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Mohan Sardarshahari
सावन तीज सबसे न्यारी हरियाली से भरी सब क्यारी झूले पेड़ों पर जब डलते मन के सपनों को पंख लगते रिमझिम बारिश की आवाज पुकारे वर्षा नहाने को । धरती अंबर का देख प्यार सूर्य किरणें बनाती इन्द्रधनुष नीचे भीगी धरती की महक बाहर मोर- पपीहों की चहक लिपटी देख बेल पेड़ों से ललचाये मन आलिंगन को । करें गोरियां सोलह श्रृंगार लगती हर एक गोकुल की नार सहेलियों की हंसी ठिठोली देती प्यार के गहन संदेश नदियों का उफान देख भूले मन हर लाज को । ©Mohan Sardarshahari सावन तीज
veena khandelwal
सावन के झूले सजा झूला चलो कान्हा,बहारें गुनगुनाती हैं। सजी सखियां तरस खाओ,सभी तुमको बुलाती हैं। सुनो मनमोहना तुम राधिका को संग में लाना। जुगल जोड़ी झुलायें हम, बहाने छोड़ तुम आना। अभी कान्हा चले आओ,बहुत यादें सताती है । सजा झूला------ बना चंदन,सजा फूलों,बड़ा ही इत्र भी महका। करें द्विगुणित फुहारें श्रावणी शोभा सु मन चहका । करूं मैं कल्पना श्री संग मैं, राधा झुलाती है। सजा झूला---- ठिकाना तो बता कान्हा, कहां रहते सुखद राशी। कभी गोकुल कभी मथुरा कभी हो द्वारका वासी। ठिकाना दो घड़ी इस हृद बनाने, को बुलाती है। सजा झूला---- तुम्हे राधा लगे प्यारी ,लगे मीरा बड़ी न्यारी। बिगाड़ा क्या भला हमने,करें किस तरह तैयारी। बसाऊं किस तरह हृद में यही बातें सताती है सजा झूला----' सजे झूला जु सावन रीति यह बरसों पुरानी है। यही तो प्रीति की नीती, यही तुमको निभानी है। नयन गंगा बहे जमुना ,हमें यादें रुलाती है। सजा झंला------ वीणा खंडेलवाल तुमसर ©veena khandelwal सावन की तीज की बधाई
Ran parmar
"आ सावन धरती धोरा री" आ सावन धरती धोरा री अरे आ सावन धरती राजस्थानी उमड़ घुमड़ कर चले बादल भई चारों दिशा गगन अंधेर काले काले बादल घोर घटाएं छाई रिमझिम रिमझिम बरसे काले बादल चेक महक पंछियों की होने लगी मधुर सुराग कोयल सुनाएं रिमझिम रिमझिम टपके पानी ऐसा नाच दिखाएं मोर पपाया भर आते ताल तलैया खुश हो जाती धरती मम्मा छाई छतरी हरी भरी हरियाली अगन गगन उमड़े रण के आस चलती पहाड़ों पर ठंडी पवन पत्ते पत्ते छोड़ मुरझाई देख आसमां चलते पहाड़ों में खल खल झरने कल-कल करती बहती नदियां जब उठ लाते आते सावन खुश हो जाती धरती मम्मा आ सावन धरती धोरा री अरे आ सावन धरती राजस्थानी By poet - Ran parmar आ सावन धरती धोरा री
Ran parmar
'आ सावन धरती धोरा री' आ सावन धरती धोरा री अरे आ सावन धरती राजस्थानी उमड़ घुमड़ कर चले बादल भई चारों दिशा गगन अंधेर काले काले बादल घोर घटाएं छाई रिमझिम रिमझिम बरसे काले बादल चेक महक पंछियों की होने लगी मधुर सुराग कोयल सुनाएं रिमझिम रिमझिम टपके पानी ऐसा नाच दिखाएं मोर पपाया भर आते ताल तलैया खुश हो जाती धरती मम्मा छाई छतरी हरी भरी हरियाली अगन गगन उमड़े रण के आस चलती पहाड़ों पर ठंडी पवन पत्ते पत्ते छोड़ मुरझाई देख आसमां चलते पहाड़ों में खल खल झरने कल-कल करती बहती नदियां जब उठ लाते आते सावन खुश हो जाती धरती मम्मा आ सावन धरती धोरा री अरे आ सावन धरती राजस्थानी By poet- Ran parmar आ सावन धरती धोरा री #solace
रचना शर्मा राही
चारों ओर फैली हरियाली तीज की देखो आई बहार झूले पड़ गए पेड़ों पर रिमझिम बारिश की फुहार मेंहदी रची है हाथों पर कर लिया सोलह श्रृंगार मन मयूर झूम उठा है यूं पिया का करना है दीदार सजनी मन में उमंग उल्लास उमड़ रहा साजन का प्यार -रचना शर्मा "राही" #सावन #तीज #yourquote #yourquotedidi #yourquotebaba #yourquotediary #yourfeelings #yourquotehindi
Dr. Vishal Singh Vatslya
तीज का त्यौहार सावन की फुहार ... तेरी पायल की झंकार मेरा प्यार ... तेरी चूडियों की खनकना मेरा बहकना.... तेरी आंखों का कजरा महकता गजरा ... हया से शरमाना होंले से मुस्कुराना .... आज सारी बात होगी हसीं मुलाकात होगी .... Dr.Vishal Singh आप सभी को तीज की हार्दिक शुभकामनाएँ। #तीज #yqdidi #सावन #कजरा #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi
PRIYA SINHA
ये सोच के दिल ❤️ मेरा जोड़ों से धड़कता है किसी और के छत 🏢 पर क्यों 🤔 मेरा चाँद 🌙 चमकता है ????🥺😔😔😔🥺 उन सभी को भी तीज की हार्दिक शुभकामनाएँ जिनके 🌙 उनके साथ हैं और उनको भी जो किसी और के छत पर चमक रहें हैं आई मीन अब वो किसी और के हैं ! 🙏🏻💑🙏🏻💐😁😂😁😂😁 ©PRIYA SINHA #तीज