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आयुष पंचोली
कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो हर चीज को मजाक समझ लेते हैं। कोई सच बयां करता हैं ,आंसुओ मे भिगोकर पलकें, लोग उसे दर्दभरा किस्सा समझ लेते हैं। किसी को नसीब होती नही सच को पढने,सुनने वाली तालियाँ, कोई उकेरता हैं भाव अपने सच्चे, लोग उसे भी कलमकार समझ लेते हैं। जज्बातों को किसी के कोई समझता नही, लोग अपनी सोच के अनुसार भाव समझ लेते हैं। दर्द का एहसास समझता हैं वही , जिसने चोट खाई हैं, लोग तो किसी की कराह को भी नाटक समझ लेते हैं। हाँ होते हैं कुछ लोग ऐसे भी..............!!!!!!!!! आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #NojotoQuote कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो हर चीज को मजाक समझ लेते हैं। कोई सच बयां करता हैं ,आंसुओ मे भिगोकर पलकें, लोग उसे दर्दभरा किस्सा समझ लेते हैं।
अज़नबी किताब
नाटक.. रंगमंच... कलाकार... कला... दर्शक.. कुछ ऐसा हुआ, में रंगमंच पे खड़ी थी, और मेरी कला मेरा हाथ थामे | दर्शक मेरी कला से मुझे पहचानते थे.. क्या खूब कला थी, खुदा की देख हुआ करती थी | एक बार बोली बात, में जमी को ख़त्म हो ने पर भी निभाती थी, कला थी.. वचन निभाने की, नाटक बन गयी.. रंगमंच पे उस खुदा के, में आज एक कटपुतली बन गयी... वचन निभाती नहीं, ऐसा सुना है मेने, दर्शकों से | क्या कहु, कला खो गयी, पर ये कला उनके लिए कायम है, जो सही में आज भी वचन को समझते है | कला खुदा की देन होती है, खुदा भी ख़ुश होते होंगे मेरे वचन ना निभाने से.. -अज़नबी किताब नाटक..
Arora PR
स्वप्नलोको के प्रलोबन मुझे कभी सममोहित नहीं कर सकते क्योकि मैं हर स्वप्न कोबन्द आँखों का नाटक ही समझता हूँ ©Arora PR नाटक
Vrishali G
जीवनाच्या नाटकात सहभाग सगळ्यांचा असतो पण आपली भुमिका नाही वठली तर सारा तमाशा होऊन जातो नाटक
Babli BhatiBaisla
झूठे और ओछे मक्कार महात्मा को कोई नहीं पूछता काले पड़ गए मैले मनको को कोई नहीं पूजता आर्यो की धरती पर शास्त्रों का ऊंचा स्थान है भारत मां के शास्त्रियों की विश्व में अलग पहचान है लाल बहादुर शास्त्री हो या धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री दोनों ने साबित कर दिखाया गरीबी नहीं पिछाड़ती महानता में पिछड़ जाते हैं धनाढ्य भी नीयत से बहुत मूर्ख लगते हैं भूख हड़ताल का नाटक करते हष्ट-पुष्ट काटा है लम्बा सफ़र आंखें मूंद कर अनपढ बहुत थे पढ़ कर समझ गए सभी जयचंद और शकुनि कौन थे बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla नाटक
श्रीमंत हेमंत मानकर
आम्ही चार चौघी नव्हे.. सृष्टी चे पंचतत्व आहोत.. ज्यात आपणा सर्वांना विलीन व्हायचं आहे.. तरी आमच्या वर अत्याचार?????? या बरं दोना चे चार नव्हे पाच हात करायला.. 14 ऑक्टोबर ला, नागपूर च्या रेशीम बागेतील, सुरेश भट सभागृहात, सायंकाळी 6.00 वाजता. ""चिंधी बाज़ार***** नाटक बघायला भामरागड आदिवासी असहाय मुलांच्या साहतयार्थ अण्णा भाऊ साठे जन्म शताब्दी वर्षा निमित्त चॅरिटी शो.. जरूर या जी ! अनुदान फक्त 100/- रुपये नाटक लौंचिंग
श्रीमंत हेमंत मानकर
#Pehlealfaaz भाई,, उन साथ गुजारे हुए.. चंद लमहो की कसम.. तुझे कल "चिंधी बाजार *** देखने आना हैं ,, भाई.. कसम नटेश्वर की.. नाटक लौंचिंग
श्रीमंत हेमंत मानकर
#Pehlealfaaz अहो,, ऐकलं का.. तुम्हाला नटेश्वराची शपथ.. प्लीज उद्या या ना ग डे.. चिंधी बाजार ** नाटक बघायला.. नाटक लॉन्चिंग