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Bambhu Kumar (बम्भू)
नेता और उनके पालतू बेटो ने आपके दिमाग के साथ खेलने का काम शुरू कर रखा है। डिजिटल युग में यह भी एक दौर है जब आपके दिमाग में डिजिटल माध्यमों से कूड़ा भरा जा रहा है। अपने दिमाग को कूड़ेदान होने से बचाएं किताबें पढ़ें सही जानकारीे लें सतर्क रहें जागरूक रहें जय हिंद जय हिंदी हिंद का मतलब हिंदुस्तान हिंदी का मतलब हिंदुस्तानी #जय #हिंदी #जय #हिंद
आयुष सिंह
कलम मेरी कलम से कुछ यूं निकला है बयां ऐ दोस्त पैगाम अपना तो हाल भी वैसा है, जैसे कोई टूटा हुआ मकान, लगा था कि तुम से दोस्ती करके हम सुधार जायगे पर अब जाना कि हम तो अब और बिगड़ जाए गए जाने अनजाने में दोस्ती का मतलब
जाने अनजाने में दोस्ती का मतलब
read moreM.k.kanaujiya
When born, the mother held the finger taught to walk. Papa's love caress laughed taught to speak. went to school, the master read taught to write. stayed with friends. They fought taught quarrelling. A little prank a little fun taught to do. Age increased responsibility So responsibilities ne taught to be alone in the state. A little responsibilities when more increased So people listen taught to recite. from people's trunk I learned to move on. Together with this entire Kaynat taught me to live life.. ©M.K. kanaujiya #जीवन का मतलब समझ में आ गया
Vipin 'अनीस'
जहाँ मतलब से प्यार होता है न, वहाँ प्यार का कोई मतलब नही होता.. #NojotoQuote मतलब का प्यार #मतलब #प्यार
H.s
किसी से मतलब से ज्यादा मतलब रखना ! मतलब से ज्यादा तकलीफ देता है!!hs मतलब भर का मतलब रखो
मतलब भर का मतलब रखो
read moreEk villain
अवसर साल से दलित राजनीति शिविर से लिखें आलेख में संजय गुप्ता ने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं इनमें से एक प्रत्याशी चयन में कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका होनी चाहिए इसके लिए उन्होंने अमेरिका के प्राइमरी क्रिया का उदाहरण दिया है इस पार्टी में सही मायने में आंतरिक लोकतंत्र स्थापित होगा जिसके गौरव आओ इन दिनों देखने को मिल रहा है सबसे अहम है जो पार्टियां अपने दल में अतिरिक्त लोकतंत्र होने का दावा करती है और कार्यकर्ताओं को खास महत्व देने की बात करती हैं अगर उन्हें ही भी जातीय संकरण संसाधन के ऐसे ही आया था दलबदलू नेता ऊपर निर्भर रहना पड़ा तो यह बेहद चिंताजनक होगा इसलिए बदलाव कि ऐसे काम ही सामने आती है जैसे नेता के क्षेत्र में जनता निराश रहती हैं दल और शिक्षामित्रों के पतन के कारण मतदाताओं को उन्हीं द्वारा स्वीकार करना पड़ता है कार्यकर्ताओं की भी अपेक्षा होती है आजकल राजनीति में जाति धर्म के नाम पर विचारों की मांग खूब होती है सवाल उठता है कि समावेश राजनीति की हिमायती करने वाले दलों के पास संबंधित जातियों को आकर्षित करने के लिए खुद के चेहरे क्यों नहीं होते जाती भारतीय समाज का यथार्थ है मगर इसे एक धागे में पिरोने की वजह दोहन की परवर्ती राजनेताओं में पाई जाती है जबकि मौजूद सरकार के तमाम जून कल्याणकारी योजनाओं का लाभ कभी-कभी जाति धर्म की गरीब तबकों को भी मिलना चाहिए ©Ek villain # प्रत्याशी चयन में सक्रिय रहे कार्यकर्ता #Walk