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Prakash Vidyarthi
White ......मां..... ::::::::::::::::::::।।।।।।।।।।।।।।।।। :::::::::::::::::: मां मन्दिर है मां देवी हैं , मां भजन आरती हैं मां ही पूजा पावन। मां दयालु हैं मां कृपालु हैं, मां आदि अनंता हैं मां ही मनभावन।। मां आराधना हैं मां करूणा की सागर, मां अबला कभी सबला हैं और मां जोगन बंजारन। मां सरस्वती हैं मां महा लक्ष्मी हैं , मां पार्वती हैं मां के अनेकों उदाहरण ।। मां सती हैं मां सीता हैं मां मीरा और राधा। मां जननी जग कल्याणी पूरा कभी आधा।। मां तो मां हैं दादी नानी मौसी बूआ आचार्या। मां पुत्री काकी बहन शिष्या मां प्रेमिका भार्या ।। मां त्याग तपस्या हैं मां धरती की आंचल मां इश्क़ मोहब्बत है मां ममता की सावन। मां श्रृष्टि की शोभा हैं मां ही जन्मदात्री, मां ज्ञानी गुरू है मां ही सुंदर पूजारणं।। मां मर्दानी मां भवानी हैं मानो तो स्वाभिमानी हैं ,मां सच्चाई की परम पूज्य जीत हैं ।। मां धुंधली तस्वीर हैं पर प्रकाशित हृदय वीर हैं, मां मीत मां हित मां गीत मां प्रीत हैं ।। मां साधना सेवा हैं मां सच्ची समर्पण। मां अपरिभाषित हैं मां ही मानक दर्पण ।। मां मन हैं मां नयन हैं मां जीवन की कण कण। सभी जने हैं मां के तन से मां में ही सब अर्पण।। मां चंडी मंगलाकली भीं मां ही दाया निदानम। मां पवित्र अग्नि ज्वाला मां प्रेम धारा शीतलम।। मां साध्वी कोमल कल्पना मां पुष्पित छाया कानन। मां सावित्री और मां कवियत्री मां लोरी की दामन।। मां रौशन रात्रि मां दांत्री मां प्यार के रूप उत्तम।मां बुद्धि मां विद्या मां भारती स्वरूपम।। मां मोहिनी ममतामयि विद्यार्थी भाव भूखम। मां गरिमा गौरी शंकर शरण में सर्वदा सुखम।। स्वरचित:+ प्रकाश विद्यार्थी ©Prakash Vidyarthi #mothers_day #poeatry #poem✍🧡🧡💛 #कविताएँ #रचना_का_सार #गीता_ज्ञान #गीत
Gurudeen Verma
शीर्षक- अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर ---------------------------------------------------------------- अब नहीं वो वैसे, कि मिले उनसे हँसकर। करें बातें दिल की, हम उनसे मिलकर।। अब नहीं वो वैसे -----------------------।। देखते नहीं अब वो, तस्वीर पुरानी अपनी। लगती नहीं है अच्छी, कहानी पुरानी अपनी।। आता है गुस्सा उनको, अब हमें देखकर। अब नहीं वो वैसे -----------------------।। पसंद नहीं उनको, मुफ़लिसों से हाथ मिलाना। अपने बचपन के यारों को, गले अपने लगाना।। होती है उनको नफरत, चिट्ठियां हमारी पढ़कर। अब नहीं वो वैसे -------------------------।। बहुत मुश्किल है तोड़ना, उनके पहरे को। करीब जाकर छूना, अब उनके सेहरे को।। नहीं बिसात अपनी, कहे कुछ उनसे खुलकर। अब नहीं वो वैसे ------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीतकार
Gurudeen Verma
Black शीर्षक- बाबा भीम आये हैं -------------------------------------------------------------------- (शेर)- नहीं कोई उनसा जमीं पर, जैसे बाबा भीम है। मसीहा मानव जाति के, दुनिया में बाबा भीम है।। करो स्वागत उनका फूलों से, देखो बाबा भीम आये हैं। विश्व रत्न और ज्ञान के प्रतीक, दुनिया में बाबा भीम है।। --------------------------------------------------------------------- बजाओ बाजा स्वागत में, बाबा भीम आये हैं। सजावो फूलों से राह, बाबा भीम आये हैं।। बजाओ बाजा स्वागत में----------------------।। इनके चेहरे का तेज, करें रोशन हम सबको। इनकी अंगुली का इशारा, दिखाये राह हम सबको।। दिखाने हमको सही मंजिल, बाबा भीम आये हैं। जलावो दीप स्वागत में, बाबा भीम आये हैं।। बजाओ बाजा स्वागत में-----------------------।। इनके हाथ का संविधान, देता है सबको न्याय- अधिकार। इनकी शिक्षा और ज्ञान का, लोहा मानता है संसार।। शिक्षा है शेरनी का दूध, बताने भीम आये हैं। बरसाओ फूल तुम उन पर, बाबा भीम आये हैं।। बजाओ बाजा स्वागत में----------------------।। बाबा भीम मसीहा है, सभी धर्मों जाति के। बाबा भीम उद्वारक है, बहुजन- नारी जाति के।। बचाने इंसानियत को, बाबा भीम आये हैं। करो स्वागत तुम चलकर, बाबा भीम हैं।। बजाओ बाजा स्वागत में-----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीतकार
