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जुलू की बात

पूंजीपतियों की ये हिंसक सरकार.. #Women #विचार

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Prabodh Prateek

इस सरकार से सहमत होने की कोई सवाल ही नहीं यह सरकार पूंजीपतियों की सरकार है, मौजूदा सरकार निजीकरण की पक्षधर में है इसलिए किसानों के हित मे सो #Talk

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इस सरकार से सहमत होने की कोई सवाल ही नहीं यह सरकार पूंजीपतियों की सरकार है, मौजूदा सरकार निजीकरण की पक्षधर में है इसलिए किसानों के हित मे सोचना ही बेमानी है, जब से ये सरकार सत्ता में आई तानाशाही की दिशा में काम कर रही है।आज पूरे देश में असुरक्षा का माहौल पैदा हो गया है लेकिन इस सरकार को कोई फिक्र नहीं

©Prabodh Prateek इस सरकार से सहमत होने की कोई सवाल ही नहीं यह सरकार पूंजीपतियों की सरकार है, मौजूदा सरकार निजीकरण की पक्षधर में है इसलिए किसानों के हित मे सो

MANJEET SINGH THAKRAL

भारतीय राजनैतिक परिदृश्य की धारा बदलने वाला रंगचिन्तक मंजुल भारद्वाज के नाटक “राजगति” का अंश! 1. देखिये भूमंडलीकरण का ‘विकास’ कैसे लील गया भ #विचार #CloudyNight #किसानआन्दोलनज़िंदाबाद #नाटकराजगति #थिएटरऑफ़रेलेवंस #मंजुलभारद्वाज

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भारतीय राजनैतिक परिदृश्य की धारा बदलने वाला रंगचिन्तक मंजुल भारद्वाज के नाटक “राजगति” का अंश!
1. देखिये भूमंडलीकरण का ‘विकास’ कैसे लील गया भारत की आत्मा किसान और किसानी को!
2. देखिये जात,पात,धर्म में बंटकर हमने विकारियों को सत्ता पर बैठा कर ‘लोकतंत्र को भीड़तंत्र’ बना लिया !
3. देखिये कैसे पूंजीपतियों की दलाल बहुमत की धर्मांध सत्ता ने सारेकिसान की तबाही तीन काले कानूनों से तय कर दी
4. जागो और प्रतिरोध करो,किसानों का साथ दो !
5. राजनीति गन्दी नहीं है. ‘हम भारत के लोग’ अपनी राजनैतिक भूमिका का निर्वहन करें. अन्याय का प्रतिरोध करें !

#नाटकराजगति #किसानआन्दोलनज़िंदाबाद #थिएटरऑफ़रेलेवंस #मंजुलभारद्वाज

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10225734599291066&id=1213249287

©MANJEET SINGH THAKRAL भारतीय राजनैतिक परिदृश्य की धारा बदलने वाला रंगचिन्तक मंजुल भारद्वाज के नाटक “राजगति” का अंश!
1. देखिये भूमंडलीकरण का ‘विकास’ कैसे लील गया भ

Sarbjit sangrurvi

दीमक है लगता, जो सब कुछ, सफा चाट कर गया। यां है दलाल कोई, पूंजीपतियों का है, जो है घर भर गया। हैरान हूं हमारा पैसा, #ਜੀਵਨ

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दीमक है लगता,
जो सब कुछ,
सफा चाट कर गया।
यां है दलाल कोई, 
पूंजीपतियों का  है,
जो है घर भर गया।

 हैरान हूं हमारा पैसा,
देश वासियों से छीन कर,
अपनों पे लुटाया जा रहा है।
डिजिटल इंडिया का,
नामों निशान मिटाया जा रहा है।
पूंजीपति रकम डकारें जा रहे हैं।
नेता करोड़ों का चंदा खा रहे हैं।
करोना करोना का रोना रो रो,
हमें मुकाए जा रहें हैं।
बात हमारे दिल की सुनते नहीं,
अपने मन की सुनाये जा रहें हैं।
पैट्रोल डीज़ल के दाम,
 आसमां को निगल गये,
ये ज़िन्दगी हमारी,
 नर्क बनाये जा रहें हैं।

©Sarbjit sangrurvi दीमक है लगता,
जो सब कुछ,
सफा चाट कर गया।
यां है दलाल कोई, 
पूंजीपतियों का  है,
जो है घर भर गया।

 हैरान हूं हमारा पैसा,

Bhupendra Rawat

मैं सोचता हूं अक्सर आधुनिक युग के इस जाल में क्या होगा आने वाली पीढ़ी का जिसने आधुनिकता के नाम पर बना दिया है,सबको अपना गुलाम मानसिक विका

