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#काव्यार्पण
Babli BhatiBaisla
छोटे से ख्वाब में भी आलिशान महलनुमा कोठी चाहिए हरेक को फरारी मर्सिडीज रेंज रोवर सरीखी गाड़ी चाहिए और कौन कहता है मांगने की बिसात नहीं होती रंगदारी वसूलती आंखों में शर्म ही साथ नहीं होती बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla छोटा सा ख्वाब R... Ojha 0 Sethi Ji MohiTRocK F44 Lalit Saxena Ashutosh Mishra
Shivkumar
White ये पर्वत कहता तुम शीश उठाकर , तुम भी ऊँचे बन जाओ । ये सागर कहता तुम लहराकर , तेरे मन में जो गहराई सा उसको लाओ । तुम समझ रहे हो न वो क्या कहती है , तु उठ-उठ कर और गिर-गिर कर तटल तरंग सा । तु भर ले अपने इस मन में , तेरी मीठी-मीठी बोल और ये मृदुल उमंग सा ॥ पृथ्वी कहती के ये धैर्य को न छोड़ो , इस सर पर भार कितना ही हो । नभ कहता फैलो इतना कि , तुम ढक लो ये सारा संसार को ॥ ©Shivkumar #mountain #Mountains #Nojoto #कविता ये #पर्वत कहता तुम शीश उठाकर , तुम भी #ऊँचे बन जाओ । ये #सागर कहता तुम लहराकर , तेरे मन में जो
दोस्ती
दुनिया की हर परेशानी हिम्मत के आगे घुटने टेक देती है ©राधे मोहन #साहस अगर मन मैं हो तो बड़ा काम भी छोटा लगता है
Mehfuza
White कितना अजीब सा रिश्ता बन गया तुमसे। ना मोहब्बत हो रही है! ना नफरत हो रही है! ©Mehfuza #mountain कितना अजीब सा रिश्ता बन गया तुमसे। ना मोहब्बत हो रही है! ना नफरत हो रही है!
AJAY NAYAK
White जीवन में इतनी निश्चिंतता होनी चाहिए जिनपर विश्वास करें, उनसे फल की चाह में थोड़ा सा इंतज़ार करें ! –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ www.nayaksblog.com ©AJAY NAYAK #Dosti #Trust जीवन में इतनी निश्चिंतता होनी चाहिए जिनपर विश्वास करें, उनसे फल की चाह में थोड़ा सा इंतज़ार करें ! –अjay नायक ‘वशिष्ठ’
Shivkumar
White मेरे इस दिल में आकर तुम ऐसे चुपके से आकर यु उतर जाते हो , मेरी इन सांसों में खुशबु सा बनके तुम यु बिखर जाते हो l तेरे इश्क का वो जादू मुझ पर कुछ यूँ चला है कि, मुझे तुम ही तुम सोते-जागते नज़र मे यु आते हो ll ©Shivkumar #Romantic #romancequotes #romanticshayari #शायरी मेरे इस #दिल में #आकर तुम ऐसे चुपके से आकर यु #उतर जाते हो , मेरी इन #सांसों में #
Sudha Tripathi
White आल्हा छंद मुक्तक रामायण प्रसंग -जामवंत का हनुमान जी को आत्मबोध करना जामवंत कहते बजरंगी, चुप बन बैठे क्यों पाषाण। भूले हो क्यों अपनी क्षमता, किसमें है तेरा कल्याण।। न हो सके जो तुमसे बोलो, कठिन कौन सा ऐसा काम। नहीं जगत में तुमसा कोई,दूजा स्वीकारो हनुमान।। दीर्घकाय पर्वत से होकर,लिए शक्ति अपनी पहचान। चुका सके ऋण अनुदानों का, जीवन कर अपना बलिदान।। जो कुछ भी कर पाए उसका , नहीं कभी मन में हो दम्भ । सिंहनाद करके फौलादी,ले संकल्प किये प्रस्थान।। *सुधा त्रिपाठी* ©Sudha Tripathi #ramnavmi आल्हा छंद मुक्तक रामायण प्रसंग -जामवंत का हनुमान जी को आत्मबोध करना जामवंत कहते बजरंगी, चुप बन बैठे क्यों पाषाण। भूले हो क्य