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Deep Kush
अबकी सावन जम के बरसात होगी कभी तो मेरी तुम से बात होगी आएगा वो वक़्त भी जब तुम मेरे साथ होगी फिर न दिन होगा न रात होगी हर पल तुम मेरे पास होगी कभी तो तुम से मुलाकात होगी....... कभी तो तुम से मुलाकात होगी...... मुक्तक चैलेंज के तहत इस पंक्ति को आधार बनाकर एक मुक्तक लिखें। इस पंक्ति को आप पहली, दूसरी, या चौथी पंक्ति के रूप में रख सकते हैं। बरसात हो
Anita Saini
चाँद की डोली तारों की बारात होगी ऱूख ए म़हाताब के दीदार को साथ पूरी काय़नात होगी ! जा़म ए हु़स्न का पीऊँगा मैं, बेख़ुदी की वो रात होगी ! मुक्तक चैलेंज के तहत इस पंक्ति को आधार बनाकर एक मुक्तक लिखें। इस पंक्ति को आप पहली, दूसरी, या चौथी पंक्ति के रूप में रख सकते हैं। बरसात हो
PrS
सुन लेना मेरी धडकनो को पढ़ लेना आँखों को क्योंकि जुबान तो तभी खामोश होगी, लफ़्ज़ों से जो ना कह सके डर है आंसू बनकर न बेह जाये उस दिन।।। मुक्तक चैलेंज के तहत इस पंक्ति को आधार बनाकर एक मुक्तक लिखें। इस पंक्ति को आप पहली, दूसरी, या चौथी पंक्ति के रूप में रख सकते हैं। बरसात हो
Prachi Singhal
सुन लेना मेरी धडकनो को पढ़ लेना आँखों को क्योंकि जुबान तो तभी खामोश होगी, लफ़्ज़ों से जो ना कह सके डर है आंसू बनकर न बेह जाये उस दिन।।। मुक्तक चैलेंज के तहत इस पंक्ति को आधार बनाकर एक मुक्तक लिखें। इस पंक्ति को आप पहली, दूसरी, या चौथी पंक्ति के रूप में रख सकते हैं। बरसात हो
Rajnish Shrivastava
आँखो से आँसुओ की बरसात होगी दो बिछड़े हुए दिल फिर मिल सकेगे बीते हुए दिनो की फिर बात होगी मुक्तक चैलेंज के तहत इस पंक्ति को आधार बनाकर एक मुक्तक लिखें। इस पंक्ति को आप पहली, दूसरी, या चौथी पंक्ति के रूप में रख सकते हैं। बरसात हो
विमुक्त
ताजमहल भी तब फीका होगा मुक्तक चैलेंज के तहत इस पंक्ति को आधार बनाकर एक मुक्तक लिखें। इस पंक्ति को आप पहली, दूसरी, या चौथी पंक्ति के रूप में रख सकते हैं। बरसात हो
Uninvited poet
जाने कब ये बरसात होगी तुम पास बहारें साथ होगी जाने कब ये बरसात होगी मुक्तक चैलेंज के तहत इस पंक्ति को आधार बनाकर एक मुक्तक लिखें। इस पंक्ति को आप पहली, दूसरी, या चौथी पंक्ति के रूप में रख सकते हैं। बरसात हो
Anjali Jha
वो जिंदगी की खुशनुमा पल और रात होगी , मानो वह हमारे लिए पहली बरसात होगी , तुमसे दिल की सारी बातें होगी , तुम्हारे बाहों में लिपट कर फिर बिखर जाना है , मानों फिर से जिंदगी की नयी शुरुआत होगी । मुक्तक चैलेंज के तहत इस पंक्ति को आधार बनाकर एक मुक्तक लिखें। इस पंक्ति को आप पहली, दूसरी, या चौथी पंक्ति के रूप में रख सकते हैं। बरसात हो
Harvinder Ahuja
Our body is like a washing machine. Our mind is like cloth. Love is like pure water. Knowledge is detergent. Each lifetime is one wash cycle. The mind comes into the body to get cleansed and pure. But if you put in mud instead of detergent, your clothes will become dirtier than before. You will have to go on putting your clothes in the washing machine to get them cleaned. And the process repeats again and again. Similarly, you will have many more births until you stop repeating the mistakes that you have made. ©Harvinder Ahuja #मन की परिभाषा
Anekanth B
Mutual funds, Loan, Insurance, Shares, Credit card, बस, अब और क्या बचा है? सब लूट लो। #Frustration की परिभाषा