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Preeti Karn

# अमरबेल #yqdidihindipoetry

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सघन लिपटी दरख्तों  से  अमरबेल की
प्रतिबद्धता 
कुछ प्रेम की  असीम पराकाष्ठा 
ही  तो  है 
समूल नष्ट करने   के
विफल  होते 
अथक प्रयास  
 बरसों  आश्रित   पोषित 
बिना किसी  आडंबर उपक्रम के 
न पुष्पित पल्लवित  होती 
न  खुद से  मुक्त  ही कर पातीं
बस आच्छादित  रखती
अपने  स्वरूप से 
सांस लेने  तक की 
गुंजाइश  नहीं 
उलझी उलझी 
बेलें... 
           प्रीति 





 # अमरबेल 
#yqdidihindipoetry

Ek villain

#अमरबेल शायरी की वंशवाद राजनीति #youandme #Society

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वर्ष 1994 में आई फिल्म सरदार का एक दृश्य है उस में दिखाया गया कि सरदार पटेल शाम के थके हारे घर लौटे बिस्तर पर लेट ही रहे थे कि अपनी बेटी मनीबेन से घर आई डाक के बारे में पूछते हैं बड़ी बहन बना बनाती है कि भाई दिल्ली आना चाहता है पाटिल मणि बहन को सुझाव देते हैं कि वह लौटते डाक से चिट्ठी भेज देगी जब तक मैं मंत्री हैं तब तक वह दिल्ली आने की ना सोचे उनका अर्थहीन संदेश यही है कि पाटिल जब तक जीवित रहे उन्हें अपने परिवार के किसी व्यक्ति को राजनीति में उन्होंने आगे नहीं बढ़ाया असल में यह विवरण विगत 15 मार्च को हुई भाजपा संसदीय दल की बैठक में परिवारवाद की राजनीति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रहार से प्रतीत होता है इसमें प्रधानमंत्री ने दो टूक कहा था कि हालांकि विधानसभा चुनाव में पार्टी नेताओं के बेटा बेटियों के टिकट उनके कहने पर काटे गए उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीति को परिवारवाद खोखला कर रहा है और हमें इससे निपटना होगा

©Ek villain #अमरबेल शायरी की वंशवाद राजनीति

#youandme

Nimisha Mishra HI

लिपटी रहना चाहती हूं तुझसे किसी अमरबेल की तरह ♥️ #flowers

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लिपटी रहना चाहती हूं 
तुझसे ,
किसी अमरबेल की तरह  ।।

©Nimisha Mishra लिपटी रहना चाहती हूं तुझसे किसी अमरबेल की तरह ♥️

#flowers

Ganesh Nishad

#अमरबेल से तुलना विथ friend अनजान लेखक Kamlesh Pujari 😎📝 @arvindmandavi #विचार

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प्रत्यक्ष में सुन्दर दिखती हैं, परोक्ष में खाना पानी चुराती है!!
ऐसा मित्र को त्याग देना चाहिये, ये तो ऐसा है, जैसे जहर से भरे घड़े के मुख पर दूध डालकर रखा करो.... 
- गणेश निषाद ✍️✍️ #अमरबेल से तुलना विथ friend 
अनजान लेखक Kamlesh Pujari 😎📝 @arvindmandavi

Shubhro K

#18May2022 अमरबेल (Cuscuta) एक ख़तरनाक परजीवी होता है, जो ख़ुद जीने के लिए, बड़े दरख़्तों से लिपट कर उनकी ज़िन्दगी ही चूस लेती है... मेरे

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Babita Kumari

#Cuscutta #अमरबेल #काशबेल #for #Hair #Growth R K Mishra " सूर्य " Aj Stories विवेक कान्हेकर(जिंदगी का मुसाफिर,.🚶) FAKIR SAAB Aditya kumar p #Motivational

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Neeta Bharadwaj

# मैंने देखा है..कई अमरबेलों को, कुछ इस तरह पलते बढ़ते हुए.. कि दरअसल किस वृक्ष ने दिया था सहारा कोई पूछता ही नहीं..hindikavit #Life #shayri #hindikavita #nojotohindi

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साथ     मैंने देखा है..कई अमरबेलों को,
 कुछ इस तरह पलते बढ़ते हुए..
 कि दरअसल किस वृक्ष ने दिया  था        सहारा कोई पूछता ही  नहीं...

