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चौधरी पंकज सिंह
रामनवमी की शुभकामनाएं :- —————————— आप समस्त देशवासियों को चौधरी लीगल सर्विसेज की तरफ से मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम जन्मोत्सव के पावन पर्व “श्री रामनवमी" की हार्दिक शुभकामनाएँ। भगवान श्री राम ने जीवन में आदर्श, त्याग, सत्य, नैतिकता, न्याय और निष्ठा के प्रतिमान स्थापित किए हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम का जीवन चरित्र समस्त मानव जाति के लिए एक आदर्श एवं कल्याणकारी है। #advocatepankajsingh ©चौधरी पंकज सिंह #navratri रामनवमी की शुभकामनाएं :- —————————— आप समस्त देशवासियों को चौधरी लीगल सर्विसेज की तरफ से मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम जन्मोत्
||स्वयं लेखन||
ram lala ayodhya mandir जो गौरव के प्रतिमान हैं, जो भारत की पहचान हैं, वो अयोध्या के राजाराम मेरे प्रभु श्री राम आज पुनः विराजमान हैं। झूम रहे भारतवासी,चहुं ओर प्रसन्नता का उल्लास है, रामभक्तों की आंखों में केवल राम नाम का विश्वास है। ©Gunjan Rajput जो गौरव के प्रतिमान हैं, जो भारत की पहचान हैं, वो अयोध्या के राजाराम मेरे प्रभु श्री राम आज पुनः विराजमान हैं। झूम रहे भारतवासी,चहुं ओर
||स्वयं लेखन||
ram lala ayodhya mandir सूरज, चंदा, तारों में, आँगन,घर द्वार, दिवारों में, घाटी और पठारों में, लहरों और किनारों में, भाषण-कविता-नारों में,गाँव-गली-गलियारों में, चर्चा है अखबारों में,टीवी और बाजारों में। दुल्हन सी सुसज्जित एक अयोध्या नगरी है, जहां केवल जय श्री राम,जय श्री राम की गूंज, गूंज रही है। है चर्चा चहुं ओर राममंदिर की, है विजय ये सनातन धर्म की, ये विजय है बलिदानों की,गौरव की, सम्मान की। जो गौरव के प्रतिमान हैं,जो भारत की पहचान हैं, वो अयोध्या के राजाराम, मेरे प्रभु श्री राम आज पुनः विराजमान हैं। झूम रहे भारतवासी,चहुं ओर प्रसन्नता का उल्लास है, रामभक्तों की आंखों में केवल राम नाम का विश्वास है। जपो राम नाम,जीवन राममय हो जायेगा, राम तेरे तू राम का हो जायेगा। बन जायेंगे तेरे सारे बिगड़े काम,ले एक ही नारा, एक ही नाम, जय श्री राम, जय श्री राम, जय श्री राम। ©Gunjan Rajput सूरज, चंदा, तारों में, आँगन,घर द्वार, दिवारों में, घाटी और पठारों में, लहरों और किनारों में, भाषण-कविता-नारों में,गाँव-गली-गलियारों में, चर
Pushpvritiya
Pushpvritiya
आयु की अल्हड़ता को नयनों की चपलता को संयम में बांधती वो अच्छी लड़की प्रतिमानों का आदर साधे प्रयोगों से डरती वो अच्छी लड़की डरती थी स्वातंत्र्य से,अनुभूतियों से शायद,इसलिए स्वयं में पाषाण भरती वो अच्छी लड़की मुखभर देवत्व मिला,और देहभर यातनाएं, कहो कि क्या क्या धरती वो अच्छी लड़की सो अब........ रूढ़ियों को छोड़ती,प्रतिमानों को तोड़ती वो अच्छी लड़की सीमाएं बढ़ाती,प्रयोगों को सिद्ध करती वो अच्छी लड़की अर्थों का प्रतिरूपण करती,नूतन की निति वो अच्छी लड़की स्वातंत्र्य को जीती वो अच्छी लड़की स्वस्वांस सींचन से शाखों पे खिलती वो अच्छी लड़की स्वयं से मिलती वो अच्छी लड़की हृदय को..काया को... रक्त को... रंध्र को अपने...अपनी कही...वो अच्छी लड़की शायद अब नही रही वो अच्छी लड़की @पुष्पवृतियां ©Pushpvritiya #वोअच्छीलड़की आयु की अल्हड़ता को नयनों की चपलता को संयम में बांधती वो अच्छी लड़की प्रतिमानों का आदर साधे प्रयोगों से डरती
Soulmate (Yuhee)
ऊँचे पानी ना टिके .., नीचे ही ठहराय | नीचा हो सो भारी पी.., ऊँचा प्यासा जाय | नमस्ते लेखकों🌸 कल की " तीखी टिप्पणी " के विजेता हैं: स्वर्ण पदक- Chandra Kanta Jain🥇 रजत पदक- Priyanka Sharma🥈 कांस्य पदक- Gupta Manju man
Chidanand Mayachari
God is everywhere. When we experience him, that moment we call as fortune. नमस्ते लेखकों🌸 कल की " तीखी टिप्पणी " के विजेता हैं: स्वर्ण पदक- Chandra Kanta Jain🥇 रजत पदक- Priyanka Sharma🥈 कांस्य पदक- Gupta Manju man
Meenakshi Raje
तेज, तप, त्याग की प्रमाण हैं राधिका, वंशीधर के वंशी की तान हैं राधिका! अपने प्रियतम की प्रतिमान हैं राधिका, कृष्ण हैं शरीर और प्राण हैं राधिका!! ©Meenakshi Raje #Krishna #Nojoto #poem #Poetry तेज, तप, त्याग की प्रमाण हैं राधिका, वंशीधर के वंशी की तान हैं राधिका! अपने प्रियतम की प्रतिमान हैं राधिका,
Yashpal singh gusain badal'
रिश्ते ठंडे हो गए हैं रिश्ते, अपनत्व की उष्णता के बिना, लाभ-हानि को नापते हुए, खो चुके हैं अपनी गरिमा, हो गए हैं सब प्रथक और विभक्त , कुछ दाएं,कुछ बाएं, कुछ ऊपर उठ गए, कुछ नीचे छूट गए, कुछ बहुत ठंडे हो गए ऊंचाई पाकर, हिमाच्छादित चोटियों के तुल्य, जम चुकी है अभिमान की बर्फ उन पर , कुछ कुंठाग्रस्त होकर हो गए एकांकी, कुछ बैठे हैं स्थिल भावविहीन , निराश, आशा विहीन,अवसादग्रस्त, कुछ उद्विग्न, कुछ शंशय युक्त, कुछ ऊर्जावान भी हैं,प्रबुद्ध चेतना के साथ, जीवन को रसयुक्त बनाये हुए, मगर इन रिश्तों में एक रिक्तता है, जैसे एक तालविहीन गीत , लेकिन कौन प्राणमयी बनाये इन संबंधों को ! कौन मधुर सुर दे इन रिश्तों को ! कौन करे ऊर्जा संचरण ! कौन निराशा तोड़े ! कौन विश्वास जगाए ! कौन भगीरथ बन कर तप करे, शिव सा प्रेम जगाए ! कौन मंदरांचल बन मथनी बने ! जो निष्प्रह बीतराग गाये। कोई तो बहे प्राणरस बन , प्रेम का संचार करे ! भावविहीन संबंध नष्ट हो जाएंगे, प्रेम और उष्णता के बिना, कोई तो कृष्ण बने, मार्ग दिखाए, कोई तो नीलकंठ बन, समस्थ गरल पी जाए, कोई तो राम बने, जो विश्वास का प्रतिमान बन जाये, बने मरुत सुत सा सहचर , संकट हर जो हर कष्ट मिटाये । रचना-यशपाल सिंह बादल ©Yashpal singh gusain badal' ठंडे हो गए हैं रिश्ते, अपनत्व की उष्णता के बिना, लाभ-हानि को नापते हुए, खो चुके हैं अपनी गरिमा, हो गए हैं सब प्रथक और विभक्त , कुछ दाएं,कुछ