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Anand Ji Mayura Ji
हाथों में तुम्हारे ही वतन की लाज है । कर्णधार हो तुम ये तुम्हारा ही राज है । जो चढा दे अपने सरो की भेट , ऐसे वीरों की जरुरत आज हैं । अपने प्राणो से इसकी आरती उताराये ©Anand Ji Mayura Ji कविता के रंग आनंद के रंग
Anand Ji Mayura Ji
हिमगिरी से उतरी उत्कल गंगा। धरा की आन तिरंगा,वीरो की शान तिरंगा। हिन्द जनो की -2 जान तिरंगा। --'------------------------------------------------------ चहूं ओर शिव धाम बसे है। सिय संग श्रीराम बसे है । यमुना के तट पर रास रचाते-2, राधे-रमन घनश्याम बसे है। किस में है -2 जो ले तो से पंगा । धरा की आन तिरंगा । --------------------------------------------------------- उत्तर दिशा में गिरिराज है साजे । दखण दिशा में सिंधुराज विराजे । षडॠतुए तेरी आरती उतारे, दशोदिशा में तेरी नौपत वाजे । तेरे ही खातिर-2 करते है दंगा । धरा की आन तिरंगा। ----------------'---------------------------------------- सीमा पर जो लाल खङे है । अंतिम क्षण तक अरि से अङे। मुण्ड विहीन रुण्ड लङने लगे तो, बैरि जान के लाले पङे है । तेरी रक्षा में -2 करते जंगा। धरा की आन तिरंगा । ©Anand Ji Mayura Ji आनंद के रंग
Anand Ji Mayura Ji
कोई बेगाना सा लगता है, कोई अपना सा लगता है । रातो की तन्हाई में खोया कोई सपना सा लगता है । ©Anand Ji Mayura Ji आनंद के रंग
Anand Ji Mayura Ji
बुरे वक्त में कलाम करता है कौन। डूबते सूरज को सलाम करता है कौन। ये तो हम ही निभाए हुए है रस्मों को, नए घर में पूराने माल का ख्याल करता है कौन। ©Anand Ji Mayura Ji आनंद के रंग
Anand Ji Mayura Ji
भारत की आन है , तिरंगा ये महान है, अस्मिता की इसकी आंख जो उठाओगे। शहीदो की स्मृतियों पे सवाल जो उठाएगे सवाल, पीढ़ीयों के लिए जवाब कहां से तुम लाओगे। ©Anand Ji Mayura Ji आनंद के रंग
Anand Ji Mayura Ji
राम से भी बढ़कर राम का पवित्र नाम, राम नाम के सहारे चले सारा संसार है। निर्बल के है बलराम, निर्धन के है धन राम, सगरे जीवन का यही इक सार है। पापियो के पाप हरे,दुखियो दुःख हरे, श्रद्धा-विश्वास का यही तो आधार है। तन-मन-धन से जो ध्यान धरे प्रभु का तो , भवसागर से होता उसका ही बेङा पार है। ©Anand Ji Mayura Ji आनंद के रंग
Anand Ji Mayura Ji
कागज कलम कुदाली से भाग्य लिखेगें भारत का । भम साधना खून पसीने से भाग्य लिखेगें भारत का। ©Anand Ji Mayura Ji आनंद के रंग
Anand Ji Mayura Ji
घर से निकल आया हूं बादल की तरह । सीने से लगा लो मुझे आंचल की तरह । मैं कहीं बह ना जाऊ कहीं पानी की तरह, अपनी आंखों में बसा लो मुझे काजल की तरह । ©Anand Ji Mayura Ji आनंद के रंग
Anand Ji Mayura Ji
कागज कलम कुदाली से भाग्य लिखेगें भारत का। स्याही खून पसीने से भाग्य लिखेगें भारत का । आनन्द मयूर ©Anand Ji Mayura Ji आनंद के रंग