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Rajat Bhardwaj
Ashutosh Mishra
White तू और तेरी यादें तू कहता था ना,,तेरा शहर तुझे सबसे प्यारा है आ,,देख ये कैसे सिसक सिसक कर रो रहा है। नहीं रही वो पहले सी चहल पहल उदास हो गया है एक के बाद एक ना जाने कितना दर्द सहा है। बड़ी बेरहमी से लूटा है लुटेरों ने इसकी आबरु को दर्द से कराह भी नही सकता,,दहशत में जी रहा है। कभी,,लगता था भाईचारे का मेला जहां इंसानियत वहीं तार तार हो रही है। सभी सामर्थवान सामर्थ की गंगा में हाथ धो रहें है असमर्थवान उनकी बनाई चक्की में पिस रहें है। अल्फ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #City तू कहता था ना,,तेरा शहर तुझे सबसे प्यारा है आ,,देख कैसे सिसक सिसक कर रो रहा है। #शहर #तू_और_तेरी_यादें #दहशत #बेआबरू Babli BhatiBa
Rameshkumar Mehra Mehra
White सारे काम छोड दो सबसे पहले बोट दो मतदान आपका हक है और जिम्मेदारी भी.... ©Rameshkumar Mehra Mehra #VoteForIndia सारे काम छोड दो सबसे पहले बोट दो....
Durvesh varma
White मेरा देश मेरा वतन ©Durvesh varma #VoteForIndia मेरा बोट मेरा देश
KUNWA SAY
Men walking on dark street वो तो अपना दर्द रो-रो कर सुनाते रहे ,,हमारी तन्हाईयों से भी आंख चुराते रहे ,,हमें ही मिल गया ख़िताब-ये-बेवफा ,,क्यूंकि हम हर दर्द मुस्कुरा कर छुपाते रहे follow kare ©KUNWA SAY #Emotional वो तो अपना दर्द रो-रो कर सुनाते रहे ,,हमारी तन्हाईयों से भी आंख चुराते रहे ,,हमें ही मिल गया ख़िताब-ये-बेवफा ,,क्यूंकि हम हर द
theunnamedpoet99
मर्द को दर्द नहीं होता। तुम तो मर्द हो, तुम कैसे रो रहे हो। आंसू कमज़ोरों की निशानी होती है। ऐसा कह-कहकर उसे रोने नहीं दिया, उसकी भावनाओं को दफ़्न कर दिया। ©theunnamedpoet99 मर्द को दर्द नहीं होता। तुम तो मर्द हो, तुम कैसे रो रहे हो। आंसू कमज़ोरों की निशानी होती है। ऐसा कह-कहकर उसे रोने नहीं दिया, उसकी भावनाओं क
Sachin Pratap Singh
sachin Pratap singh ©Sachin Pratap Singh सोने री धरती अठे, चांदी रो आसमाण रंग रंगीलों रस भर्यो म्हारो प्यारो राजस्थान... #rajsthan
लेखक ओझा
फफक–फफक कर बरस पड़ी बदरा दामन कालिखो से जब घनघोर हो चला! ©लेखक ओझा #lalishq रो पड़ी बदरा
Sethi Ji
🩷 ज़िन्दगी की कहानी , ज़िन्दगी की जुबानी 🩷 एक ज़माने में हम भी बच्चे थे वादों के कच्चे , पर इरादों के सच्चे थे तब जीवन कितना प्यारा था हर काम में अपनों का सहारा था रहते थे गांव में हम सब मिल कर सपनों से सुन्दर का एक घर हमारा था आज कल अपना दिल भी पराया लगता हैं दुनिया में हर कोई अपनों का ठुकराया लगता हैं किसको परवाह हैं अपनी आज के ज़माने में लोगों से बात करना का भी किराया लगता हैं जब हम बच्चे हुआ करते थे वोह दिन कितने अच्छे हुआ करते थे ♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️ 🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟 ©Sethi Ji 🩷💫 बचपन का सफ़र 💫🩷 ना कोई फ़िक्र थी ना कोई चिंता थी मैं अपनों के साथ खेल में खो जाता था और शाम को थक कर जब घर आता