©neeta bharadwaj #    मैंने देखा है..कई अमरबेलों को,
 कुछ इस तरह पलते बढ़ते हुए..
 कि दरअसल किस वृक्ष ने दिया  था        सहारा कोई पूछता ही  नहीं..#hindikavit

सुसि ग़ाफ़िल

लब के लब पास है तो इंतजार किस बात का कसक उठी मिलन की तो इंकार किस बात का| चूम कर आंखों को आंखों में देखो अगर ना आंखें देखूं #सुशील_ग़ाफ़िल

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लब के लब  पास  है तो 
इंतजार  किस  बात का
कसक उठी  मिलन की 
तो इंकार किस बात का |

चूम  कर  आंखों  को 
आंखों  में  देखो अगर 
ना   आंखें   देखूं   तो 
प्यार  किस  बात  का |

पलकों पर लग गया है 
होठों  का   रस   अब 
लाख   पतझड़  आए 
डरना  किस  बात का |

तुम बन कर अमरबेल 
समेटो अपनी बाहों में
छोड़ने का ख्याल आए 
तो आए किस बात का |

"सुशील" लिखता है          • सुशील ग़ाफ़िल •
कल्पनाएं फिर भी मिले 
कोई सच्चा तो फिर 
मलाल किस बात का | लब के लब पास है तो 
इंतजार किस बात का
कसक उठी  मिलन की 
तो इंकार किस बात का|

चूम  कर  आंखों  को 
आंखों  में देखो अगर 
ना   आंखें   देखूं

Er.Shivampandit

#मेरे_देव! प्रेम के वनों में रहते हो साथ मेरे निरंतर ही सृष्टि के हर चक्र में और इतने विघटन के बाद भी मैं लिपट जाता हूँ तुमसे अमरबेल की तर #Thoughts #Banaras #nojotohindi #nojotoapp #प्रभु

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SURAJ आफताबी

मार्मिकता और कल्पनाओं को संयोजन को शब्द देने का प्रयास 🙏🙏😊😊 जब लगे सांझ का मुलम्मा छूट अलसाई रात चढ़ने लगी है सर्द रात की ओट में चांद एक #Hindi #yqbaba #yqdidi #कविताएँज़िंदारहतीहैं #surajaaftabi #मार्मिक_भावना

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जब लगे सांझ का मुलम्मा छूट अलसाई रात चढ़ने लगी है
सर्द रात की ओट में चांद एक ओस की बूंद बन चुका है
फिर लगे कि अंततः प्रतीक्षारत चांदनी घाट से उतर हृद में बिखरने लगी है
और चांद कहीं थका-हारा धरा की गोद में आंख मूंद चुका है
तब उस हृद के घाट का जल अंजुरी में भर पूछना उसमें घुली चांदनी की वेदना
हर रात यूं ही किसी की प्रत्याशा में उसके बिखरते कण-कण की विवेचना
जवाब में हृदय की विप्लवता से तुम्हारे नैनजल उसमें वर्षा की बूंदों की भांति गिरने लगे
कहीं सुदूर शून्य से आती समीर के तरल चुंबन तुम्हारी देह को अमरबेल जैसे जकड़ने लगे
उस छिनक मेरे सारे प्रणय संदर्भ तुम्हें ब्रह्माडं की एकाकी में छोड़ गूंजते करुण नाद लगेंगे
जो सिर्फ़ तुम्हारे कानों के द्वार तक पहुंच श्वास छोड़ दिये वो अधूरेपन में सने संवाद लगेंगे
मगर तब अपनी संवेदनाओं की ज्वाला में डूब तुम आसमां की कोई तारिका बन जाओगी
मैं अपनी वर्ज़ना की व्यथा समेट धरा के गर्भ में लेटा एक करूण स्वर बीज बन जाऊंगा
उस अनंत मीलों की दूरी पर जब कोई गर्ज़ना सुनाई देगी तब बारिश से भीगा निकलूंगा मैं
और स्तिमित आंखों से निहारेंगे हम एक दूसरे को एक अपूर्व अपूर्णता की व्यर्थ पूर्णता हेतु... मार्मिकता और कल्पनाओं को संयोजन को शब्द देने का प्रयास 🙏🙏😊😊


जब लगे सांझ का मुलम्मा छूट अलसाई रात चढ़ने लगी है

सर्द रात की ओट में चांद एक
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