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Manisha Garg
ऐ साँझ तुम कितनी खुबसूरत हो, हर रोज हमारी थकी-हारी जिंदगी को तरोताजा कर जाती हो ©Manisha Garg #साँझ #तरोताजा #खुबसूरत #SunSet
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी हर पड़ाव पर बदलाव जिंदगी में मायने जीने के बदल देती है कभी धुपो में तपाती कभी सुख की छाव दे देती है तकलीफो में अपनों की ताकत हर मुश्किल आसान कर देती है बूढ़ा कितना भी हो जाये पेड़ उसकी छाव हमे तरोताजा कर देती है घरों में बुजुर्ग है तो हमे घर की चिंता बेफिक्र कर देती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #alone उसकी छाव हमे तरोताजा कर देती है #nojotohindi
Shravan Goud
रोजमर्रा के जीवन को तरोताजा रखने के लिए हंसी मजाक कीजिए। रोजमर्रा के जीवन को तरोताजा रखने के लिए हंसी मजाक कीजिए।
अजनबी
सुबह सुबह यूं ही हरी हरी घास पे चलती हो, इसका क्या बहाना है। सच बताओ तुम्हें नहीं पता , यही तो आंख को तरोताजा करने का ठिकाना है।। सुबह सुबह यूं ही हरी हरी घास पे चलती हो, इसका क्या बहाना है। सच बताओ तुम्हें नहीं पता , यही तो आंख को तरोताजा करने
Anant Nag Chandan
चाहता हूं कि रहे खुश वो किसी और के साथ चाहता हूं की रहे ज़ख्म तरोताजा मेरा Umair Mushtaq ©Anant Nag Chandan चाहता हूं कि रहे खुश वो किसी और के साथ चाहता हूं की रहे ज़ख्म तरोताजा मेरा Umair Mushtaq
Sandeep Kothar
दुनिया में ऐसी कोई चाय नहीं, जो आपको तरोताजा महसूस कराए। तरोताजा रहने का हुनर तो हर किसी में होता है, चाय तो बस एक बहाना है... ©Sandeep Kothar दुनिया में ऐसी कोई चाय नहीं, जो आपको तरोताजा महसूस कराए। तरोताजा रहने का हुनर तो हर किसी में होता है, चाय तो बस एक बहाना है... Copyright ©
Rahul
अपनों से मिलने के बाद मन तरोताजा कर जाती है। ये रेल हीं है साहब जो कई रिश्ते को मिलाती है। ©Rahul अपनों से मिलने के बाद मन तरोताजा कर जाती है। ये रेल हीं है साहब जो कई रिश्ते को मिलाती है। #RailTrack
Shravan Goud
अपने सहपाठी जब भी मिलते हैं तो स्कूल कालेज के दिनों की याद तरोताजा हो जाती है। मन प्रसन्न हो जाता है। अपने सहपाठी जब भी मिलते हैं तो स्कूल कालेज के दिनों की याद तरोताजा हो जाती है। मन प्रसन्न हो जाता है।
Parul Sharma
जिस प्रकार AC में रहने वालों का तरोताजा हवा में दम घुटता ठीक उसी प्रकार दुष्ट लोगों को किसी की उपस्थिती नहीं भाती पारुल शर्मा जिस प्रकार AC में रहने वालों का तरोताजा हवा में दम घुटता ठीक उसी प्रकार दुष्ट लोगों को किसी की उपस्थिती नहीं भाती पारुल शर्मा
Rabindra Kumar Ram
" तेरे तसव्वुर के एहसासों को आज भी जी रहे हैं , गुमनाम मुहब्बत को कोई और एक मुकाम दें रहे हैं , जिस्म हैं छली-छली अब भी की तेरे उल्फत में , तेरे जख्म को तरोताजा करने को एक और भी हवा का लिवास दे रहे हैं . " --- रबिन्द्र राम " तेरे तसव्वुर के एहसासों को आज भी जी रहे हैं , गुमनाम मुहब्बत को कोई और एक मुकाम दें रहे हैं , जिस्म हैं छली-छली अब भी की तेरे उल्फत में ,