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Ganesh Din Pal
सावित्रीबाई फुले की पुण्यतिथि पर(10मार्च) एक सशक्त और शिक्षित स्त्री सभ्य समाज का निर्माण कर सकती है. इसलिए तुम्हारा भी शिक्षा का अधिकार होना चाहिए. कब तक तुम गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी रहोगी उठो और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करो. ©Ganesh Din Pal #सावित्रीबाई पुण्यतिथि
HintsOfHeart.
रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद, आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है! उलझनें अपनी बनाकर आप ही फँसता, और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है। - रामधारी_सिंह 'दिनकर' - पुण्यतिथि ©HintsOfHeart. #रामधारी_सिंह_दिनकर #पुण्यतिथि🙏
HintsOfHeart.
"चाँद बिना हर दिन यूँ बीता जैसे युग बीते मेरे बिना किस हाल में होगा कैसा होगा चाँद जिन आँखों में काजल बन कर तैरी काली रात उन आँखों में आँसू का इक क़तरा होगा चाँद"¹ ©HintsOfHeart. #राही_मासूम_रज़ा #पुण्यतिथि🙏
Jagdish Pant
फूल देई का त्यौहार था, मैं फिर भी बैठा अकेला था । चारों तरफ़ हर्षोल्लास था, मैं अकेला बैठा निराश था । जब मैने चारों तरफ देखा , तब पता चला कि मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में बैठा अकेला उदाश था ।। ✍️ Jagdish Pant आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।
AbhiJaunpur
छत्रपति शिवाजी महाराज जी की पुण्यतिथि पर शत् शत् नमन भारतीय योद्धा-राजा और मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज एक महान नायक थे। जिन्होंने जरूरतमंदों और गरीबों के लिए महसूस किया और अपने क्षेत्र में एक महान शासन स्थापित किया था। ©AbhiJaunpur #ShivajiMaharaj #पुण्यतिथि Parul rawat Sudha Tripathi Sethi Ji sana naaz Ritu Tyagi
Gurudeen Verma
White शीर्षक- इस ठग को क्या नाम दे --------------------------------------------------------- बड़े नम्बरी होते हैं वो आदमी, जो करते हैं शोषण छोटे आदमी का, और छीन लेते हैं उधारी चुकाने के नाम पर, गरीब आदमी की जमीन और आजादी। लेते हैं काम छोटे आदमी को, कोल्हू के बैल की तरह दिनरात, एक वर्ष की मजदूरी बीस हजार देकर, जबकि होते हैं खर्च पाँच हजार एक माह में। लेता है ब्याज बहुत वो आदमी, छोटे आदमी को देकर उधार रुपये, बड़े ही ठाठ होते हैं इन आदमियों के, जिनके होते हैं मकां महलनुमा। होती है उनकी जिंदगी राजा सी, जिनके एक ही आदेश पर, हो जाते हैं सारे काम, और हाजिर नौकर चाकरी में। कमाता होगा इतने रुपये वह आदमी, मेहनत की कमाई से कभी भी नहीं, बनाता है वह अपनी इतनी सम्पत्ति, भ्रष्टाचार और दो नम्बर की कमाई से। लेकिन एक ऐसा आदमी भी है, जो लेता है बड़े आदमी से भी ज्यादा दाम, करता नहीं रहम वो अपने भाई पर भी, और कोसता है वह बड़े आदमी, इस ठग को क्या नाम दे।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #कविता
Shiv gopal awasthi
ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए, भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए। पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई, लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए। बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी, सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए। उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं, दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए। थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने। चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए। कवि-शिव गोपाल अवस्थी ©Shiv gopal awasthi कविता