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लोकसभा चुनाव का दूसरा फेस करीब आते आते उत्तर प्रदेश में हिंदू मुसलमान को लेकर राजनीति तेज हो गई है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपीए सरकार #News #Video #post #viral #Videos #viralpost #trnding #viral_video

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी । पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१ छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं । करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थ #शायरी

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White ग़ज़ल :-
वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी ।
पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१
छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं ।
करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थी ।।२
हटे कैसे नज़र मेरी हँसी रुख से ।
जिसे अब देख तर जाने की जल्दी थी ।।३
न था अपना कोई उसका मगर फिर भी ।
उसे हर रोज घर जाने की जल्दी थी ।।४
सँवरना देखकर तेरा मुझे लगता ।
तुझे दिल में उतर जाने की जल्दी थी ।।५
बताती हार है अब उन महाशय की ।
उन्हें भी तो मुकर जाने की जल्दी थी ।।६
नशे की लत उसे ऐसी लगी यारों ।
जैसे उसको भी मर जाने की जल्दी थी ।।७
सही से खिल नहीं पाये सुमन डाली ।
जमीं पे जो बिखर जाने की जल्दी थी ।।८
लगाये आज हल्दी चंदन वो बैठे ।
न जाने क्यों निखर जाने की जल्दी थी ।।९
किये सब धाम के दर्शन प्रखर ऐसे ।
खब़र किसको निकर जाने की जल्दी थी ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी ।
पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१
छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं ।
करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थ

Fragrance

#SAD १२ #विचार

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#SAD शिर्क किया न कभी रब्बे जुलजलाल से,इसलिए *पशेमा ना हुई महशर ए अंजाम से//१* लज्जित मैं यक़ीं*मुनाफिको पर कैसे करूं,जो करे वादा खिलाफी और #Live #nojotohindi #lifr #shamawritesBebaak

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चित्र-चिंतन :- कुण्डलिया ताला मुँह पर मैं लगा , बैठा अब तक यार । सोचा था अनमोल है , प्रेम जगत व्यहवार ।। प्रेम जगत व्यहवार , इसी में जीव #कविता

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चित्र-चिंतन :- कुण्डलिया
ताला मुँह पर मैं लगा , बैठा अब तक यार ।
सोचा था अनमोल है , प्रेम जगत व्यहवार ।।
प्रेम जगत व्यहवार , इसी में जीवन फलता ।
लेकिन पग-पग आज , हमारा जीवन जलता ।।
त्याग छोड़ व्यहवार , समय कहता है लाला ।
बुजदिल समझें लोग , देखकर मुँह पर ताला ।।


१२/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चित्र-चिंतन :- कुण्डलिया


ताला मुँह पर मैं लगा , बैठा अब तक यार ।

सोचा था अनमोल है , प्रेम जगत व्यहवार ।।

प्रेम जगत व्यहवार , इसी में जीव

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :-  नवदुर्गा माता के नव रूप का , दर्शन का सौभाग्य । पाया जो वागीश ये , लिखने बैठा काव्य ।। लिखने बैठा काव्य , जगत जननी की गाथा । #कविता

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कुण्डलिया :-  नवदुर्गा

माता के नव रूप का , दर्शन का सौभाग्य ।
पाया जो वागीश ये , लिखने बैठा काव्य ।।
लिखने बैठा काव्य , जगत जननी की गाथा ।
देख शारदे मातु , झुका चरणों में माथा ।।
माँ अम्बें की आज , आरती जन-जन गाता ।
होकर खुश वरदान , दिए भक्तों को माता ।।
१२/०४/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :-  नवदुर्गा

माता के नव रूप का , दर्शन का सौभाग्य ।
पाया जो वागीश ये , लिखने बैठा काव्य ।।
लिखने बैठा काव्य , जगत जननी की गाथा ।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- बढ़ाकर हाथ को छू लो गगन को । मिटा दो दिल से तुम अब हर शिकन को ।।१ चलोगे नेक पथ पर जब कभी भी । झुकेंगें फिर वो सिर तेरे नमन को ।।२ हिदा #शायरी

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ग़ज़ल :-
बढ़ाकर हाथ को छू लो गगन को ।
मिटा दो दिल से तुम अब हर शिकन को ।।१

