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Manojkumar Srivastava
White विशाल से विशाल पत्थर सैकड़ों साल पड़ा रहता है तो उसमें कोई गतिविधि और हलचल नहीं होती! वह हिल- डुल नहीं सकता और न कोई क्रिया कर सकता क्योंकि वह अचेतन है,निष्क्रिय है! दूसरी ओर चींटी सबसे छोटा जीव है फिर भी चल,फिर सकता है,आगे- पीछे चल सकता है! खा पी सकता है,सो सकता है और वह जो चाहे वह क्रिया कर सकता है क्योंकि वह चेतन है,सजीव है! मनुष्य के अलावा अन्य जीवों में चेतना का स्तर न्यून होता है! चेतना जितनी अधिक होगी सृजनशीलता,चिन्तनशीलता- मननशीलता उतनी अधिक होगी जिससे नये- नये विचार उत्पन्न होंगे! मनुष्यों में भी चेतना का स्तर समान नहीं होता! मैंने इंटरमीडिएट में तर्कशास्त्र पढ़ा है! इसमें मनुष्य और पशु में अन्तर बताया गया है! मनुष्य= पशुता+ विवेकशीलता (Human beings=Animality + Rationality) चिन्तन- मनन करनेवाले प्राणी को मनुष्य कहा गया है और जो चिन्तन- मनन में दक्ष होता है उसे मुनि कहते हैं! अत: मुनियों को चिन्तन- मनन से भागना नहीं चाहिए! किसी भी विषय पर निष्पक्ष होकर तार्किक रूप से विचार करना चाहिए किन्तु यह घोर आश्चर्य का विषय है हर वर्ग- अनपढ़,शिक्षित,उच्च शिक्षित,गरीब,धनी से चिन्तन- मनन की प्रवृत्ति लुप्त हो रही है! मुनि समाज में स्थिति सुखद नहीं है! किसी विषय पर चर्चा नहीं करना और किसी पुस्तक में जो भी लिखा गया है उसे ही अन्तिम मान लेना मानसिकता बन गयी है जो मुनि समाज के विकास में बाधक बन सकता है! जय जय जीव मुनि/ मुनिमती जी!🙏🌺🌻🌹🌷 सद्गुरु योगेश्वर शिव मुनि महाराज की जय! ©Manojkumar Srivastava #nightthoughts #योग का महत्त्व#
Manojkumar Srivastava
लॉजिक यानी तर्क का प्रयोग एक दुर्लभ घटना है! अनपढ़,शिक्षित,उच्च शिक्षित,बुद्धिजीवी,पत्रकार,लेखक,कवि,नेता,अभिनेता, अधिवक्ता,न्यायाधीश,खिलाड़ी,कर्मचारी,अधिकारी,उद्योगपति तर्क,चिंतन- मनन करना भूल चुके हैं और इस कला को सीखना भी नहीं चाहते! दु:ख,तनाव,गलत निर्णय,विवाद,कलह,मारपीट,खून- खराबा,मुकदमाबाजी का मूल कारण यही है! ©Manojkumar Srivastava #truecolors #तर्क का महत्त्व#
Sarvesh Kumar Maurya
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} शरीर नाशवान् है, और उसे जानने वाला शरीरी अविनाशी है, - इस विवेक को महत्त्व देना, और अपने कर्तव्य का पालन करना - इन दोनों में से किसी भी एक उपाय को काम में लाने से चिन्ता - शोक मिट जाते हैं। जय श्री राधे कृष्ण जी ©N S Yadav GoldMine #oddone {Bolo Ji Radhey Radhey} शरीर नाशवान् है, और उसे जानने वाला शरीरी अविनाशी है, - इस विवेक को महत्त्व देना, और अपने कर्तव्य का पालन
Sangeeta Kalbhor
