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Manmanth Das
ओस से भींगीं नम हुई नई हरी दूब, कोमल फसलें व नव यौवन लिए मंद मुसकाते हुए, कुछ पुष्प लताएँ कोंपलों को समेटे नए हरे पत्ते और कलियाँ सकुचाते हुए , कल्लोलित खग वृंद मधुर प्रस्फुटित स्वर में गुनगुनाते हुए, अलसी रही झूम प्रिय के स्वागत में अपने हृदय के समस्त भाव बिछाते हुए, वसुंधरा धर रही नित बसंती परिधान ऋतुराज की राह में पलकें बिछाते हुए, आम्र कुंज से मधु चुराकर मादक कोकिल चिहुँक रही जाने कब से अपने प्रिय को बुलाते हुए, और उतारकर चादरें धुंध की बसुधा देखो झुरमुट से झांक रही मानो देखा है उसने पीले सरसों के पीछे से बसंत को आते हुए। मन्मंथ् ✍ ©Manmanth Das #बसंत #कविता #रचना #मन्मंथ
KrishnaSharma
कविता का शीर्षक:- बसंत ऋतु का आगमन लेखक:- कृष्णा शर्मा स्वरचित पेड़ों पर कलियाँ फूट पड़ी मन सरसों सा लहराया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है फूलों में रंग लगा भरने कोयल की कूक सुनाई दे वह पवन बसंती है देखो मनवा को जो पुरवाई दे हरियाली खेतों में है आमों पर बौर लगा आने देखो पलाश के फूलों को आकर्षित हैं करने वाले मन बना बसंती झूम रहा क्या मस्त बहारें लाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत ये आया है हो गर बसंत जीवन में तो हर मौसम में खुशहाली हो पतझड़ चाहे जीवन हो पर अंतर्मन में हरियाली हो भंवरा बन कर के फूलों पर जीवन को यूं महका जाऊं फिर बना बसंती खुद को मैं सारे जग को बहका जाऊं एक बसंती पवन ने ही मेरे मन को महकाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है इस फगवा और बसंती का जग में है मेल निराला सा मदमस्त सभी को करता है मुझको कर दिया शिवाला सा सबके मन को ही भाता है देखो बसंत जब आता है जीवन को रंग बिरंगा कर यह नई बहारें लाता है इस एक अनोखी ऋतु ने ही सारे जग को महकाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है जय शारदे मां ©KrishnaSharma कविता का शीर्षक बसंत ऋतु का आगमन #Morning
Rishi Dwivedi
बारिश की प्रथम फुहारों ने आ करके मुझे बताया है, हल्की हल्की मन्द पवन ने नव अहसास जगाया है | फिर बसंत आया है | है मौसम में अलग रवानी, पक्षी भी सब बोल रहे हैं, पेड़ो पर मस्ती है छाई, पौधे होली खेल रहे हैं | उनकी यादों की आहट ने बरबस मुझे जगाया है, फिर बसंत आया है | पुरवा ने बस अभी अभी मंद सुगंध बिखेरी है, कोयल ने भी अभी अभी इक मधुर तान सुनाया है | मिट्टी की सोंधी खुशबू ने घर आंगन महकाया है, फिर बसंत आया है | सुबह हुई है सूरज ने स्वर्णिम रश्मि बिखेरी है, मैने भी बिस्तर पर अपनी अंगड़ाई तोड़ी है | माँ ने आकर अभी-अभी मुझको गले लगाया है, फिर बसंत आया है | मेरी नयी कविता "फिर बसंत आया है" #yqbaba #yqdidi #yqhindi
Sweta
सरसों के फूल लहलहाना बसंत का हवाओं पे खुशियाँ तराना बसंत का पंछियों का देखों गुनगुना बसंत का प्रकृति को देखों खजाना बसंत का अरे पैगामें मोहब्बत लाना बसंत का पायल जो झनकी बहाना बसंत का चुनरियाँ सरकी शरमाना बसंत का प्रेमियों का दिल धड़काना बसंत का दिल का अजीब लुभाना बसंत का हैं खूब ये मौसम सुहाना बसंत का क्या कहे अंदाज जमाना बसंत का Queen ये दिल दीवाना बसंत का ।। ©Sweta #बसंत #मोहब्बत #Dil #Love #is #Smile #कविता #शायरी #squeen #hills