ो, दृढ़ हो जाओ, धर्म अधर्म के युद्ध में अर्जुन, धर्म ध्वजा का मान बढ़ाओ, मैं ही मरूंगा, मैं ही मारूं, तुम केवल साधन बन जाओ, धर्म के रक्षक, कर्म के संगत, निश्चय करके बाण चलाओ। ©नितिन कुमार 'हरित' गीता सार • नितिन कुमार हरित #NitinKrHarit #गीता #गीता_ज्ञान