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Shankar kamble
ऋतू आला चैतन्याचा गंध दरवळे ओला साज शृंगारली धरा लपेटून गर्द शेला सर वेडी श्रावणाची क्षण येते क्षण जाते पाठशिवी ऊन छाया उलगढे गूढ नाते पानोपानी ती नवाळी हिरवाई माखलेली सप्तरंगी इंद्रचापी महिरपी रेखलेली श्रावणात सृष्टी न्हाली अंकुरले मातीपोटी बीज आशेचे कोवळे स्वप्नं रेखते ललाटी हर्ष उल्हास मनाला नवी मिळते उभारी मांगल्याचे, नाविन्याचे सजे तोरण हे दारी भूल पडली देहाला सारा सुखद सोहळा मनीं झूले आठवांचा मधू सूरम्य हिंदोळा ©Shankar kamble #श्रावण #श्रावणमास #पाऊस #श्रावण_सर #श्रावणधारा #श्रावणी_सोमवारी #श्रावणातील #पाऊसाततुझीआठवण
Archana Deshpande-Pol
आभाळाने पूर्व दिशेला रंग केशरी शिंपडला. पात्यावरती हिरव्या कोमल दवबिंदूही चमचमला. प्राजक्ताने सडा शिंपला मत्त केवडा दरवळला. शुभ्र सायली खुदकन हसली हिरवा चाफा मोहरला. शेवंतीचा संग लाजरा लुब्ध मोगरा बावरला. मुग्ध अबोली हळूच फुलली प्रीतरंगही बघ खुलला. पानोपानी अत्तरगंधी गंध गुलाबी घमघमला. रंगगंधुली सुमने वेली आसमंतही फुलारला. झरझर झरती श्रावणधारा गंध धरेचा दरवळला. नव्या ऋतूचा साज लेवुनी निसर्गराजा सुखावला. ©अर्चू.. #श्रावणगंध
Rajeev Tiwari
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् । आप सभी को भगवान शिव की आराधना के पवित्र माह सावन के शुभारम्भ की हार्दिक शुभकामनाएं। यह पावन महीना आप सभी के जीवन में भरपूर खुशियां व सुख-समृद्धि लाएं तथा देवों के देव महादेव की कृपा हम सभी पर बनी रहें।🔱🔱 ©Rajeev Tiwari #श्रावणमाह
राघव_रमण (R.J)..
बम बम चलु चलु हर हर चलु चलु घुमय लेल मिथिला देश ओतय पुजब चरण हम महेश बम बम चलु चलु ......... सजल कांवर गंगाजल भरल अछि सब कमरथुआ बाट धरल अछि चलु भोगल बहुत हम क्लेश ओतय पुजब चरण हम महेश बम बम चलु चलु ........... कंकड़ पाथर सौंस पैर गरल अछि रौद पैन मुदा सब कियो अड़ल अछि भेटताह सबकें दिगम्बर उमेश ओतय पुजब चरण हम महेश बम बम चलु चलु ...... हे औढ़रदानी द्वार बैसल छी बड दुख कटलहुं आश टंगल अछि कनय राघव बनियौ हितेश ओतय पुजब चरण हम महेश बम बम चलु चलु यौ ..... राघव रमण #श्रावणी_सोमवारी
राघव_रमण (R.J)..
यौ भोला कतय अहां रूसल छी गौरी ताकि रहल छथ ना ।। भांगक पोटरी घर टांगल अछि आक धथुरो ना की ताकय लेल घर सं परायल कतय ढ़ुकल छी ना यौ भोला .... पूव दिशा गणपति जा देखला कार्तिक पश्चिम ना नन्दी बाबा चहुंदिस ताकथि कतय छुपल छी ना यौ भोला ..... नागक माला खसल बाट मे डमरू हरायल ना बाघक छाला रहल कैलाशे कतय गंग बैसायल ना यौ भोला ........ हे औढ़र दानी घुरि आबु हम संग खेलायब न देखु राघव करय गोहारि झुकि शीश नवायब ना यौ भोला ......... ©राघव_रमण 24/07/19 #श्रावणी_सोमवारी
शुभम दि. कांबळे
या श्रावण सरींप्रमाणे, तुझ्या आठवणींचा पाऊस, या वेड्या मनाला बेधुंद करून जातो... रात्र रात्र जागून मी, तुझ्याच स्वप्नांना साद घालतो.. - शुभम दिपक कांबळे #श्रावणसरी...