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joshi joshi diljala
उड़ जाएगी खाकर मेरी दुनिया के तराने में। गूंजेंगे गीत मेरे एक दिन सभी जवानों में। अल्लाह ताला आपको जन्नत में जगा दे। ©joshi joshi diljala उड़ जाएगी खाकर मेरी दुनिया के तराने में। गूंजेंगे गीत मेरे एक दिन सभी जवानों में। अल्लाह ताला आपको जन्नत में जगा दे।
KUNWA SAY
कुछ लुटकर, कुछ लुटाकर लौट आया हूँ वफा की उम्मीद में धोखा खाकर लौट आया हूँ अब तुम याद भी आओगे फिर भी न पाओगे हँसते लबों से सारे ग़म छुपाकर लौट आया हूँ। follow kare ©KUNWA SAY #retro कुछ लुटकर, कुछ लुटाकर लौट आया हूँ वफा की उम्मीद में धोखा खाकर लौट आया हूँ अब तुम याद भी आओगे फिर भी न पाओगे हँसते लबों से सारे ग़म छु
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल:- जो पढ़ाते पाठ थे की सादगी क्या चीज है । भूख ने उनको सिखाया बेबसी क्या चीज है ।।१ कौन समझाये बताओ मूर्ख इस इंसान को । खा गये हैं जानवर तो आदमी क्या चीज है ।२ हौसलों ने पाल रख़्खा हो जिसे इस दौर में । पूछियेगा फिर न उससे कीमती क्या चीज है ।।३ गर्दिशो से उठ के ऊपर फैसले जिसने लिए । ज़िन्दगी उनको सिखाती लाज़मी क्या चीज है ।।४ ठोकरें खाकर सँभलता जो यहाँ इंसान अब । जानता वो ही यहाँ पर ज़िन्दगी क्या चीज है ।।५ लूटकर घर भर लिए हैं देख लो खादिम यहाँ । अब नहीं तुम कह सकोगे की कमी क्या चीज है ।।६ प्यार गर दिल से प्रखर तो भूल जा ये दर्द भी । यार जो हँसकर मिलें तो ये नमी क्या चीज है ।।७ २०/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल:- जो पढ़ाते पाठ थे की सादगी क्या चीज है । भूख ने उनको सिखाया बेबसी क्या चीज है ।।१ कौन समझाये बताओ मूर्ख इस इंसान को । खा गये हैं जानवर
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
दर्द उगते रहे मैं गुनगुनाता रहा चोट खाकर भी,मुस्कुराता रहा हादसों की कितनी सूरत लिए वक्त आता रहा और'जाता रहा देवता मानने की, भूल हो गई पत्थरों पर सिर, टकराता रहा बस्ती के अंधेरे से घबरा गया रात भर उम्मीदें, जलाता रहा खुरच दी लकीरें हथेलियों से नसीब इस तरह मिटाता रहा मुर्दा एहसास की वो कहानी बेवज़ह सभीको सुनाता रहा तमाम उम्र गफ़लत में गुजरी हकीकत की मार खाता रहा ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS #दर्द #उगते #रहे #मैं #गुनगुनाता रहा चोट खाकर भी,मुस्कुराता रहा हादसों की कितनी सूरत लिए वक्त आता रहा और'जाता रहा देवता मानने की, भूल हो
aapki_adhuri_baten
#सुनो ठोकरें खाकर भी ना संभले तो मुसाफिर का नसीब है, वरना राह के पत्थर तो अपना फ़र्ज़ अदा करते हैं मोहतरमा... #Radha ©aapki_adhuri_baten #Glazing #सुनो ठोकरें खाकर भी ना संभले तो मुसाफिर का नसीब है, वरना राह के पत्थर तो अपना फ़र्ज़ अदा करते हैं मोहतरमा... #Radha
Himanshu Prajapati
क्यों खाना कुछ और जब मजा आता है खाकर दाल भात, फिर नींद बहुत अच्छी आती है चाहे दिन हो या रात..! ©Himanshu Prajapati #Apocalypse क्यों खाना कुछ और जब मजा आता है खाकर दाल भात, फिर नींद बहुत अच्छी आती है चाहे दिन हो या रात..!
Prerna Singh
आर्ट ही तो होता हैं सैकरीफाइस । हम अपने गम को मुस्कान में तब्दील कर देते हैं। और साने वाले ककको लगता हैं हम हृदयविहिन हैं..... ©Prerna Singh गलत नहीं #असभ्य व्यवहार हैं। अपना जल्दी जल्दी खाकर दुसरे के थाली से #छीन #झपट कर पीठ घुमा कर हंस हंस कर खाना...और कहना #सैक्रीफाइस भी कभी कभ
Npr
Jai shree ram भेद भाव से परे... सबरी के जूठे बेर खाकर मर्यादा की प्रकाष्ठा रखने वाले प्रभु श्री राम को नमन 🙏 ©Npr 🚨भेद भाव 🙏से परे... सबरी के जूठे👍🚨 बेर खाकर मर्यादा की🌞 प्रकाष्ठा रखने वाले प्रभु श्री राम को नमन🙏💯 #JaiShreeRam #Npr
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
खिचड़ी के त्यौहार में , खुशी बाँटते लोग । अन्न दान करके वही , करते उसका भोग ।। करते उसका भोग , सजाकर सबके सपने । नहीं किसी से बैर , सभी तो लगते अपने ।। सबकी खुशियाँ देख , खुशी से उछले पगड़ी । आयी है संक्रांति , मनाते हम सब खिचड़ी ।। खाकर छप्पन भोग भी , मिलती खुशी न देख । कौर-कौर खिचड़ी मिली , बदली अपनी रेख ।। बदली अपनी रेख , प्यार से महका जीवन । बिखराओ ये फूल , यही तो अपना उपवन ।। आओ खेले आज ,प्रखर हम तुम ये लगँड़ी । बदले सभी रिवाज ,साथ में खाकर खिचड़ी ।। १५/०१/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR खिचड़ी के त्यौहार में , खुशी बाँटते लोग । अन्न दान करके वही , करते उसका भोग ।। करते उसका भोग , सजाकर सबके सपने । नहीं किसी से बैर , सभी त
Himanshu Prajapati
उस पगली के चक्कर में इतना घुमा इतना घुमा की घूम घूम कर गिर गया, लोग समझ नहीं पाए की चक्कर खाकर गिरा है या कमजोरी से..! ©Himanshu Prajapati #Funny उस पगली के चक्कर में इतना घुमा इतना घुमा की घूम घूम कर गिर गया, लोग समझ नहीं पाए की चक्कर खाकर गिरा है या कमजोरी से..!