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Stories related to अप्रिलिया सर १५० प्राइस

Himanshu Prajapati

#mahashivaratri सब मस्त सब अच्छा है बन जाता है सब काम फिर क्यों चाहिए किसी का साथ जब सर पर‌ है महादेव का हाथ..! #36gyan #hpstrange

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सब मस्त सब अच्छा है 
बन जाता है सब काम
फिर क्यों चाहिए किसी का साथ
जब सर पर‌ है महादेव का हाथ..!

©Himanshu Prajapati #mahashivaratri सब मस्त सब अच्छा है 
बन जाता है सब काम
फिर क्यों चाहिए किसी का साथ
जब सर पर‌ है महादेव का हाथ..!
#36gyan #hpstrange

dilkibaatwithamit

हवाएँ तेज़ थीं ये तो फ़क़त बहाने थे सफ़ीने यूँ भी किनारे पे कब लगाने थे ख़याल आता है रह रह के लौट जाने का सफ़र से पहले हमें अपने घर जलाने थ

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White हवाएँ तेज़ थीं ये तो फ़क़त बहाने थे
सफ़ीने यूँ भी किनारे पे कब लगाने थे

ख़याल आता है रह रह के लौट जाने का
सफ़र से पहले हमें अपने घर जलाने थे

गुमान था कि समझ लेंगे मौसमों का मिज़ाज
खुली जो आँख तो ज़द पे सभी ठिकाने थे

हमें भी आज ही करना था इंतिज़ार उस का
उसे भी आज ही सब वादे भूल जाने थे

चलन था सब के ग़मों में शरीक रहने का
अजीब दिन थे अजब सर-फिरे ज़माने थे

©dilkibaatwithamit हवाएँ तेज़ थीं ये तो फ़क़त बहाने थे
सफ़ीने यूँ भी किनारे पे कब लगाने थे

ख़याल आता है रह रह के लौट जाने का
सफ़र से पहले हमें अपने घर जलाने थ

दक्ष आर्यन

बड़ी ग़फ़लत मे है की तू ज़िंदा है तेरे सीने मे जो साँसे है वो चुनिंदा है तेरी साँसे क़र्ज़दार है इस वक़्त की साँसे छीनने और चुराने का इस वक़्त का

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White बड़ी ग़फ़लत मे है की तू ज़िंदा है 
तेरे सीने मे जो साँसे है वो चुनिंदा है 
तेरी साँसे क़र्ज़दार है इस वक़्त की
साँसे छीनने और चुराने का इस वक़्त का गोरखधंधा है
बड़ी ग़फ़लत मे है की तू ज़िंदा है 

जाने कब ये वक़्त छीन लेगा तुझसे ये साँसे तुम्हारी 
जाने कितना क़र्ज़ है तेरे सर पर
इतिहास गवाह है इस बात का 
चुकाया है ये क़र्ज़ सब ने ही मर कर
इसलिए तो मौत का भाव बड़ा मंदा है 
बड़ी ग़फ़लत मे है की तू ज़िंदा है 
तेरे सीने मे जो साँसे है वो चुनिंदा है

©दक्ष आर्यन बड़ी ग़फ़लत मे है की तू ज़िंदा है 
तेरे सीने मे जो साँसे है वो चुनिंदा है 
तेरी साँसे क़र्ज़दार है इस वक़्त की
साँसे छीनने और चुराने का इस वक़्त का

Y. B

Happy Hug day#आगोश 💞 माँ क्या होती है ये तो माँ के जाने के बाद ही एहसास होता है जब हर खुशी के मौके पर लिपटने को बाँहें नहीं होती और दुःख मे

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White Yasmin Bano

©Y. B Happy Hug day#आगोश 💞
माँ क्या होती है ये तो माँ के जाने के बाद ही एहसास होता है जब  हर खुशी के मौके पर लिपटने को बाँहें नहीं होती और दुःख मे

dilkibaatwithamit

मुझे याद है कभी एक थे, मग़र आज हम हैं जुदा जुदा वो जुदा हुए तो सँवर गए, हम जुदा हुए तो बिखर गए कभी रुक गए कभी चल दिए, कभी चलते चलते भटक ग

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White मुझे याद है कभी एक थे, मग़र आज हम हैं जुदा जुदा 
वो जुदा हुए तो सँवर गए, हम जुदा हुए तो बिखर गए 

कभी रुक गए कभी चल दिए, कभी चलते चलते भटक गए 
यूँ ही उम्र सारी गुज़ार दी, यूँ ही ज़िंदगी के सितम सहे 

कभी नींद में कभी होश में, तू जहाँ मिला तुझे देख कर 
ना नज़र मिली ना ज़ुबाँ हिली, यूँ ही सर झुका कर गुज़र गए 

कभी ज़ुल्फ़ पर कभी चश्म पर, कभी तेरे हसीन वुजूद पर 
जो पसन्द थे मेरी किताब में, वो शेर सारे बिखर गए 

कभी अर्श पर कभी फ़र्श पर, कभी उन के दर कभी दर बदर 
ग़म ए आशिक़ी तेरा शुक्रिया, हम कहाँ कहाँ से गुज़र गए..!!

