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BANDHETIYA OFFICIAL
कलम कला है,कलई भी खुल जाती है। सर कलम मौत हो, हो जीवन पेड़ कलम कटा, मरण -जनम की थाती है, कलई भी खुल जाती है। प्रमाण पत्र जनम का, प्रमाण पत्र मरण का, मृत्यु का जीवन का, कुंडली भी कुछ पाती है। सृजन किसे भाये, कौन दुश्मन, ये भी कलम की हस्ती यकीनन, सर, धड़, जड़, पकड़ ले धड़कन, जकड़ ले यम अकाल भी, अकाल मृत्यु आती हैं। ©BANDHETIYA OFFICIAL #कलम #कला है।
#कलम #कला है। #मोटिवेशनल
read moreGhumnam Gautam
White उदास रहने की कला, सीख लीजिए आप माँगने वाले ख़ुद-ब-ख़ुद, लेंगे रस्ता नाप ©Ghumnam Gautam #bike_wale #रस्ता #कला #ghumnamgautam
#bike_wale #रस्ता #कला #ghumnamgautam #विचार
read moreAdesh K Arjun
"मनुष्य ने चूहों से धन छुपाने की कला तो सीखी, परन्तु हाथी जैसे विशाल काय गणेश का भार उठा पाने की कला नहीं सीख सका. ©Adesh K Arjun कला
कला #Quotes
read moreअदनासा-
White वास्तविक है कि आप एक कलाकार हो, उससे भी बड़ी वास्तविकता यह है कि, हर कलाकार को कद्रदान भी चाहिए, अपितु आप अकेले कुछ भी नहीं है। ©अदनासा- #हिंदी #कला #कद्रदान #Hope #कलाकार #वास्तविकता #कुछभीनहीं #Instagram #Facebook #अदनासा
Santosh Jangam
#shrirammandir कविता "राम नवमी उत्सव : परळी" कवितेचे सार म्हणजे राम नवमी उत्सव हा उत्साह, एकता आणि आनंदाने साजरा करणे आहे. त्याच्यात भक्तिचा #मराठीकविता
read moreKUNWA SAY
White दिल का दर्द छुपाने की कला बस एक है, रूख जाते हैं आँसु, उस वक़्त बिताने की कला बस एक है। ©KUNWA SAY #nightthoughts दिल का दर्द छुपाने की कला बस एक है, रूख जाते हैं आँसु, वक़्त बिताने की कला बस एक है।
#nightthoughts दिल का दर्द छुपाने की कला बस एक है, रूख जाते हैं आँसु, वक़्त बिताने की कला बस एक है।
read moreManish Raaj
कला ------ बहते आंसुओं को दरकिनार कर सब्र के साथ आगे बढ़ जाने की कला हर किसी को नहीं आती वाक़िफ-ए-तकलीफ़ से गुज़र क़ाबिल-ए-तारीफ़ से आगे निकल जाने की कला हर किसी को नहीं आती बंजर ज़मीं से हो कर लहलहाते खेतों बीच घरौंदा बनाने से ऊपर उठ जाने की कला हर किसी को नहीं आती मकां और मुक़ाम के सफ़र से हो कर किसी के दिल में पनाह पाने और रूह का सुकूं हो जाने की कला हर किसी को नहीं आती बेइमानों की बस्ती से हो कर ईमानदारों की महफ़िल से आगे बढ़ जाने की कला हर किसी को नहीं आती गरीबी से गुज़र अमीरों से आगे निकल जाने की कला हर किसी को नहीं आती जज़्बात की गिरफ्त से निकल जज़्बे को मिसाल बनाने की कला हर किसी को नहीं आती कल के सपनों को पिछे छोड़ अपने आज के आधार को आकार और धार देने की कला हर किसी को नहीं आती कविः मनीष राज ©Manish Raaj #कला