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Hársh Yádáv
"परशुराम", एक अटूट प्रतिज्ञा बाण लगे वहीं , जहाँ लक्ष्य है उसने साधा; ये है उसी 'छटवे अवतार' की अमित चरित्र गाथा ... जो त्रुटियों के बावजूद छोड़ दें, सो राम हैं; जो गर्दन तोड़ दें, तो परशुराम हैं जो बार बार एक मौका फिर दें, सो राम हैं; जो बीच मे से चीर दें, तो परशुराम हैं जो दोषियों पे दया दिखाए,सो राम हैं; जो दोषियों को सबक सिखाए, तो परशुराम हैं धर्म-अधर्म के बीच में, भ्राहमण बनके आए थे; मार निर्मम क्षत्रियों को, वो 'भ्राहमण क्षत्रिय' केहलाए थे शिव के भक्त, नियम सख्त, अपना खौफ फैलाए थे; ले 'विजया' और 'विद्युडभी ', वो परशुराम केहलाए थे धर्मो रक्षति रक्षितः। अर्थात जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उनकी रक्षा करता है। 'यही है हिंदुत्व की पहचान और संस्कृति का सम्मान' फिर भी, कम्बख्त रेह गए हैं कुछ लोग;समाज मे हैं जो बोझ; गलतियाँ दोहराते हैं वो रोज़, बहुत गिरी है उनकी सोच और जनाब, हम भी क्या कर सकते हैं; गैरों के लिए हमारे पास वक्त नहीं;अपनो के लिए हम सक्त नहीं; पर कसम महादेव की, सोच ना बदल दी तो हम शिव भक्त नहीं। जय महाकाल !!!!! ——हर्ष यादव #HopeMessage "परशुराम", एक अटूट प्रतिज्ञा बाण लगे वहीं , जहाँ लक्ष्य है उसने साधा;
HP
यदि आप ईमानदार हैं, समाज के प्रति सच्चे हैं, अन्दर से निर्दोष हैं तो योग्यता का अवमूल्यन आप के लिये एक वरदान है, जो बिना किसी विशेषता के एक विशेष क्षेत्र में आपका महत्व बढ़ाकर समादृत बना देता है। वह दुःख का नहीं हर्ष का विषय है। हर्ष
HARSH VARDHAN
दिल मे छुपाए लाँख दर्द बैठा हू ..।। यहा अपनो की चालाकी देखी हैं..।। लोग फिर भी कहते हैं अरे हर्ष तूने अभी कहा दुनियाँदारी देखी हैं..।। हर्ष वर्धन 💐 अरे हर्ष..
Vikas Sharma Shivaaya'
सातों सबद जू बाजते घरि घरि होते राग । ते मंदिर खाली परे बैसन लागे काग । कबीर जी कहते हैं कि जिन घरों में सप्त स्वर गूंजते थे, पल पल उत्सव मनाए जाते थे, वे घर भी अब खाली पड़े हैं – उन पर कौए बैठने लगे हैं,समय हमेशा तो एक सा नहीं रहता -जहां खुशियाँ थी वहां गम छा जाता है जहां हर्ष था वहां विषाद डेरा डाल सकता है – यह इस संसार में होता रहता है ! 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' हर्ष विषाद
Beena
ये जो जीवन मे हमे मिलता है हर्ष और संताप कुछ और नहीं है शायद है हमारे ही कर्मों का प्रताप तभी तो हमपर कभी बिन मांगे होती है ख़ुशियों की बरसात और कभी रो-रो के थक जाएं पर भगवान भी हमारी सुनता नहीं अलाप जब लगे ये जीवन हमको एक ख़ुशियोंं भरी शौगात बखानते हैं हम सब अपने अच्छे कर्मों का प्रताप फिर जब होती है हमारी दुखों से आंखेचार बेहतर होता ये समझ जाते शायद है ये हमारे किसी बुरे कर्मो से मिला कोई अभिशाप जैसा भी है ये जीवन अपना ही तो है गर दुख मिला है तोफिर सुख भी मिलेगा अगर बढ़ा लेंगे अपने शुभ कर्मों का प्रताप हर्ष और संताप
Surender Kumar
Life line सोचा..शायरी के पन्नों पर लिखूँ, कुछ ऐसा पेगाम तुम्हारा। जिसमें आधी सी हो हकीकत और आधा सा हो अफ़साना। पथ पर चढ़णा और चढ़ते जाना, मंजिल चाहे दूर हो कितनी, हर हाल है उसे अब पाना। बस अपनों का हो साथ हमेशा, फिर चाहे कोई रोके दुश्मन या कोई ज़माना। दुनिया की बेदर्दी से,कम ना हो "प्रीति" का नज़राना.. क्योकि उसकी अपनी हकीकत और उसका अपना अफ़साना। प्रीति = प्यार, हर्ष