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AK__Alfaaz..
सुख के दीये मे से.. संतोष का तेल खत्म हो गया.. उम्र की बाती ने.. आत्मा का सारा रक्त.. निचोड़कर जला दिया.. समृद्धि के आँचल से लिपट कर.. एक कष्टों का शूल चुभ गया.. और,,बरसों से छिपी उसकी लाज को.. निर्दयता से पल भर में नग्न कर गया.. खुशियाँ बाँहें फैलाये खड़ी रहीं भोर से.. इश्क़ का सूरज.. अफसोस की साँझ में छिप गया.. और,,काली अमावस मे आकर चकोर.. प्रतीक्षा के वृक्ष पर बैठ एकांत में.. अपने प्रिय चंदा की राह.. कातर नैनों से प्रतिपल तकता रहा.. #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #ग्लानि सुख के दीये मे से.. संतोष का तेल खत्म हो गया.. उम्र की बाती ने.. आत्मा का सारा रक्त..
AK__Alfaaz..
शापित रहा है, भूत उसका.., वर्तमान के शाप लिए, और..भविष्य, शापित मन लिए उसका, उसके तन के साथ, चलता रहा, उम्र के अंतिम छोर तक, उसका भयभीत मौन, पहनकर.. शब्दों के लिबास, दौड़ता है निर्भीक, उसकी अतीत की परछाइयों संग, और..खोजती है वो, समर्पण के पत्थरों से, घाव खाया, अपना लहुलूहान बदन, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #पीर_मंजरी शापित रहा है, भूत उसका.., वर्तमान के शाप लिए, और..भविष्य,
AK__Alfaaz..
कल, मन के अहाते में, एक बहती शीतल पुरवईया, हौले से आयी, दस्तक देकर, दहलीज पर मेरी, वो स्नेह के, किवाड़ों को खटखटायी, मैंने भी, अलसाई नींद से उठकर, जब किवाड़ खोले, तो..वो पुरवईया, वात्सल्य से मेरा, माथा सहलाकर कानों में, ममता पूर्वक, कुछ फुसफसायी, कल, मन के अहाते में, एक बहती शीतल पुरवईया, हौले से आयी, दस्तक देकर, दहलीज पर मेरी, वो स्नेह के,
AK__Alfaaz..
भोर भये, उसके नैनों की सीपियों से, झरे मोती, बिछौने पर पड़ी, सिलवटों की लहरों मे खो गयें उम्मीद के, बंद झरोखों की, दराजों से, झाँकती पूनम की रात, छूकर उसके, लाल महावर लगे पाँव, उसकी फटी ऐंड़ियों की, दरारों मे, तलाशती है, उसके खोये सपनों की राह, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #थोड़ी_सी_धूप भोर भये, उसके नैनों की सीपियों से, झरे मोती, बिछौने पर पड़ी, सिलवटों की लहरों मे खो गयें
AK__Alfaaz..
सोलह सोमवार की, इक साँझ को, दिल की, दहलीज पर अपनी, बैठी वो, गिन रही थी, अँगुलियों के पोरों पर, अपने सत्रहवें सावन मे, बरसी बारिश की उन बूँदों को, जो मन के अहाते में, सोते समय, गिरी थीं, इच्छाओं की टूटी खपरैल से, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #अपराजिता सोलह सोमवार की, इक साँझ को, दिल की, दहलीज पर अपनी,
Manish Kumar
खामोशियाँ अक्सर चीख़ती हैं मेरे अहाते में, शब्दों के तो ख़ैर हम आदी हैं इस जमाने में। अहाते - चारदीवारी #yqkhamoshi #yqcheekh #yqahaate #yqshabd #yqjamana #yqsaumitr
azad satyam
इस अहाते के अंधेरे में धुंआ सा भर गया है, तुमने जलती लकड़ियां शायद बुझाकर फेंक दी...! #ek_panchi_diwana_sa ©azad satyam इस अहाते के अंधेरे में धुंआ सा भर गया है, तुमने जलती लकड़ियां शायद बुझाकर फेंक दी...! #ek_panchi_diwana_sa #meltingdown
Kaleem Ansari
और कितना लिखू तेरी याद में कोई दम नहीं मेरी फरयाद में मेरी रूह भी छीन के ले गई मुझ से में में ना रहा तेरे बाद में में में न रह तेरे बाद में
डॉ वीणा कपूर "वेणु"...
सागर की लहरों में, मेरे गांव की नहरों में सीमाओं के पहरों में, उथले और गहरों में, सब ओर तुम्हें खोजती, मेरी मौन तलाश। एक दिन तो तुम मिल ही जाओगे पूर्ण है विश्वास। जल सम पारदर्शी गगन सम समदर्शी मेरी भोली आस सागर के किनारे भी अतृप्त है प्यास।। ©Veena Kapoor लहरों में नहरों में गहरों में पहरों में अतृप्त प्यास #sagarkinare