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KP EDUCATION HD
KP GK EDUCATION HD video recording HD video recording HD video ©KP EDUCATION HD ऑस्ट्रेलिया के पूर्व ऑलराउंडर शेन वॉटसन ने कहा कि इस खिताबी मुकाबले में टीम इंडिया फेवरेट है. रोहित शर्मा की टीम ने टूर्नामेंट में शानदार खे
Vandana
सादगी और शालीनता दिग्गजों की निशानी होती है। अश्लीलता फूहड़ता छोटी सोच की कहानी होती है। हुनर बाज के आगे झुक जाता है जमाना दिखावटी वेशभूषा और चकाचौंध में रिझने वालों की जिंदगी,, कुछ दिनों की रवानगी होती है। इतिहास लिख जाते हैं वो लोग जो सादगी के लिबास में अपनी खूबसूरती बिखेरते है। अपनी मेहनत के दम से नस नस में जान भर देते हैं। कहां श्वेत रंग भी उनको लुभाता है। कड़ी धूप में उसमें भी श्याम रंग भर देते हैं। हरियाणा की सविता पूनिया हॉकी महिला खिलाड़ी है। जिन्होंने गोलकीपर बनके ऑस्ट्रेलिया के बनाम 7 गोल रोके हैं। नमन है ऐसी बेटियों को🙏 आज की बेटि
Dr Jayanti Pandey
कविताओं की मंडी , अक्सर है ठंडी....... बहुत शानदार,......... .बेहद ताज़ी लिखी थी देश पर, ............देश प्रेम से लबालब भरी थी बाजार में इसकी.......... .जबरदस्त कमी थी फिर भी;...... .एक भी कविता नहीं बिकी थी कुछ भीड़ हास्य कविताओं की दुकान पर है लगता है, ....दुनिया न हंस पाने से परेशान है हर व्यक्ति के .चेहरे पर अजीब मुर्दनी छायी है किसी तरह हंसने को.... फूहड़ता भी भायी है सबसे दिलचस्प,...प्रेम कविताओं का स्टाल है हर उम्र के लोगों का,. .वहां एक सा ही हाल है मांग बड़ी भारी है ,...शेरो शायरी की इसमें भी क्षणिकाओं की भी रौनक सभी उम्र में आम है लगता है ..अब बदलना पड़ेगा ये साजो सामान बाजार के हिसाब से,...करना पड़ेगा ताम झाम दिग्गजों का अनुभव युक्त ....सटीक अनुमान है प्रेम की कविताओं की ,चलती अच्छी दुकान है। कविताओं की मंडी , अक्सर है ठंडी....... बहुत शानदार, बेहद ताज़ी लिखी थी देश पर, देश प्रेम से लबालब भरी थी बाजार में इसकी जबरदस्त कमी थी फिर
Vijay Tyagi
"गधे की महिमा" सन 2017 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में एक वक्तव्य बहुत ही संवेदनशील हो गया था, और उस कथन का विषय वस्तु कोई वस्तु ना होकर जीव था यानी कि गधा....,एक चुनावी रैली में राहुल गांधी और उनके मित्र अखिलेश यादव ने गुजरातियों को गधा कहा था। यह शब्द अपने आप में एक खास विशेषण है और विशेष बात यह है कि बचपन में अध्यापकों ने और कभी-कभी तो माता-पिता ने भी इस शब्द से मुझे प्यार से अलंकृत किया था। चुनावी माहौल को गरमाने पर मुझे यह विषय भा गया और मैं कुछ लिख पाया कविता का आनंद अनुशीर्षक में पढ़कर ले..🙏 पप्पू जो अभी तक हवा में चला रहा था चप्पू,लड़खड़ाती साइकिल की आज आस हो गया और ऐसे दिए बयान दिग्गजों ने चुनाव में कि गधा भी देखो खासम खास हो गय
yogesh atmaram ambawale
जीवन के कुछ पल, योर कोट को क्या दिए| वो न भूलनेवाले, यादगार लम्हें बन गए| साथ पाया ऐसे दिग्गजों का, के आज मेरे 6800 कोट बन गए| रुकना नहीं अभी,और भी बहुत लिखना है, आपकी शुभकामनाओं के साथ 10000 तक जाना है| सुप्रभात लेखकों।😊 हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें
Devesh Dixit
Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"
26th June, 2020 जब अति आतुर सत्ता के शिरोमणि, सिंहासन पानें को हर हद पार कर गए। तो 25 जून,सन् 1975 की मध्यरात्रि को; अकारण आपातकाल का एलान कर गए। संपूर्ण भारत को बनाया गया कारागार, लाखों विरोधियों को बंदी बनाया गया। खेल खेला गया हमारे संविधान के संग, मौलिक अधिकारों का भी हनन हुआ। अरे! कई राज़ थें नेताओं के जालशाज़ी के, "रायबरेलीकांड" से क़ानून नें नक़ाब हटा दिया। छह वर्ष तक "इलाहाबाद हाईकोर्ट" नें इंदिरा के, चुनाव लड़नें के मार्ग में अवरोध ही लगा दिया। तेजी से सरक रही थी सत्ता की डोर जब उनके हाथों से, तो "कलंकी बिंदियां" माँ भारती के माथे पर लगा दिया। तोड़ दिया गया कई ईमानदार "कलमों" की नोकों को, कई दिग्गजों की शतरंजी चालों को भी पलट दिया गया। हर एक दिशा में स्थापित किया "श्रीमती" जी का आधिपत्य, कई अख़बारों के बुलंद आवाज़ों को भी बंद करा दिया गया। "इंदिरा इज़ इंडिया, इंडिया इज़ इंदिरा" के भयावह भाव को, यत्र-तत्र-सर्वत्र ही अनेक घोष वाक्यों द्वारा फैला दिया गया। बस राजनीति के गद्दी पर अधिकार जमाये रखनें के लिए "आपातकाल" के आड़ में भ्रष्टाचारियों के ग़लत मंसूबे पले बढ़े। परिवारवादी ही रहा है सदा से इनका भूत और वर्तमान, अपनें कांग्रेस का इतिहास शायद ही "पप्पू" कभी फ़ुर्सत में पढ़ें! -रेखा "मंजुलाहृदय" ©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" ⬇️ आपातकाल का अर्धसत्य °•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•°•° जब अति आतुर सत्ता के शिरोमणि, सिंहासन पानें को हर हद पार कर गए। तो 25 जून
Parul Sharma
तुम कहो तो हँसा भी दूँ मैं तुम कहो तो गुदगुदा भी दूँ मैं तुम कहे तो प्रेयसी के गजरे मैं एक गुलाब लगा भी दूँ मैं पर यहाँ तो बड़े-बड़े दिग्गजों का हुजूम है यहाँ मेरा नाम नहीं? यहाँ तो इन कृतियों के महाग्रंथ है यहाँ मेरा काम नहीं ? मुझे रोकती है आँखों की बेबसी मुझे पुकारती है दिलों की खामोशी मेरी कलम चलती वहीं..... जो कहानी रह गयी अधूरी। पारुल शर्मा तुम कहो तो हँसा भी दूँ मैं तुम कहो तो गुदगुदा भी दूँ मैं तुम कहे तो प्रेयसी के गजरे मैं एक गुलाब लगा भी दूँ मैं पर यहाँ तो बड़े-बड़े दिग