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Nitesh Sharma
सोच सबकी अलग है पहचान सबकी अलग है! कामयाब सब होना चाहते हैं मगर इंतहान सबके अलग है! रस्ता सबका एक है पर मंजिले सबकी अलग है! अंदाज़ सब अपना-अपना लगते हैं! मगर कामयाबी की बुनियाद सबकी अलग है! ©Nitesh Sharma सफलता के कुछ पल चिन्ह #alonesoul
सफलता के कुछ पल चिन्ह #alonesoul #बात
read moreSunita Shanoo
कौन सा बंधन है जिससे खुद-ब-खुद बंध गई हूँ मै क्यों यह सिंदूरी रेखा दिलाती है एहसास कि मैं तुम्हारी रहूँगी सदा एक नहीं सात जन्मों तक चाहत है तुम्हें सिर्फ़ तुम्हें पाने की किन्तु तुम पर क्यों नहीं नजर आता मेरे बस मेरे होने का एक भी चिह्र्न-?? (मन पखेरू काव्य संग्रह से) चिन्ह
चिन्ह
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अच्छा सुनो ! मेरे और तेरे बीच कौन सा चिन्ह सही रहेगा ! + या फिर - #चिन्ह
Prashant Mishra
ए चाची हम गोड़ लागतानी फिर से लड़त बानी परधानी हमरे लहर उड़ता अबकी हउवा में अबकी बिकास होइ गउआँ में हमके जितइहा चुनउआँ में... मोर कलोनियां के पइसा उड़ाई गइला लैटरीन आईल रहे, हमर खाई गइला त फिरिये में कवन हमके वोट दिहे रहला बदले में बोतल के दाम लिहे रहला हो दाम. त अबकी बिक्या जनि पउवा में हमके जितइहा चुनउआ में... | जौन खरंजा बनवउले रहला टूटिये गइल नाली एकही महीनवा में भठिये गइल नारी में ओभरलोड कचरा घुसवला खरंजा के ईंटा तोहनै चोरवला हो तोहनै.. त अबकी पक्का चकरोट बनी गऊआँ में प्रशान्त पीयूष के गाना बाजी गउआं में हमके जितइहा चुनउआ में....| --प्रशान्त मिश्रा परधानी के चुनाव
परधानी के चुनाव
read moreYashpal singh gusain badal'
जब किसी देश की सरकार फ्री देने के वादों से चुनकर आती है । विकास के कार्यों को प्राथमिकता नहीं देती और न ही उद्योगों का विकास करती और न ही जनता का स्किल डेवेलपमेंट को बढ़ाती है तो देश का यही हाल होता है ।विदेशी कर्जे लेकर यदि उस पैसे को सही ढंग से खर्च न किया जाए तो अन्ततः उसे चुकाना हमेशा मुश्किल होता है । आज श्रीलंका को अपनी कमाई का 70% कर्ज चुकाने में चला जा रहा है । सकल राजकोषीय घाटा नित नई ऊंचाईयां छू रहा है । इससे भारत ही नहीं बल्कि सभी विश्व के लोगों को सबक की तरह लेना चाहिए । पंजाब,दिल्ली,बंगाल,तेलंगाना,छत्तीसगढ़, राज्य भी भारी राजकोषीय घाटे की ओर बढ़ रहे हैं । चुनावों में लोकलुभावन फ्री के वादों के कारण सरकार विकास का कार्य नहीं कर पा रही हैं ।फ्री के चीजें पाकर व्यक्ति अकर्म की तरफ बढ़ता है जबकि कुछ सरकार फ्री स्कीम की जगह स्किल डेवेलपमेंट ,स्वरोजगार ,नए उद्योगों को लगाने ,उन्नत कृषि के प्रयास पर खर्च और कृषि प्रॉसेस यूनिट लगाने पर खर्च कर रही हैं। हम सबको फ्री के वादे करने वाली राजनीतिक पार्टियों का बहिष्कार करना चाहिए वर्ना हमारी स्थिति भी एक दिन श्रीलंका जैसे हो सकती है । ©Yashpal singh gusain badal' राजनीतिक पार्टियों के फ्री के वादे देश के लिए खतरा हैं । #waiting
Shubham Prajapati
पंडित चाचा अपने गावे यादव जी बार बार गर्म हो जावे बहिन जी पर ना कौनो बा चर्चा पता ना कैसे बाटल गइल बा पर्चा अब गरीबी पर मुद्दा बा गरम लेकिन बेरोजगारी पर कवनो चर्चा ना चलल केकर चूल्हा केने बा जलल टिकट बटइले के बाद बा पाता चलल अब त हर नेता अपने ही गावे केहू बिजली फ्री त केहू पानी स्वच्छ पीलावे इ सून सून के हमार कान बा पाकल NTPC के Result के तरफ ना केहू झाखल हिन्दू , मुस्लिम करके इ देखिए धर्म के नाम पर वोट बटिए इ आपन बस रोटी सेकिए केहू के घर मे ना दाल पाकिए।। ©Shubham Prajapati #चुनाव के दिन