Gurudeen Verma
शीर्षक - कोशिश मेरी बेकार नहीं जायेगी कभी ----------------------------------------------------------------- कोशिश मेरी बेकार नहीं जायेगी कभी। मोहब्बत यह मेरी खुशी लायेगी कभी।। मजबूर करेगी उसको, मिलने को मुझसे। मुलाकात हमारी मोहब्बत करवायेगी कभी।। कोशिश मेरी बेकार----------------------।। वह भी तो देखती होगी, कोई ख्वाब जीवन का। चाहती होगी कोई साथी, वह भी अपने जीवन का।। वह भी तो तड़पती होगी, रातों में बेचैन होकर। उसकी बेचैनी उसकी चाहत को, जगायेगी कभी।। कोशिश मेरी बेकार----------------------।। मालूम है उसको, मेरी मोहब्बत की कहानी। जिसमें बसी है उसकी, खुशी- ओ- रवानी।। उसने भी तो रंग, इसमें भरें है प्यारे-सुनहरे। जीवन में बहार, यह कहानी लायेगी कभी।। कोशिश मेरी बेकार----------------------।। मेरे बिना वह खुश कभी, रह नहीं सकती। गमो- दर्द में वह कभी, जी नहीं सकती।। बहुत मौज की है उसने, मेरी इन बाँहों में। फिर से मेरी इन बाँहों में, वह आयेगी कभी।। कोशिश मेरी बेकार----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीतकार
Vk Virendra
गीता-सार ★ क्यों व्यर्थ की चिन्ता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा न पैदा होती है, न मरती है। ©Vk Virendra गीता सार #gita #गीतासार
Gurudeen Verma
शीर्षक- अधखिली यह कली ------------------------------------------------------- अधखिली यह कली , जो खिलती कभी । तोड़ डाला इसे , जालिमों ने अभी ।। यह तो मिटने चली , जो महकती कभी । अधखिली यह कली -------------------------।। यह डोली यहाँ जिसकी , सजने लगी है । यह शहनाई यहाँ जो , बजने लगी है ।। अभी तो है बचपन, उम्र खेलने की । बन गई है दुल्हन ,मेहंदी इसके लगी है ।। दे रहे हैं विदाई , इसको सभी । मिट गए इसके अरमां , आज सभी ।। अधखिली यह कली -------------------------।। यह किसको सुनाये , कहानी अपनी । बैठी रहती है खामोश , गुमशुम बनी ।। इसके सपनों से मतलब , किसी को नहीं । यह तो व्यापार की एक ,वस्तु बनी ।। लगी है नजर इसके , हुस्न पर । कर रहे हैं इसी का , सौदा सभी ।। अधखिली यह कली --------------------------।। नहीं इसका नसीब , हक जताये अपना । आसमां को उड़े , तोड़ पहरा अपना ।। इसके दुश्मन नहीं और , अपने ही है । अब बताये किसे यह , दर्द अपना ।। यह बनकर शमां , करती रोशनी । मगर इसको तो , बुझा दिया अभी ।। अधखिली यह कली ------------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार- गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीतकार
Gurudeen Verma
शीर्षक- वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं ----------------------------------------------------------- वो ही तो यहाँ, बदनाम प्यार को करते हैं। समझकर जिनको सज्जन, हम प्यार करते हैं।। वो ही तो यहाँ ----------------------------।। करते हैं वो जुदा दिलों को, धर्म के नाम पर। करते हैं वो सितम दिलों पर, शर्म के नाम पर।। वो ही तो सरहद, मोहब्बत में खींचा करते हैं। वो ही तो यहाँ ---------------------------।। पसन्द नहीं है उनको, अफ़साना दिल के प्यार का। तोड़कर रस्मो- रिवाज को, बसाना घर प्यार का। प्रेमियों के खूं से वो, उपदेश अपना लिखते हैं। वो ही तो यहाँ ----------------------------।। चाहते नहीं मिटाना वो, दूरियाँ भेदभाव की। जलती हुई बुझाना, अग्नि यहाँ अलगाव की।। वो ही तो फिर प्यार को, भगवान यहाँ कहते हैं। वो ही तो यहाँ --------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीतकार