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अजय आदिल
चूभती यादें, बुला रही है ,तुझे।। चूमती वादें, बुला रही है,तुझे।। झूमती इरादें, बुला रही है,तुझे।। घूमती बहारें, बुला रही है,तुझे।। डूबती सांसें, बुला रही है,तुझे।। बुझती निगाहें, बुला रही है ,तुझे।। नहीं आना है, मत आ। फिर ना कहना, लिपट कर , मेरी लाशों से, आवाज़ ना दी थी,तुझे।।। asdf बुला रही है,तुझे
Shaikh Akhib Faimoddin
वो कल खडी़ थी दुसरे गली में,आज मेरे गली में खडी़ नजर आ रही है| बाहें फैलाके खडी़ है वो मेरे इंतजार में मुझे पता है लेकिन अभी क्यों मुझे बुला रही है| जितना में दुर भागना चाहता हुँ उससे वो उतना मेरे करीब आ रही है| जाऊँ कैसे छोड के इस सफर को बीच में वो मुझे अलग ही सफर पे ले जा रही है| जाऊँ कैसे अभी कुछ काम हैं और बाकी कम है वक्त,वो बनी है सक्त,देखो मुझे बुला रही है| जाना तो सब को है एक दिन उसके साथ लेकिन क्यों वो मुझे जल्द ले जा रही है| वो भी क्या करेगी,ये तो खुदा का फरमान है देखो वो मौत मेरी महेबुबा मुझे साथ ले जा रही है| वो मुझे बुला रही है
Sanjiv Mahato
हे मोरी मां तूं कहां है तेरा लाल तो यहां है ©Sanjiv Mahato मां तो आंखे दिखा रही है लगता है मुझे बुला रही है #MothersDay2021
Gurudeen Verma
शीर्षक - बुला रही है सीता तुम्हारी, तुमको मेरे राम जी ---------------------------------------------------------- (शेर)- कब आयेगा रामराज, कब सुरक्षित होगी सीता भारत में। कब पैदा होना बंद होंगे रावण, हे राम तुम्हारे भारत में।। ---------------------------------------------------------- बुला रही है सीता तुम्हारी, तुमको मेरे राम जी। लुट रही है सीता तुम्हारी, अब भी मेरे राम जी।। ओ मेरे राम जी--------------------(2) बुला रही है सीता तुम्हारी -------------------।। चीरहरण सीता का आज भी, हो रहा है सरेआम। आबरू सीता की आज भी, लुट रही है सरेआम।। आज भी जिन्दा है हजारों, रावण मेरे राम जी। लुट रही है सीता तुम्हारी , अब भी मेरे राम जी।। ओ मेरे राम जी--------------------(2) बुला रही है सीता तुम्हारी -----------------।। अपनों के हाथों अपने घर, जल रही है सीता आज। रस्मों- रिवाजों में भी बलि, चढ़ रही है सीता आज।। रक्षक ही भक्षक बन गये हैं, अब तो मेरे राम जी। लुट रही है सीता तुम्हारी, अब भी मेरे राम जी।। ओ मेरे राम जी--------------------(2) बुला रही है सीता तुम्हारी-----------------।। नहीं है सुरक्षित मासूम बच्चियां, आजाद हिंदुस्तान में। क्यों है सीता पर जुल्मों- सितम, आजाद हिंदुस्तान में।। नहीं मिल रहा न्याय सीता को, अब भी मेरे राम जी। लुट रही है सीता तुम्हारी, अब भी मेरे राम जी।। ओ मेरे राम जी--------------------(2) बुला रही है सीता तुम्हारी ------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #बुला रही है सीता तुम्हारी, तुमको मेरे रामजी