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Stories related to रस्ते वाहतूक माहिती

dilkibaatwithamit

आना था जिसे आज वो आया तो नहीं है ये वक़्त बदलने का इशारा तो नहीं है ये कौन गया है कि झपकती नहीं आँखें रस्ते में वो ठहरा हुआ लम्हा तो नहीं ह

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White आना था जिसे आज वो आया तो नहीं है
ये वक़्त बदलने का इशारा तो नहीं है

ये कौन गया है कि झपकती नहीं आँखें
रस्ते में वो ठहरा हुआ लम्हा तो नहीं है

हँसता हुआ चेहरा है दमकता हुआ पैकर
गुज़रा हुआ ये मेरा ज़माना तो नहीं है

आँखों ने अभी नींद का दामन नहीं छोड़ा
ख़्वाबों से भरोसा अभी टूटा तो नहीं है

रस्ते में अमित' उस की तबीअ'त का बिगड़ना
घर जाने का इक और बहाना तो नहीं है

©dilkibaatwithamit आना था जिसे आज वो आया तो नहीं है
ये वक़्त बदलने का इशारा तो नहीं है

ये कौन गया है कि झपकती नहीं आँखें
रस्ते में वो ठहरा हुआ लम्हा तो नहीं ह

F M POETRY

#आधे रस्ते पे....

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White आधे रस्ते पे मुझे छोड़ गया..

जाने क्यों मेरे दिल को तोड़ गया..



यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY #आधे रस्ते पे....

बेजुबान शायर shivkumar

हुस्न-ओ-इश्क़ का संगम देर तक नहीं रहता, कोई भी हसीं मौसम देर तक नहीं रहता | लौट जाओ रस्ते से तुम नए मुसाफ़िर हो, प्यार का सफ़र हमदम देर त

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हुस्न-ओ-इश्क़ का संगम देर तक नहीं रहता, 
कोई भी हसीं मौसम देर तक नहीं रहता |

लौट जाओ रस्ते से तुम नए मुसाफ़िर हो, 
प्यार का सफ़र हमदम देर तक नहीं रहता |

ऊँचे ऊँचे महलों की दास्ताँ ये कहती है, 
क़हक़हों का ये आलम देर तक नहीं रहता |

दिल किसी का टूटे या घर किसी का जल जाए, 
बेवफ़ा के दिल को ग़म देर तक नहीं रहता |

हो सके तो चाहत की चोट से बचे रहना, 
वर्ना ज़ख़्म पर मरहम देर तक नहीं रहता |

क्यों ग़ुरूर करते हो जा के तुम बुलंदी पर, 
शोहरतों का ये परचम देर तक नहीं रहता |

कौन जाने कब किस पर ज़िंदगी ठहर जाए |
कोई रुस्तम-ए-आज़म देर तक नहीं रहता ||

©बेजुबान शायर shivkumar हुस्न-ओ-इश्क़ का संगम देर तक नहीं रहता, 
कोई भी हसीं मौसम देर तक नहीं रहता |

लौट जाओ रस्ते से तुम नए मुसाफ़िर हो, 
प्यार का सफ़र हमदम देर त

RJ VAIRAGYA

#rjharshsharma #rjvairagyasharma इस उम्मीद पे रोज़ चराग़ जलाते हैं  आने वाले बरसों ब'अद भी आते हैं  हम ने जिस रस्ते पर उस को छोड़ा है  फू

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Unsplash इस उम्मीद पे रोज़ चराग़ जलाते हैं 
आने वाले बरसों ब'अद भी आते हैं 

हम ने जिस रस्ते पर उस को छोड़ा है 
फूल अभी तक उस पर खिलते जाते हैं 

दिन में किरनें आँख-मिचोली खेलती हैं 
रात गए कुछ जुगनू मिलने जाते हैं 

देखते देखते इक घर के रहने वाले 
अपने अपने ख़ानों में बट जाते हैं 

देखो तो लगता है जैसे देखा था 
सोचो तो फिर नाम नहीं याद आते हैं 

कैसी अच्छी बात है 'ज़ेहरा' तेरा नाम 
बच्चे अपने बच्चों को बतलाते हैं

©RJ VAIRAGYA #rjharshsharma #rjvairagyasharma 

इस उम्मीद पे रोज़ चराग़ जलाते हैं 
आने वाले बरसों ब'अद भी आते हैं 

हम ने जिस रस्ते पर उस को छोड़ा है 
फू

Vicky purohit Ji

सबके रस्ते अलग अलग है या।। Poetry...�� #newstory #viralvideochallenge #shortvideo #Motivational #poetrycommunity #hindipoetry #HindiPoem wr

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset *रस्ते सब के अलग अलग है या ।।

©Vicky purohit Ji सबके रस्ते अलग अलग है या।।
Poetry...��
#NewStory #viralvideochallenge #shortvideo #motivational #poetrycommunity #hindipoetry #hindipoem #wr

Sr Amar Babu

#sad_quotes बहुत महंगे थे हम, पर अब सस्ते में नहीं आयेंगे, जा, छोड़ दिया तुझको, अब तेरे रस्ते नही आयेंगे. शायरी दर्द

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Mohan Sardarshahari

# कट रहे रस्ते

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset अब लम्बी कविताओं का वक्त नहीं 
ना ही बचे हैं लम्बे रिश्ते 
शोसल मिडिया परोसता वासना के  किस्से 
घरों में तड़प रहे मां - बाप से फरिश्ते 
किताबें कोई छुता नहीं,डिजिटल बोर्ड टंगे दीवार
ज्ञान कोई लेता नहीं , डिग्रियां बिकती सस्ते
शारीरिक श्रम से विश्वास हटा,रोग मिले महंगे
मशीनों के सहारे ही अब कट रहे हैं रस्ते।।

©Mohan Sardarshahari # कट रहे रस्ते

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर चल पड़े हैं तो मुसाफ़िर नहीं रुकने वाले, मंज़िलें कहती हैं, रस्ते भी झुकने वाले। ज़िंदगी शेर थी, अब शेर मैं बन बैठा, जो मुझे ख

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चल पड़े हैं तो मुसाफ़िर नहीं रुकने वाले,
मंज़िलें कहती हैं, रस्ते भी झुकने वाले।

ज़िंदगी शेर थी, अब शेर मैं बन बैठा,
जो मुझे खा नहीं पाया, वो सबक बन बैठा।

तूफ़ानों से लड़ने का हुनर सिखा दिया,
नाव डूब भी गई तो समंदर बना दिया।

राह मुश्किल थी, मगर इरादा बुलंद था,
ख़ुद को हारा नहीं समझा, यही फ़र्ज़ था।

जंग जीतेंगे वही, जो लड़ने का हौसला रखें,
हार भी सर पे सजे, वो विजेता बनें।

मौत भी कहती रही, मुझसे किनारा कर ले,
मैंने हंसकर कहा, जीने का सहारा कर ले।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
चल पड़े हैं तो मुसाफ़िर नहीं रुकने वाले,
मंज़िलें कहती हैं, रस्ते भी झुकने वाले।

ज़िंदगी शेर थी, अब शेर मैं बन बैठा,
जो मुझे ख
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