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मैं सोचता हूं अक्सर 
आधुनिक युग के इस जाल में 
क्या होगा आने वाली पीढ़ी का
जिसने आधुनिकता के नाम पर 
बना दिया है,सबको अपना गुलाम 
मानसिक विकास के नाम पर
बना दिया है अपंग
अपनों से बना ली है दूरी और
खूबसूरत सी दिखने वाली दुनिया से
से बना लिया है फासला,
सशक्तिकरण समाज के निर्माण 
का सपना दिखाने वाले
आधुनिकता के नाम पर
परोस रहें है,अश्लीलता
नग्न तस्वीरें पुरूष और महिलाओं की
शिक्षा को बना दिया है,बाजारू
मर रहा है गरीब,क्योंकि उसके पास 
नहीं है पैसे आधुनिकता के इस युग मे
स्वयं का इलाज करवाने को
पूंजीपति आज भी चूस रहें है 
मजदूरों की हर एक रक्त की बूंद
और मजदूर आज भी विवश है
भूखा रहने को,क्योंकि उसके 
पसीने की कमाई पर टिका है
पूंजीपतियों का कारोबार
मैं सोचता हूं,अक्सर कैसे होगा
विकास आधुनिक युग के इस जाल में
आने वाली पीढ़ी का।

भूपेंद्र रावत
9।08।2020 मैं सोचता हूं अक्सर 
आधुनिक युग के इस जाल में 
क्या होगा आने वाली पीढ़ी का
जिसने आधुनिकता के नाम पर 
बना दिया है,सबको अपना गुलाम 
मानसिक विका

हरीश वर्मा हरी बेचैन

पहले टी वी में एक दो... विज्ञापन आता था! यैसे ही अखबार में भी कहीं कहीं... ज्ञापन विज्ञापन दिख जाता था! दर्शकों का पाठकों का .... सम्मान रक्

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पहले टी वी में एक दो...
विज्ञापन आता था!
यैसे ही अखबार में भी कहीं कहीं...
ज्ञापन विज्ञापन दिख जाता था!
दर्शकों का पाठकों का ....
सम्मान रक्खा जाता था!
दर्शको का पाठको का .......
अद्भुद अटूट नाता था.....
हम लोग रमायण महा भारत ....
उचक उचक कर  देखते थे .लोग....
बहुत गंभीरता से पढते थे अखबार....
चौथा स्तम्भ हो कर सतर्क!
बखूबी कर्तव्य निभाता था!!
पत्रकार संवादाता समूह....
जन जन मन से इज्जत पाता थ!
शातिर गुण्ड़े पूंजीपती 
और नेता घबराता था!
अब अखबार में ठूंढना पड़ता है...
जन समाचार ज्ञानवर्धक खबर...
केवल केवल सत्य झूठ से भरा...
विज्ञापन का ही संसार है!
पढने की नशा से..
पाठक विवश और लाचार है!
पूंजीपतियों का संसार है!
बिका बिका यह संसार है!
बदलो चैनल बस विज्ञापन आता है!
अमूल्य समय बरबाद हो जाता है!
पैसे की है यह कैसी भूख??
झूठ छल कपट बार बार देखते...
झूठ ही सत्य बन जाता है!
दूर खड़ा भारत , इन्ड़िया से...
बेरहमी से अलग अलग हो जाता है!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏✍️
हरीश वर्मा/इलाहाबाद/८८४०८१२७१८ पहले टी वी में एक दो...
विज्ञापन आता था!
यैसे ही अखबार में भी कहीं कहीं...
ज्ञापन विज्ञापन दिख जाता था!
दर्शकों का पाठकों का ....
सम्मान रक्

Bobby(Broken heart)

देश का किसान.... कृपया करके पूरी कविता कैप्शन में पढ़ें देश का पेट भरने वाला किसान आज भूखा प्यासा रोड पर है लड़ रहा है जंग अपनी ही मजबूर #Emotions #Yaad #Shayari #Kisan #raindrops #merayalfaz #bobby_sadeyes #kisanbill

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देश का पेट भरने वाला किसान 
आज भूखा प्यासा रोड पर है
 लड़ रहा है जंग अपनी ही मजबूरियों से 
अपनी गरीबी से 

जिस देश का नारा जय जवान जय किसान था कभी 
आज उसी देश में किसान बदहाल है 
सरकार जो किसान बिल लाई है 
ना जाने वह क्या भला करेगा किसानों का 
अभी तो यह बिल किसानों को संदेह और आशंका से घेरे हैं