©dilkibaatwithamit मुझे याद है कभी एक थे, मग़र आज हम हैं जुदा जुदा 
वो जुदा हुए तो सँवर गए, हम जुदा हुए तो बिखर गए 

कभी रुक गए कभी चल दिए, कभी चलते चलते भटक ग

gauranshi chauhan

#GoodNight शमशान की भस्म को मैने सर माथे पर लगाया है, महादेव की भक्त हूँ तो उन्ही को गले से लगाया है।

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White 
day - 456
शमशान की भस्म को मैने सर माथे पर लगाया है,
महादेव की भक्त हूँ तो उन्ही को गले से लगाया है।

©gauranshi chauhan #GoodNight शमशान की भस्म को मैने सर माथे पर लगाया है,
महादेव की भक्त हूँ तो उन्ही को गले से लगाया है।

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर खामोशी को इंकार भी कैसे समझूं, अभी तक कुछ कहा भी तो नहीं है। हो न हो इत्तेफाक इससे तुम्हे, सर पर मेरे कोई इल्ज़ाम थोड़ी है। वो

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset  खामोशी को इंकार भी कैसे समझूं,
अभी तक कुछ कहा भी तो नहीं है।
हो न हो इत्तेफाक इससे तुम्हे,
सर पर मेरे कोई इल्ज़ाम थोड़ी है।
वो कोई और होंगे उंगली से जो दब जाए,
मियां हम हम हैं कोई दाल नहीं है।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
खामोशी को इंकार भी कैसे समझूं,
अभी तक कुछ कहा भी तो नहीं है।
हो न हो इत्तेफाक इससे तुम्हे,
सर पर मेरे कोई इल्ज़ाम थोड़ी है।
वो

theABHAYSINGH_BIPIN

#love_shayari उस इश्क़ को क्या ही सर-ए-बाज़ार करें, कर गए वो मुझको रुस्वा, क्या ही बदनाम करें। ज़ख़्म भी तो चुन-चुन कर दिए हैं सोने पर, कि

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White उस इश्क़ को क्या ही सर-ए-बाज़ार करें,
कर गए वो रुस्वा, क्या ही बदनाम करें।
ज़ख़्म भी तो चुन-चुन कर दिए हैं सोने पर,
किस-किस ज़ख़्म का अब इलाज करें।

इश्क़ की बारिश में उन्हें जी भर के चाहा,
तन्हा करने वालों पर क्या ही ऐतबार करें।
छेड़ने को हर एक क़िस्सा बचा है अब,
दिल के दर्द को क्या ही बेकरार करें।

©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari 

उस इश्क़ को क्या ही सर-ए-बाज़ार करें,
कर गए वो मुझको रुस्वा, क्या ही बदनाम करें।
ज़ख़्म भी तो चुन-चुन कर दिए हैं सोने पर,
कि

बेजुबान शायर shivkumar

छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है तप कर आग

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Unsplash 
// खुद को निखार लेना //


छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं
मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं
हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है
तप कर आग में हम सोना बन ही कर आते हैं

मजबूरी जब ,अपने सर पे जिम्मेदारी आई तो समझ आ आती है
इस जिंदगी की दौड़ भी यु बढ़ती ही जाती है
वो अनाड़ी भी एक खिलाड़ी बन जाते हैं
जब गिर-गिर कर और ठोकर पर ठोकर यु खाते हैं

बारिश में भीग कर कड़ी धूप में यु जल कर भी वो बढ़ जाते हैं
न भाग कर ,अपने मुश्किलों से लड़ कर वो जीत कर दिखाते हैं
वो भी अपने वक्त के साथ साथ चलना भी सीख आता है
उसे अपने मेहनत का फल लेना भी आता है

अपने इन हाथों की लकीरों को भी बदल देते हैं
मेहनत करने वाले तूफान का रुख भी यु मोड़ देते हैं
ये दुनिया रोकती ही रहेगी मगर तुम चलते ही रहना 
न सुनना किसी की बात को तुम अपनी मंजिल को ही देखना

कर हौसला बुलंद तू , तुमने तो इतिहास रचा कदम बड़ा
हंसने वालो को एक दिन चुप करा देना , तुम इतिहास बना देना

©बेजुबान शायर shivkumar छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं
मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं
हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है
तप कर आग

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर चल पड़े हैं तो मुसाफ़िर नहीं रुकने वाले, मंज़िलें कहती हैं, रस्ते भी झुकने वाले। ज़िंदगी शेर थी, अब शेर मैं बन बैठा, जो मुझे ख

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चल पड़े हैं तो मुसाफ़िर नहीं रुकने वाले,
मंज़िलें कहती हैं, रस्ते भी झुकने वाले।

ज़िंदगी शेर थी, अब शेर मैं बन बैठा,
जो मुझे खा नहीं पाया, वो सबक बन बैठा।

तूफ़ानों से लड़ने का हुनर सिखा दिया,
नाव डूब भी गई तो समंदर बना दिया।

राह मुश्किल थी, मगर इरादा बुलंद था,
ख़ुद को हारा नहीं समझा, यही फ़र्ज़ था।

जंग जीतेंगे वही, जो लड़ने का हौसला रखें,
हार भी सर पे सजे, वो विजेता बनें।

मौत भी कहती रही, मुझसे किनारा कर ले,
मैंने हंसकर कहा, जीने का सहारा कर ले।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
चल पड़े हैं तो मुसाफ़िर नहीं रुकने वाले,
मंज़िलें कहती हैं, रस्ते भी झुकने वाले।

ज़िंदगी शेर थी, अब शेर मैं बन बैठा,
जो मुझे ख
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