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CHOUDHARY HARDIN KUKNA
White ग़ज़ल ख़ाक़ से ही तुम्हें बनाया है ख़ाक़ में ही तुम्हें मिलाया है देश को आगे क्या बढ़ाया है उसने बीड़ा अगर उठाया है साथ सबका वो दे नहीं सकता उसने फरमान ये सुनाया है खोखला हो रहा वतन मेरा क्या यही देश को बढ़ाया है जब से बैठा यही किया उसने शिर्फ नफ़रत को ही बढ़ाया है मैं यकीं क्यों करूँ किसी पर भी धोखा अपनों से मैने खाया है बैर रखता नहीं किसी से मैं हाँथ हर ऐक से मिलाया है बस उसी राह पर चलेंगे हम जो भी उसने हमें बताया है ये सियासत का खेल है "हरदीन" भाई अपना यहाँ पराया है चौधरी हरदीन कूकना ©CHOUDHARY HARDIN KUKNA #GoodNight #गजल 'दर्द भरी शायरी'
#GoodNight #गजल 'दर्द भरी शायरी'
read moreMSA RAMZANI
मेरी सांसों को हवाओं में बिखर जाना है, जिस्म को खाक के तूदो में उतर जाना है उसका सिद्दत से मुझे चाहना बतलाता है, चढते दरिया को बहुत जल्द उतर जाना है, दूर रहने का इरादा कभी मिलने की तडप यह समझ में नहीं आता कि किधर जाना है छत पे फैली हुई इस धूप को मालूम नहीं दिन के ढलते ही दीवारों में उतर जाना है प्यार करना कोई आसां नहीं है, रमजानी गहरे पानी के समन्दर में उतर जाना है, 28/10/15 ©MSA RAMZANI गजल
गजल
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तेरे ही रूप को आखों में भर रहे है हम तू ही बता कि कोई भूल कर रहे है हम। सफर तमाम हुआ जब तो यह ख्याल आया कि एक उम्र न जाने किधर रहे है हम। बड़े अदब से जो झुक कर सलाम करता है उस शख्स से क्यूं आज डर रहे है हम। जिधर भी देखे कही आदमी नहीं मिलता ये कैसा शहर है जिससे गुजर रहे है हम। करो न रंज तुम्हारा जो साथ न दे सके खुद अपने आप के कब हमसफर रहे है हम। खुद अपने आप से गाफिल रहे मगर रमजानी तुम्हारी याद में कब बेखबर रहे है हम। 4/10/15 ©MSA RAMZANI गजल
गजल
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पल में दूर हो जाती है जात अधूरी हो जाती है आखों में नींद नहीं आती रात पूरी हो जाती है पहले तो होती है चाहत फिर मजबूरी हो जाती है कुछ लोगों की पल भर मे ख्वाहिशे पूरी हो जाती है हद से प्यार गुजर जाये तो अक्सर दूरी हो जाती है 8/10/15 ©MSA RAMZANI गजल
गजल
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रात ढलती रही दिन निकलता रहा सिलसिला तेरी यादो का चलता रहा बेवफा से वफा की तमन्ना रही दिल का अरमान दिल में मचलता रहा आतिश ए बदगुमानी न जब तक बुझी वो भी जलता रहा मैं भी जलता रह यू तो कहने को इक दिया था मगर शब की तारीकियों को निगलता रहा हकबयानी की रमजानी सजा में मिली मैं जमाने की नजरों में खलता रहा 12/10/15 ©MSA RAMZANI गजल
गजल
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White मुन्तजिर सब मेरे जवाल के है मेरे अपने भी क्या कमाल के है दोस्तो को समझ नहीं पाया ये सबब ही मेरे मलाल के है एक दिन में चमन नही खिलता जख्म ये जाने कितने साल के है खुश्बु एक चारसू है बिखरी हुई गालिबन दिन यही विसाल के है इश्क बदनाम मुफ्त में ही हुआ जलवे सब हुस्न और जमाल के है रंग तहजीब और जबान अलग पंछी लेकिन सब एक ही डाल के है तेरी यादो का शुक्रिया ऐ दोस्त हिज्र में भी मजे विसाल के है बरकते तो है लाजमी रमजानी मेरे पैसे भी तो हलाल के है 6/8/15 ©MSA RAMZANI गजल