 सत्ता के नशे में चूर सरकार
 इस बात को समझे किसान को परेशान करोगे तो
 देश भी परेशान होगा सोच कर देखो
 जब वह नहीं पैदावार करेगा 
तो देश का पेट कैसे भरेगा

 जिसने कभी हल ना चलाया हो खेत में
 झुलसा देने वाली गरम दुपहरी में 
वह एयर कंडीशंड संसद में बैठकर किसानों का क्या दर्द समझेगा
 पूंजीपतियों के हाथों बिकी हुई सरकार
 क्या सुनेगी गरीब मजबूर किसान की दर्द भरी आवाज

 सत्ता के मद में चूर सुनो
 एक दिन घमंड होगा तुम्हारा भी होगा चूर कह गए थे 
यह बात श्री अटल बिहारी वाजपेई जी 
जब थे तुम लोग विपक्ष में 
सब पर लागू होती है अटल जी की वह बात

 बस थोड़ा सा ठहरो 
देश की जनता न्याय करेगी 
दिखाएगी तुमको भी एक दिन
 संसद भवन का निकासी द्वारा💔💔
Bobby broken heart

©Bobby(Broken heart) देश का किसान.... कृपया करके पूरी कविता कैप्शन में पढ़ें


देश का पेट भरने वाला किसान 
आज भूखा प्यासा रोड पर है
 लड़ रहा है जंग अपनी ही मजबूर

aman6.1

~~【{◆◆तो क्या◆◆}】】~~ राम राज्य की आड़ में रावण ने करदिया वार,घर घर में है मौत नाच रही लेकर शव का भार. डरे डरे से लोग फिरें हैं अफसर सारे #Life #India #nojotoapp #nojotoshayari #nojotonews

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राम राज्य की आड़ में रावण ने करदिया 
वार,घर घर में है मौत नाच रही लेकर शव 
का भार.

डरे डरे से लोग फिरें हैं अफसर सारे 
चाटुकार,धंधा ही है सबसे ऊपर चल पड़ा 
मौत का कारोबार।

तड़प तड़प कर लोग मर रहे होगयी 
सिस्टम की हार,पानी से ज्यादा प्यास लग 
गयी हवा की,खुद लाशें कर रहीं गंगा में 
अपना अंतिम संस्कार।

read full post in menstion⬇️⬇️⬇️⬇️

©aman6.1 ~~【{◆◆तो क्या◆◆}】】~~

राम राज्य की आड़ में रावण ने करदिया
वार,घर घर में है मौत नाच रही लेकर शव 
का भार.

डरे डरे से लोग फिरें हैं अफसर सारे

kavi manish mann

रुको ऊपर नीचे करने से पहले इस विषय को अवश्य पढ़े।🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳 ये क्या हो रहा है यार देश में, जहां देश की 80% जनता आज भी परेशान है, कहीं प्राकृति #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #आँखोंने

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इन आंखों ने कई राज अलबेले देखे,
कहीं खुशी तो कहीं गम के मेले देखे।

कहीं किसी को ख़ुद ही ख़ुद में मदमस्त देखा,
तो किसी को हजारों के बीच अकेले देखा।

कहीं गरीबी से तंग आ मां बच्चों संग मरते देखा,
तो कहीं पैसे को पानी समझ मयखाने में बहाते देखा।

क्या बताएं ' मनीष ' इस जहां में हमनें क्या - क्या देखा,
एक मां को न्याय के लिए वर्षों न्यायलय में भटकते देखा।


 रुको ऊपर नीचे करने से पहले इस विषय को अवश्य पढ़े।🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳
ये क्या हो रहा है यार देश में,
जहां देश की 80% जनता आज भी  परेशान है, कहीं प्राकृति

Insprational Qoute

विधा:- पत्र लेखन ****************** विषय :- रोटी का एक गृहिणी को प्रत्युत्तर *********************************** ल.म.व.पुर, च.घ.ड़ नगर, #yqrestzone #rzमहफ़िल #Magnetic_monisha #rzमहफ़िल3

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विधा:- पत्र लेखन
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विषय :- रोटी का एक गृहिणी को प्रत्युत्तर
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सम्पूर्ण पत्र पढ़ने हेतु कृपया अनुशीर्षक में पढ़ियेगा🙏🙏🙏 विधा:- पत्र लेखन
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विषय :- रोटी का एक गृहिणी को प्रत्युत्तर
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