आठवून बघ आठवतय का तुला मी तक्रार केल्याची.. हो ,नाही असं नाही...केली असेल पण ती फक्त आणि फक्त तुझ्या सहवासात राहण्यासाठी ...बाकी नसतेच रे तुझ्याकडून मला काही हवं असणं.. आणि सांग ना..का असायला हवं काही तुझ्याकडून मला.. असंही आपलं शब्दांचं नातं..शब्दाशब्दांनी फुललेलं आणि शब्दांपुरतचं उरलेलं.. तसा मी माळलाय श्वास माझ्या श्वासात तुझा.. पण..पण...तुला हे कसे कळावं.. आणि तुला कळून यायला तरी मी कुठे हट्ट केलाय.. ठरवलेच होते तसेच आणि तसेच वागतेय मी.. शब्दांतून जगतेय तुला..शब्दांतूनच जगवतेय मला.. तक्रार..सांग ना कुठल्या गोष्टीची करु... तू ना कधी भेटलास मला ना कधी भेटणार... निर्विकार असं एक रुप तुझं जे शब्दाशब्दात मला गवसत..त्याकडे कशी बरं तक्रार मी करायची.. मला तरी नाही रे जमणार...मग काहीही झाले तरी.. तू मला तुझी मानतोस की नाही या फंद्यातही नाही पडायचे मला..कारण त्याने माझ्यात काहीही फरक पडणार नाही...तसूभरही... मी तुला मानते..मी तुला माळते एवढे बस आहे माझ्यासाठी आणि तुझ्यावर असलेल्या प्रीतीसाठी.. नकोचं भेट आणि नकोचं बोलणं थेट... शब्द आहेत की भाव व्यक्त करायला आणि तुझ्यावरचे प्रेम व्यक्त करायला... आताशा मला कसलाही त्रास होत नाही रे..कसलाचं.. तू मला block कर अथवा unblock मी मस्त असणार आहे माझ्या विचारात ..माझ्या शब्दात ..ज्या शब्दात तू असणार आहेस.. तू नसूनही असणारचं आहेस शब्दात तेव्हा देहरुपाने असाणाऱ्या अस्तित्वापेक्षा निश्चल ,निर्विकार रुप मला भावतं..फक्त मी मग्न आहे ना याला महत्त्व आणि हेचं बघ माझं तत्व.. नको असताना झाली प्रीती आणि बसले मी चित्त तुला अर्पूण... आता यायला हवी अविस्मरणाची लाट जी मला माझेपण हरवून दूर घेऊन जाईल...क्षितीजापल्याड..जिथे जाणीवचं हरवून जाईल... माझी नसण्याचीही.. आणि उरणार नाही मग त ही तक्रारीचा जो तुझी तक्रार करु शकेल... कळत नकळत ..... पण ऐक हं... तू कितीही दूर गेलास किंवा लपलास कुठेही..तरी नाही कमी व्हायची माझी प्रीती जी माझ्यावरही नाही होऊ शकणार माझ्याच्याने कधीचं... कळेल का एवढे रे तुला..मी न सांगता न मागता देशील का माझ्या शब्दात माळण्याचा हक्क...जो मला हवा आणि हवाचं आहे....कायमस्वरूपी..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #ballet आठवून बघ आठवतय का तुला मी तक्रार केल्याची.. हो ,नाही असं नाही...केली असेल पण ती फक्त आणि फक्त तुझ्या सहवासात राहण्यासाठी ...बाकी नसत
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
जब खिदमते*वालिदेन की शुरुआत हो गई, जमकर बेटों में तुतु,मैंमैं की बात हो गई//१ बनाके बेटों ने ये*हीला,के मैं तो*मसरूफ हू बहुत,अब आई गई खिदमत की बात हो गई//२ ये तो*जईफ है इनसे कुछ नहीं फायदाअब हस्ती ए वालिदेन भी उनके मतलब की बात हो गई//३ रही सही कसर ने ये भी तुक दे ही डाले,वालिदेन से ज्यादा उनकी लुगाई की*अजीज जात हो गई//४ छीनके बेटों ने जबरन जर,ज़मीऔर मकान,इस मानिंद वालिदेन की जाने से पहले*रूखसत की बात हो गई//५ उफ्फ बेटों से वक्त पर