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Anokhi
खिल गए बहुतेरे कमल,मेरे अंतर उर में.... तेरे भावों के ताल ,जब मिल गए मेरे सुर में...!! ©Abha Anokhi # भावनाओं के पुष्प..!
Gudiya Gupta (kavyatri).....
इन रास्तों के आगे जो समुंदर मिलेगा क्या वहां है कोई जो ...जख्म सिलेगा.... यह पुष्प वफा... वफा के सहारे खारे पानी में भी.... जाकर खेलेगा! ©Gudiya Gupta (kavyatri)..... #वफा के पुष्प
Gudiya Gupta (kavyatri).....
इन रास्तों के आगे जो समुंदर मिलेगा क्या वहां है कोई जो ...जख्म सिलेगा.... यह पुष्प वफा... वफा के सहारे खारे पानी में भी.... जाकर खेलेगा! ©Gudiya Gupta (kavyatri)..... #वफा के पुष्प
pistol waala shayar
वे पुष्प जिन्हें होना चाहिए था प्रेमिका के बालो में गजरा बनकर, आज वो चढ़ाएं जा रहे है उसी प्रेमिका की मैय्यत पर, देखा था जिसने अपने हाथो से गजरे सजाने का ख़्वाब वो हाथ पड़े है कटे चौराहे पर, लेकिन पुष्पो की महक अब भी उन हाथो से आ रही है और मानो कह रही हो देखो ऊंचे सर वालो तुम्हारी तलवार पर लगा लहू सूख जायेगा, लेकिन मै प्रेम पुष्प हूं, फिर अंकुरित हो जाऊंगा किसी नवयौवन के हृदय में पुष्प, प्रेम पुष्प, ढोंगी समाज के नाम एक संदेश #yellowflower
Vipin 'अनीस'
भावनाएं उष्णता से पिघल रही हैं... शब्द उनको संभाल नहीं पा रहे आंसू इतने तप्त हो चुके हैं की वाष्पीकृत हो गये, बचा है तो शुष्क प्रेम का नैसर्गिक सौंदर्य जो अब किसी और धरातल पर बोया न जा सकेगा.. भले ही कितने सावन आ आयें या जितनी भी उपजाऊ मिट्टी मिल जाये, प्रेम का पुष्प अब खिलेगा ही नहीं... #NojotoQuote प्रेम के आखर #आंसू #प्रेम #पुष्प #सावन
Geeta Sharma pranay
होंगे तुम किसी उपवन के पुष्प, पर जब तक मेरे प्रेम की महक उसमें न घुले वह तो रंगहीन ही होगा, सबूत चाहिए, मेरी मुहब्बत का | तो जाओं किसी भी बाग की बगियाँ में, तुम खुद ही , मुझे अपने बीना अधूरा ही पाओगें.... कोई कलि, मिल जाए मेरे प्रेम के बीन | तो कह देना मुझे ,,, अब तो तुम भी हर पुष्प की महक में मुझे ही पाएगा,,, कर लो ये प्रयास भी हर उस पुष्प में जो मैने छोड़ें हैं मेरे प्रेम के फलस्वरूप,,, देखों, ये जो छोटे-छोटे से पुष्प हैं, बंजर भूमि मे भी मेरे प्रेम से महकतें हैं, विश्वास न हो तो देख लेना, अभी भी वहीं मिल जाएंगे मेरा इंतज़ार करते हुए| गीता शर्मा 'प्रणय' पुष्प #
Abhishek Jha
पुष्प कभी परमात्मा के चरणो में तो कभी आत्मा के स्वर्गवास होने पर , कभी किसी कार्य के प्रारम्भ में, तो कभी किताब के पन्नो में अपने अंत तक, कभी किसी स्वागत सत्कार में तो कभी किसी समारोह व सभा आयोजन में, कभी किसी गर्दन में माला बन कर, तो कभी किसी बगीचे की शोभा बन कर, अपने कर्तव्य को निभाते हैं, खुद काँटो में पलते हैं, किंतु अपनी खुशबू से हर पतझड़ के बाद बहार ले आते हैं! ©Abhishek Jha पुष्प