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संवेदिता "सायबा"
लिखते-लखते रुक जाते हैं मन-ही-मन सुध खो जाते हैं। भाव-मगन में पिरो के माला, स्वप्न डगरिया सो जाते हैं। लिखते-लिखते..... समझ सके मर्मज्ञ-हृदय को, पीर पराई लिख जाते हैं। शब्द-भाव-संयोग आधूरा, असमंजस में कर जाते हैं। लिखते-लिखते..... ©संवेदिता "सायबा" लिखते-लखते रुक जाते हैं मन-ही-मन सुध खो जाते हैं। भाव-मगन में पिरो के माला, स्वप्न डगरिया सो जाते हैं। लिखते-लिखते.....
Sunil Kumar
साहस
बेकार समझा न होता, कुछ भी हल, जिंदगी ही करती, सलीके से मददगार बन जाती। बेकार नहीं होता... बेकार नहीं होता वक़्त का हर नज़रिया बेकार हम बनाते है रचकर स्वार्थ की डगरिया #आर्यवर्त #बेकारनहींहोता #collab #yqdidi #Y
Sheetal Agrawal
सुनो ना, ओ मेरे होनेवाले सुनो जी!!! ©Sheetal Agrawal सुनो ना, मेरे होनेवाले सुनो जी..... माना कि मैं कमाऊंगी नहीं लेकिन तुम आराम से कमा सको वो रास्ते जरूर बना ही दूंगी!!! अपनी काबिलियत, अपना
Shalini Sharma
KISHAN KORRAM
"जीवन एक प्रेमनगरिया हैं दो ज़ान जिसकी डगरिया हैं व्यापार होता है दिलों का और प्रेम अंधत्व में बिक जाता हैं मोल दो ज़ान का उचित हैं तो ठीक हैं वरन प्रेम तो अंधा होता हैं" "जीवन एक प्रेमनगरिया हैं दो ज़ान जिसकी डगरिया हैं व्यापार होता है दिलों का और प्रेम अंधत्व में बिक जाता हैं मोल दो ज़ान का उचित हैं तो ठीक हैं
कवि राहुल पाल 🔵
((( लोक गीत नोजोटो ))) अरे कब लोगे हमरी ख़बरिया नोजोटो जी कब लोगे हमरी ख़बरिया .... शब्द सुमन चुन चुन के चढ़ाये तुमको चढ़ाये हर रस का प्रसूना नोजोटो जी कब लोगे हमरी ख़बरिया .. इस भंवर डूबी हमरी डगरिया नोजोटो जी कब लोगे हमरी ख़बरिया गीत संगीत हम गाय के सुनाए का अब तोहके हलवा पूरी चढ़ाये कब आहियो हमरी नगरिया नोजोटो जी कब लोगे हमरी ख़बरिया .... बरसो हमरी शहरिया नोजोटो जी कब लोगे हमरी ख़बरिया ... आंधी तूफान के झौका चलत है कुछ तो कॉपी कय के मरत है अरे माने न हमरी कथनिया नोजोटो जी कब लोगे हमरी ख़बरिया .. लाइक कमेंट के चक्कर मे पड़ गये कुछ तो खजूरें के पेड़े पे गिर गये कुछ खाये बैठे हैं धतूरा नोजोटो जी कब लोगे हमरी ख़बरिया .... कैसे कहे तुम सुधिया भुलाने तुमको तो राहुल सभी अपना माने लौवटो पुरानी बजरिया नोजोटो जी अरे कब लोगे हमरी ख़बरिया अरे कब लोगे हमरी ख़बरिया नोजोटो जी #लोकगीत_नोजोटो (एक कोशिश ) अरे कब लोगे हमरी ख़बरिया नोजोटो जी कब लोगे हमरी ख़बरिया .... शब्द सुमन चुन चुन के चढ़ाये तुमको चढ़ाये हर रस का प्र
प्रियदर्शी
यही कर के वो वादा थे गए, की लौट आएंगे, हमे मालूम ही ना थी, कि वो ये दिन दिखाएंगे। किसी आधी डगरिया पर, सफर में खो गए ऐसे, जिन्हें हम हमसफ़र समझे, ना सोचा, वो छोड़ जाएंगे।। यही कर के वो वादा थे गए, की लौट आएंगे, हमे मालूम ही ना थी, कि वो ये दिन दिखाएंगे। किसी आधी डगरिया पर, सफर में खो गए ऐसे, जिन्हें हम हमसफ़र सम