पेंशन डायरी से दवा भी न मयस्सर कराई गई,बतौरे जिरह इनमें महंगे*तबीब की बात हो गई//६ कुछ निकम्मी औलाद की हदे बेशर्मी तो देखिए,के आज साबिर संजीदा बुजुर्ग बाप की खुदकुशी,गजब की बात हो गई//७ सुनो बेटी पर बेटों को फकत*फजीलत देने वालो,"शमा"देखो तो बेटों की*रगरग में कैसे सफेद खूँ सी अजब की बात हो गई//८ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Aansu जब खिदमते *वालिदेन की शुरुआत हो गई,जमकर बेटों में तुतु,मैंमैं की अब बात हो गई//१* मां बाप बनाके बेटों ने ये*हीला,के मैं तो *मसरूफ हू
Motivation p
Saket Ranjan Shukla
रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं कच्चे धागों की राखी बाँधकर हर कदम मेरा साथ चाहती हैं, वादा रक्षा का मुझसे माँगकर फिर मुझे रक्षासूत भी बाँधती हैं, बहनें मेरी, कूटस्वार्थ दिखाकर नेग के लिए झगड़ें भले मुझसे, मगर वो राखी बाँधते हुए, ईश्वर से मेरी सकुशलता ही माँगती हैं, स्नेह से बाँधी हुई वो राखी मेरे कलाइयों को बड़ा प्रबल बनाती है, बहनों के सपनों और उनकी आकांक्षाओं की कद्र करना सिखाती है, रक्षा कवच बन जाती है मेरा, वो दो सूत की राखी मुश्किल समयों में, कच्चे धागों से ही अटूट रिश्तों को जोड़े रखकर अपना महत्त्व दर्शाती है, बहनों का निश्छल प्रेम इन राखियों में कुछ इस तरह से झलक जाता है, कि हम भाईयों का ह्रदय भावनाओं में बह मोम की भांति पिघल जाता है, बहनें माँगती हैं सकुशलता भाई की, भाई वादा आमरण रक्षा का करता है, हर वर्ष रक्षाबंधन के त्योहार पर ये भाई बहन का रिश्ता और निखर जाता है। IG:— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla Happy Rakshabandhan रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं कच्चे धागों की राखी बाँधकर हर कदम मेरा साथ चाहती हैं, वादा रक्षा का मुझसे माँगकर फिर म
Vipul Agrawal Bijnor
टूट कर गिरने से मेरे, तुम यह समझ जाओगे। पेड़ो के नीचे धूप में, (छाया)छाव कहाँ से लाओगे। फलो की तरह मेरा भी एक महत्त्व है। फलो की तरह मेरा भी एक महत्त्व है। मेरे ना होने से, पेड़ो पर फल कहाँ से लाओगे। टूट कर गिरने से मेरे, तुम यह समझ जाओगे। ©Vipul Agrawal Bijnor #Pattiyan टूट कर गिरने से मेरे, तुम यह समझ जाओगे। पेड़ो के नीचे धूप में, (छाया)छाव कहाँ से लाओगे। फलो की तरह मेरा भी एक महत्त्व है। फलो की त
Vipul Agrawal Bijnor
टूट कर गिरने से मेरे, तुम यह समझ जाओगे। पेड़ो के नीचे धूप में, (छाया)छाव कहाँ से लाओगे। फलो की तरह मेरा भी एक महत्त्व है। फलो की तरह मेरा भी एक महत्त्व है। मेरे ना होने से, पेड़ो पर फल कहाँ से लाओगे। टूट कर गिरने से मेरे, तुम यह समझ जाओगे। ©Vipul Agrawal Bijnor #Pattiyan टूट कर गिरने से मेरे, तुम यह समझ जाओगे। पेड़ो के नीचे धूप में, (छाया)छाव कहाँ से लाओगे। फलो की तरह मेरा भी एक महत्त्व है। फलो की त