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Sunil Kumar Maurya Bekhud

# परदेश #कविता

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Gumnam Shayar Mahboob

Nischal Narendra Thapa

परदेश #शायरी

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vimlesh Gautam https://youtube.com/@jindgikafasana6684

# परदेश #लव

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इन बारिश की बदलियों से कह दो जरा 
कहीं और मोहब्बत की बारिश कर  दें मेरे महबूब  परदेश  गयें हैं।।

©Vimlesh Gautam # परदेश

दीपेश

CalmKrishna

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©CalmKrishna परदेश।

#दिवाली #दीपावली #घर #दूर #नजदीक #परदेश #देश #oneliner

Prashant Mishra

यात्रा परदेश की

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मैं अपना गाँव-घर,बगिया-बगीचे छोड़ आया हूँ
मेरे  दीदार को बेताब  दरीचे  छोड़ आया हूँ 
मुझे इस जिंदगी में कुछ कदम आगे को जाना है
बनिस्बत मैं कई रिश्तों को पीछे छोड़ आया हूँ
-- प्रशान्त मिश्रा यात्रा परदेश की

पूनम राजपूत

परदेश से विदेशिया

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Heera Rathod

पीव बसे परदेश

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बैठी जोवूं बाटड़ी विपदा विरह विशेष 
साजन बिन कुण साम्भल़े पीव बसे परदेस

पाती में लिख मेलियो साजन ने संदेश
आप बिना नहीं आवड़े पीव बसे परदेस
 
आठूं पौहर औजको काया करे कलेस
चैन आवे न चित्त में पीव बसे परदेस

आवे ओल़ूं आपरी दिलड़ो घणो दुखेस 
अंसवन भीजी अँगीया पीव बसे परदेस

सायधण सूनी सेज में मनमथ मार मरेस 
कल़पै कंचन कामिनी पीव बसे परदेस

काग उडावै कालियौ सुगन विचारे शेष
ड्योढ़ी बैठी डगमगै पीव बसे परदेस

बण बैरण दे बादल़ी ठेठ काल़जे ठेस 
बिलखी ऊभी बारणै पीव बसे परदेस

आज बरस मत आंगणे सुण इंदर संदेश 
मैं मर जावां मेंह में पीव  बसे परदेस


🙏🏻🙏🏻 Heera Rathod🙏🏻🙏🏻 पीव बसे परदेश

NG India

सतगुरु हैं परदेश ।

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मेरे सतगुरू है परदेश लिखूँ कस पाती ।

मेरा उमड़ा जोबन ज्ञान विरह की छाती ।।टेर।।


सुख सम्पति परिवार कुटुम्ब दुखदाई ।यह बादल की सी छाँह-सदा थिर नाहिं।।

मेरे दिल ने दिया फरेब दोष नहिं कोई ।में भरम कूप में पड़ा रहा घबराई ।।

सूखा रक्त्त अरू माँस सोच दिन राती ।मेरे सतगुरू हैं परदेश लिखूँ कस पाती(1)


सुरत निरत हरकारे खबर पहुँचावें।तब शब्द की रेल चढ़ाय तुरत बुलवावें ।।

मैं रहूँ गुरू के संग सोच सब त्यागी ।बिन वर्षा झड़ियाँ लगी जाई तहाँ लागी।।

मेरे सतगुरू हैं परदेश लिखूँ कस पाती (2)


सती चढ़ी सत शब्द निरख उजियाली ।ऊपर चढ़ कर लखा सूरज जहाँ लाली ।।

चाँदनी चौक में जाय भँवरगढ़ लागी ।रवि लखा रौशनी द्वार अँधेरे त्यागी ।।

चढ़ सतपुरूष दीदार किया बहु भाँती ।मेरे सतगुरू हैं परदेश लिखूँ कस पाती (3)


अलख अगम के पार लखा राधास्वामी ।अकथ अगम अनाम रूप वह दवामी ।।

उनसे मिलकर फिर आज हुई मदमाती ।मेरे सतगुरू हैं परदेश लिखूँ कस पाती (4)

                     *राधास्वामी*            

राधास्वामी सन्तभजनावली -11 सतगुरु हैं परदेश ।
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