गजल
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White जमाने वालो से मुझे सदा बचा के रखो। किसी ग्लाफ के नीचे मुझे छुपा के रखो।। इसी तरफ से कोई आज आने वाला है। इसी मुंडेर पे दीपक कोई जला के रखो।। तुम्हारी शर्म ही हुस्न व अदा का जेवर है। हया भी कहती है, आंखो को हो तुम छुपा के रखो।। तुम्हारा घर ही तुम्हारे लिए वो जन्नत है। बड़े सलीके से इस घर को तुम सजा के रखो।। बडे बडे भी तो रहते है आजिजि से यहां। अना को तुम भी रमजानी इक तरफ हटा के रखो।। 24/10/15 ©MSA RAMZANI गजल
गजल
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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset """""""""""""""""""ग़ज़ल """""""""""""""" उसने सिक्का जमा लिया अपना खूब सीना फुला लिया अपना उसने चेहरा छुपा लिया अपना मैने भी सर घुमा लिया अपना ये सियासत में होता रहता है आज फिर सर झुका लिया अपना बात ही बात में हुआ ऐसा राज़ उसने छुपा लिया अपना काम ऐसा मैं कर नहीं सकता जिसको देखा बना लिया अपना उसने सीखा इधर उधर जाना फिर से उसको बना लिया अपना जो भी कहना है उससे कह लो तुम उसने जलवा दिखा लिया अपना मुझपे ऐहसाँ किया था जो उसने आज बदला चुका लिया अपना फ़र्क पड़ता नहीं है गौहर को ग़ैर को भी बना लिया अपना चौधरी हरदीन कूकना मकराना, राजस्थान ©CHOUDHARY HARDIN KUKNA #SunSet #गजल #Nojoto #nojotohindi 'दर्द भरी शायरी' शायरी शायरी लव खूबसूरत दो लाइन शायरी
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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset इश्क़ लिख रहे हो,या सजा लिख रहे हो क्या मुहब्बत को रब की, रजा लिख रहे हो। (मिसरा ) हर दर्द को लफ़्ज़ों में समेटा है तुमने, क्या अश्कों की कोई दवा लिख रहे हो। ख़ुदा की किताबों में मोहब्बत की बातें, क्या फरिश्तों से तुम राबता लिख रहे हो। कफन की वो ख्वाहिश, अधूरी है मन्नत, क्या मय्यत पे उनका का पता लिख रहे हो। जिस्म को परे रख, रूह मे बसर कर, क्या चाहत को अपना खुदा लिख रहे हो। पूनम सिंह भदौरिया ©meri_lekhni_12 #SunSet गजल
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read moreMohan Sardarshahari
Unsplash दोस्तों से मुश्किल है हकीकत छुपाना जैसे हवा से अलग रवानी को रखना। जिंदगी के अनुभव बेशक अलग-अलग होंगे मुश्किल नहीं मगर एक दूजे की कहानी समझना। इशारों में समझाना बहुत कर लिया चलो दोस्तों से करते हैं वही व्यवहार बचकाना। यदि कभी कुछ सुनाना पड़े दोस्तों को बस याद उनकी एक-एक शैतानी दिलाना। मिलकर यदि किसी दोस्त से छलक जाए आंसू शाम को उड़ा देना उनको तेरे नाम के पैमाना। देखी होंगी दशकों में कई नायाब इमारतें तूने होना हो रूबरू जवानी से, बार-२ तेरे कॉलेज जरूर जाना।। ©Mohan Sardarshahari # गजल
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