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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी जुल्मो और मंहगाई की मटकी कैसे फोड़ू नित नित ऊंची होती जाये हाड़ मांस के पुतले बन गये हम सब माखन की मटकी तक ना पहुँच पाये ख़ुशियाँ हम से ऐसी रूठी उत्सव त्योहार हमें लजाये जेल में कान्हा जन्मे,कंस मामा उन्हें सताये हम पर भी पड़ी है सियासी मार जीवन का आधार डूबा जाये साहस नही है हम सब पर इतना संहार पापियों का कर पाये गोविंद भरोसे हम सब बैठे कोई रण क्षेत्र तैयार किया जाये प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #janmashtami जुल्मो और महँगाई की मटकी कैसे फोड़ू नित नित बढ़ती जाये #nojotohindi
Shivam
दिल की धड़कनों में बसा है तेरा ख्याल, तेरे प्यार का जादू, है ये अद्वितीय कमाल। तू है मेरी ज़िंदगी की सबसे ख़ास मिसाल, तू मेरी हर ख़ुशी, मेरा प्यार, मेरा जिन्दगी का आकार। ©Shivam दिल की धड़कनों में बसा है #Butterfly #ग़ज़ल #sayari
Pushpendra Pankaj
बाबाजी ने जो वृक्ष लगाए, उनके फल हम सब ने खाए । तू बता,सुन फल के भक्षक, अब तक कितने वृक्ष उगाए । पुष्पेन्द्र" पंकज" ©Pushpendra Pankaj #WorldEnvironmentDay वृक्षारोपण, नित निरंतर
Shailendra Singh Yadav
तुम्हे दिल की धड़कन बना लिया है। कोई क्या जाने राजे इश्क तुम्हे आँखों में बसा लिया है। शायरः-शैलेन्द्र सिंह यादव #NojotoQuote शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी तुम्हे आँखों में बसा लियाहै।
Marutishankar Udasi
एक तू ही है इस जहा में जिसके लिए मैं लड़ जाऊ सारे जमाने से बस एक ही शिकायत है तुझसे मुझको तू मेरी ना हो सकी तो क्या गम मुझे तो अपने दिल में बसा ले ©Marutishankar Udasi #FallAutumn बसा ले
Mr.joker
मुझको अपनी आंखों में बसा लो ज़रा, अभी रूठने का मन नहीं।। #बसा #nojoto #new
डॉ वीणा कपूर "वेणु"...
मौसम एक कविताएं अनेक # अपनी यादों में सहेज कर रखे हैं मैंने आषाढ़ के वो पहले पहले मेघ वो पतनालों का बन जाना झरना फिर आंगन में पानी का भरना। और हमारा उछलना कूदना छपाक -छपाक मां का गुगल अजवाइन का धुआं देना, तपाक-तपाक जब गलियां बन जाती थी नदियां और उसमें तैरती थी कागज़ की कश्तियां जिसकी कश्ती सबसे आगे वो होशियार बाकी फिसड्डी कभी कभी रपट जाने के कारण चटकी हड्डी विद्यालय में अघोषित वर्षा अवकाश कितना प्यारा लगता था आकाश भीग भाग घर पर आना आकर सब पर रौब जमाना फिर तुलसी अदरक की चाय के साथ गरमा गरम पकौड़ी चाहे जितनी भी मिल जाए लेकिन लगती थी थोड़ी जाने कब चुपके से वो समय आ गया रिमझिम बरसता सावन जब मन को भा गया धरती पर बरसे मेघ घुमड़ घुमड़ मैं भी सकुचाई सिहर सिहर मिट्टी की सोंधी सोंधी महक बिखर गई चंहू ओर प्रफुल्लित हो मन नाच उठा जैसे वन में मोर फिर अति वृष्टि जलभराव उमस और सीलन बिल्कुल ऐसा ही लगता है मुझको नारी जीवन प्रकृति तो प्रकृति है चिर युवा और नित नवीन और नारी ? ? ? इसी लिए तो अपनी यादों में सहेज कर रखे हैं मैंने आषाढ़ के वो पहले पहले मेघ।। ....स्व रचित.... ©Veena Kapoor आषाढ़ के मेघ वर्षा जल कागज की कश्ती नित नवीन प्रकृति #OneSeason
Anuj Ray
बेहतर है ,नित नए संबंध बनाने से कहीं अच्छा,पुराने संबंधी ही बनाकर रखिए। हो सकता है कहीं कटता का अनुभव हो, प्यार की धुरी पे ,ज़िन्दगी को परखते रहिए। ©Anuj Ray # बेहतर है, नित नए सम्बंध..