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Jitesh soni ( Yash )
Gourav chaplot
#गुलदस्ता तितलियों जैसा जो तुम्हारा दिल है कभी भवरा बन आगे पीछे तुम गुमे हो बागों में जो हर भाती रंग बिरंगे फूल है क्या कभी तुम उसको गुलदस्ता दिए हो... तितलियों जैसा जो तुम्हारा दिल है कभी भवरा बन आगे पीछे तुम गुमे हो बागों में जो हर भाती रंग बिरंगे फूल है क्या कभी तुम उसको गुलदस्ता दिए हो
Unconditiona L💓ve😉
तेरी झुमका लौटना तो बस एक बहाना था ! जब तुम आँख बंद करके हंसती हो तो तुम बहुत खूबसूरत लगती हो बस इसी एहसास को बताना था !! 🌺तू दूर है, अनजान है और न ही कोई पहचान है तुझसे,, 🌺फिर भी दिल तेरी एहसासों को समेटे हुए, हर दम तेरी आने कि ख़बर पूछते है मुझसे,, 🌺अब तू ही
ranjita jena
दीप, स्वयं बन गया शलभ अब जलते-जलते, मंजिल ही बन गया मुसाफिर चलते-चलते, गाते गाते गेय हो गया गायक ही खुद सत्य स्वप्न ही हुआ स्वयं को छलते छलते, डूबे जहां कहीं भी तरी वहीं अब तट है, अब चाहे हर लहर बने मंझधार मुझे परवाह नहीं है। अब तुम रूठो, रूठे सब संसार, मुझे परवाह नहीं है। अब पंछी को नहीं बसेरे की है आशा, और बागबां को न बहारों की अभिलाषा, अब हर दूरी पास, दूर है हर समीपता, एक मुझे लगती अब सुख दुःख की परिभाषा, अब न ओठ पर हंसी, न आंखों में हैं आंसू, अब तुम फेंको मुझ पर रोज अंगार, मुझे परवाह नहीं है। अब तुम रूठो, रूठे सब संसार, मुझे परवाह नहीं है, अब हर एक नजर पहचानी सी लगती है, अब हर एक डगर कुछ जानी सी लगती है, बात किया करता है, अब सूनापन मुझसे, टूट रही हर सांस कहानी सी लगती है, अब मेरी परछाई तक मुझसे न अलग है, अब तुम चाहे करो घृणा या प्यार, मुझे परवाह नहीं है। अब तुम रूठो, रूठे सब संसार, मुझे परवाह नहीं है। दीप, स्वयं बन गया शलभ अब जलते-जलते, मंजिल ही बन गया मुसाफिर चलते-चलते, गाते गाते गेय हो गया गायक ही खुद सत्य स्वप्न ही हुआ स्वयं को छलते छलत
True path
AB
किसी की ख्वाबों की तासीर होंगे कहीं तुम जान-ए-ग़ज़ल, मोहब्बतों में मलंग तुम..!! लिहाज़, लिहाफ, लिफ़ाज़ शरर बहरहाल तुम कहीं पासबान मुराद आतिश से तूफान तुम..!! सुर्ख लाल लबों का एहतिराम बेदार तुम मुस्तक़िल बख़्त में किसी का शबिस्तां तुम..!! शख़्सियत-ए-शराफ़त कहाँ कोई तुमसे हसीं कालिब-ए-अल्फाज़, अल्फाज़-ए-ताम तुम..!! चश्म-ए-कैद तुम, आशना तुम, अफसाना तुम गनीमत रहो, परवाज़, महताब बन के तुम..!! Dedicating a #testimonial to कपिल भारतीय🖤 Kapil Ji oh,,, sorry Pro.Kapil Bhartiy ji,,, आपकी खिदमत में कुछ लिखा है,, उम्मीद है आपको पंसद तो