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Rupam Rajbhar
Kashmir (धारा ३७०) १)जम्मू -कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता । २)जम्मू -कश्मीर का राष्ट्र ध्वज अलग ३)जम्मू -कश्मीर की विधान सभा का कार्य -काल ६ वर्ष का जबकी सम्पूर्ण भारत में ५वर्ष। ४) राष्ट्र के ध्वज व प्रतीक का अपमान कोई अपराध नहीं। (अब ये धारा ख़त्म कर दी गई) जिससे दो और केंद्र शासित प्रदेश बन गए है भारत में, कश्मीर और लद्दाख। जिससे देश में ९ केंद्र शासित प्रदेश होगए है🤗। धारा ३७०। #कश्मीर
धारा ३७०। #कश्मीर
read moreBharadwaj Dilip
Kashmir उनको भी अब भारतीय होने का एहसास होने लगा है अब हर आतंकी सोने लगा है महादेव का शुरू हो गया तांडव हर हर महादेव ३७० धारा हटा दिया गया
३७० धारा हटा दिया गया #विचार
read moresai mahapatra
सहर में नया ऐलान हुआ है हुक़ूमत ने नया फरमान सुनाया है आज से ३७० हो गया है इस सहर से गायब अब से तिरंगा फेहेराने से किसी को नहीं रोक पाएंगे इए बड़े बड़े नवाब अब से केंद्र सरकार की सभी योजनाएं होंगी इस अंचल में लागू नहीं होगा उसपे वहां के स्थानीय सरकार का कोई काबू अब से कश्मीर में जाने की यहां पर रहने की मिलेगी सबको आजादी कोई नेता कोई सरकार लगा नहीं सकेगा उनपर कोई पाबंदी अब से जम्म्यू और कश्मीर भी होगा भारत का हिस्सा और ३७० बनके रह जाएगा कुछ तनासाशाओ का नाकाम क़िस्सा ३७०
३७०
read moreSonu Kumar Yadav
प्रेम की धारा धारा से मेघा ,मेघा बनावे। प्रेम से फिर उसी धारा पर बरसा वे। जैसे धारा को प्रेम मिले हैं। जैसे धारा पर बूंद रूप में प्रेम बरसत है।। प्रेम दिए हैं प्रेम मिले हैं। जल मिले हैं जल बरसे हैं।। चारों ओर संसार में प्रेम अग्न लगे हैं। आनंद जानन प्रेम परखा वन। मैंने जवाब नियति गान।। अपनी बरखा कब बरखेगी? रुत मिलन के कब आएंगे? थक ग्यो यह नैना मोरा। सखी प्रेम बिनु थकान लागो नैना मोरा। इंतजार में युग बीत गयो। बीत गए दिन - रात , आठ पहर बीत गए, सुबह - शाम संघ कई वर्ष भी! युग भी बित गए। कब होगी प्रेम की बारिश ? कब खेलेंगे प्रेम के पुष्प? कब चलेगी प्रेम की आंधी? कब बरसेगा कोरे कागज - पर प्रेम भरे बूंद? कब मेरे प्रेम को मिलेगा नए पतझड़ का धूप? ... कवि सोनू प्रेम की धारा
प्रेम की धारा
read morekartik chadha
विकास इंग्लिश में कहें तो Development जो दिखती है पर कभी समझ में नही आती, जो बिकती है लेकिन ख़रीदारी समझ मे नही आती, जो बढ़ती तो है पर बढ़ती नजर नही आती। हज़ारों फिरते है इसी develoment की आस में, पर development के नाम पे एक गुल्लक मिलती है। जिसकी चाबी तो है, लेकिन खुलती नही है। Development के नाम पर, पेड़ों से ज्यादा आज गाड़ियां दिखती है। हर चौराहे पे हुडनगियों की सेना दिखती है। सोच के बजाए हर गली मोहल्ले के poster में बिकती है। Solution के बजाय question raising में दिखती है। आज घरों के बजाय केवल ईमारतें दिखती है। सफलता सिर्फ BP डिप्रेशन में मिलती है। आज शादियाँ पैसा ख़र्च करके होती है। करप्शन की कमाई में लोगों की खूब आस होती है। माँ बाप से ज्यादा उस पराई लड़की की चलती है। आस्था एक गन के रूप में USE होती है। समाचार में भी रेप गुंडागर्दी की गप चार मिलती है। दिखती है पर समझ में नही आती, बिकती है पर औकात नजर नही आती, ये विकास की धारा बढती तो है, पर बढ़ती नजर नही आती। ©®roasted___life™ विकास की धारा
विकास की धारा
read moreHARSH369
जल की निर्मल पावन धारा कितनी कोमल और सहज होती है, जिस रूप मे जिस जगह डालो वही रम जाति है, एक उफ्फ तक नही करती, संगती इसकी भी अहम होती है, जिस जगह पड़ती है उसी का रूप ले लेती है, जल कि धारा हमे ये सिखाती है कभी घमण्द,कभी ईस्या नही करना अपने आप को उसी तरह धालना जैसे परिस्थिती मे हो.. तभी आपको लोग जन्मों जन्मों तक पूजेंगे..!! ©Shreehari Adhikari369 #paani की धारा
Ravi Ranjan Kumar Kausik
समय लेता परीक्षा है ,समय तो बहती धारा है । सब्र का दामन थामे रह , फिर कल तुम्हारा है । समय के साथ चलने में ही यारों बुद्धिमानी है । न भूलो और के हाथों में अपनी जिंदगानी है ।। [रवि] ©Ravi Ranjan Kumar Kausik # समय की धारा
# समय की धारा #शायरी
read moreWildSudhirAarya
यह वक्त की धारा है साथियों, कभी सपना तुम्हारा था मैं साथियों। मुझ में बैठ नजरें नीचे झुका के, अपने प्रिय को तुम हाथ हिला के, मेरी खिड़की पर महसूस किया करते , मेरे साथ जमीन से उड़कर के, यादों का समंदर लहरों को भेज कर, लौट जाता है मुझको यूं ही छूकर के।। ✍️आर्य सुधीर वक्त की धारा
वक्त की धारा #शायरी
read moreSonu Kumar Yadav
प्रेम की धारा धारा से मेघा ,मेघा बनावे। प्रेम से फिर उसी धारा पर बरसा वे। जैसे धारा को प्रेम मिले हैं। जैसे धारा पर बूंद रूप में प्रेम बरसत है।। प्रेम दिए हैं प्रेम मिले हैं। जल मिले हैं जल बरसे हैं।। चारों ओर संसार में प्रेम अग्न लगे हैं। आनंद जानन प्रेम परखा वन। मैंने जवाब नियति गान।। अपनी बरखा कब बरखेगी? रुत मिलन के कब आएंगे? थक ग्यो यह नैना मोरा। सखी प्रेम बिनु थकान लागो नैना मोरा। इंतजार में युग बीत गयो। बीत गए दिन - रात , आठ पहर बीत गए, सुबह - शाम संघ कई वर्ष भी! युग भी बित गए। कब होगी प्रेम की बारिश ? कब खेलेंगे प्रेम के पुष्प? कब चलेगी प्रेम की आंधी? कब बरसेगा कोरे कागज - पर प्रेम भरे बूंद? कब मेरे प्रेम को मिलेगा नए पतझड़ का धूप? ... कवि सोनू प्रेम की धारा
प्रेम की धारा
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