चलोगे नेक पथ पर जब कभी भी ।
झुकेंगें फिर वो सिर तेरे नमन को ।।२

हिदायत तो यही सबको मिली है ।
कि भूलोगे न फिर अपने वतन को ।।३

न जाने पाये वो बचकर इधर से ।
डगर में आज बैठा दो  नयन को ।।४

नहीं आती हमें है नींद तुम बिन ।
करूँ क्या मैं भला जाके शयन को ।।५

उठी आवाज है दिल से अभी ये ।
निभाना है हमें सारे वचन को ।।६

वफ़ा का नाम मत लेना प्रखर तुम ।
तरसते रह गये वह सब कफ़न को ।।७

१२/०४/२०२४   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
बढ़ाकर हाथ को छू लो गगन को ।
मिटा दो दिल से तुम अब हर शिकन को ।।१
चलोगे नेक पथ पर जब कभी भी ।
झुकेंगें फिर वो सिर तेरे नमन को ।।२
हिदा

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास । सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१ बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख । हँसते हैं सब लोग अ #शायरी

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Beautiful Moon Night दोहा :-

माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास ।
सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१
बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख ।
हँसते हैं सब लोग अब , कष्ट हमारे देख ।।२
जीवन से मैं हार कर , होता नही निराश ।
करता रहता कर्म हूँ , होगा क्यों न प्रकाश ।।३
इस दुनिया में मातु पर , रखना नित विश्वास ।
वे ही अपने लाल के , रहती हैं निज पास ।।४
कहकर उसको क्यों बुरा , बुरे बने हम आज ।
ये तो विधि का लेख है , करता वह जो काज ।।५
कभी किसी के कष्ट को , देख हँसे मत आप ।
वह भी माँ का लाल है , हँसकर मत लो श्राप ।।६
मदद नही जब कर सको , रहना उनसे दूर ।
कल उनके जैसे कहीं , आप न हों मजबूर ।।७
करने उसकी ही मदद , भेजे हैं रघुवीर ।
ज्यादा मत कुछ कर सको ,बँधा उसे फिर धीर ।।८
जग में सबकी मातु है, जीव-जन्तु इंसान ।
कर ले उनकी वंदना , मिल जाये भगवान ।।९
माँ की सेवा से कभी , मुख मत लेना मोड़ ।
उनकी सेवा से जुड़े , हैं जीवन के जोड़ ।।१०

११/०४/२०२४       -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-

माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास ।
सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१
बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख ।
हँसते हैं सब लोग अ

Devesh Dixit

#नोट_बंदी #nojotohindi #nojotohindipoetry नोट बंदी नोट बंदी में देख हुआ, सबका बुरा हाल। लगे कतार में बैंक के, मन में उठे सवाल। #Poetry #sandiprohila

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल:- तू फ़िदा है हमीं पे जताती नहीं । क्या मुझे देख तू मुस्कराती नहीं ।।१ थाम लूँ थाम तेरा मैं कैसे भला । प्यार का मैं वहम दिल बिठाती नहीं । #शायरी

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White ग़ज़ल:-
तू फ़िदा है हमीं पे जताती नहीं ।
क्या मुझे देख तू मुस्कराती नहीं ।।१
थाम लूँ थाम तेरा मैं कैसे भला ।
प्यार का मैं वहम दिल बिठाती नहीं ।।२
साथ चलना तुम्हारे अलग बात है ।
साथ पर अजनबी का निभाती नहीं ।।३
जिनसे रिश्ता जुड़ा है यहाँ प्यार का ।
देख उनको कभी मैं रुलाती नहीं ।।४
प्रेम उनका करें कैसे जाहिर यहाँ ।
माँग सिंदूर क्या मैं सजाती नहीं ।।५
दौड़ आयेगा वो  एक आवाज़ में ।
पर उसे भी कभी मैं बुलाती नहीं ।।६
प्यार का सोचकर आज अंज़ाम मैं ।
कोई रिश्ता भी देखो बनाती नहीं ।।७
है सड़क पर बहुत आज मजनूं पड़े ।
मैं नज़र यार उनसे मिलाती नहीं ।।८
भूल तुमसे हुई है जताकर वफ़ा ।
जा प्रखर केश तुझ पर लगाती नहीं ।।९


०६/०४/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल:-
तू फ़िदा है हमीं पे जताती नहीं ।
क्या मुझे देख तू मुस्कराती नहीं ।।१
थाम लूँ थाम तेरा मैं कैसे भला ।
प्यार का मैं वहम दिल बिठाती नहीं ।
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