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Vickram
White एक सच से धीरे से दिखावे की शुरुवात हुई फिर सफर में कितने दिखलवाटी और भी मिले इस तरह शुरुवात हुई एक अजीब से नाटक की जिसकी शुरुवात में ही सिर्फ सच का साथ था कितना बुरा था ज़माने का असर सभी के लिए हर कोई एक दूसरे से बुरा ही सीखता रहा पहले नहीं था कभी ऐसा माहौल ज़िंदगी का अचानक इतना जहर हवा में कहा से आ गया कभी साथी हुआ करता था साथ देने के लिए आज साथ का मतलब है धौंका और सौदा क्यों सही राय नहीं देता कोई किसी को यहां हर कोई एक दूसरे को डूबाने की फिराक में है ©Vickram #emotional_sad_shayari फिर भी सभी कहते हैं सही चल रहा है,,,
ज़ख्मी दिल
White तुम क्या जानो मैं खुद से शर्मिंदा हूं, छूट गया है साथ तुम्हारा, फिर भी जिंदा हु..!!! ©सत्यमेव जयते #फिर भी जिंदा हु..!!!
SK Singhania
धुप बहुत कड़ी है, बदन जल रहा है.. कुछ तकलीफ ज़रूर है, पर घर चल रहा है..!! सुनिल-कुमार #SKG #जयभीम ©SK Singhania #LongRoad धुप बहुत कड़ी है, बदन जल रहा है.. कुछ तकलीफ ज़रूर है, पर घर चल रहा है..!! सुनिल-कुमार #SKG #जयभीम
Mahesh Patel
White सहेली..... संदेह में दौड़ने से लाख बेहतर है.. आत्मविश्वास से पैदल चलना... लाला..... ©Mahesh Patel सहेली..पैदल चलना.. लाला,
Bulbul varshney
इंतजार की घड़ी बहुत धीमी चलती है जिसका हम बेसब्री से पलके बिछा के इंतजार करते हैं उसे जल्दी सामने आने ही नहीं देती है। ©Bulbul varshney #samay वक्त बहुत धीरे-धीरे चल रहा है ।
Arora PR
Men walking on dark street इसी दुनिया ने एक दिन मुझे ठुकराया था याद है मुझे आज वही मै हूँ और इसी दुनिया क़ो अब ठोकरो मे रखता हु ©Arora PR l वही हु मै
Radhey Ray
मै इसलिए नही लिखता, ताकि तुम पढ़ सको, मै इसलिए लिखता हु, ताकि जिंदा हु अभी भी, तुम ये जान सको ll 🚫ADDICTED ©Radhey Ray अभी भी जिंदा हु...
Arora PR
चल चल रे मुसाफिर चल तू उस दुनिया मे चल जहा न हो कोई फ़िक् जहा न हो मौत का कोई डर ©Arora PR चल चल रे मुसाफिर चल
Gondwana Sherni 750
"मैं कौन हूँ, बतलाने के लिए तस्वीरों की जरूरत है क्या ? आचरण को चमकाने के लिए हीरों की जरूरत है क्या ?" जो पहले से प्यार के महीन धागों से बंधा हुआ है, उसको बांधने के लिए जंजीरों की जरूरत है क्या ? हम मेहनत के भरोसे जिये, न की किस्मत के भरोसे, हाथ ही काफी हैं, हाथों में लकीरों की जरूरत है क्या ? इंसान बने रहिये, इंसानियत में असंख्य संभावनाएं हैं, गरीबों की जरूरत है क्या, अमीरों की जरूरत है क्या ? मैं अकेली ही काफी हूँ, टूटकर संभलने-बढने से लिए, मंजिल तक पंहुचने के लिए राहगीरों की जरूरत है क्या ?" Preeti uikye 750 17/03124 ©Gondwana Sherni 750 अकेले काफी हु