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Afshana...

#Sad_Status याद सनातनी आरती सक्सेनाartisaxena_02

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White तुम यूं ना पूछो मेरे दर्द के निशान..
मुर्शद..
 याद किसी बेवफा की आती है

©Afshana... #Sad_Status याद सनातनी आरती सक्सेनाartisaxena_02

Krishna Singh Hinauti

#Thinking सनातनी आरती सक्सेनाartisaxena_02 motivational thoughts on success

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White इंसान को समय के साथ बदल जाना चाहिए।
क्योंकी जब बदलता है तो बहुत ही बुरा होता है।

©Krishna Singh Hinauti #Thinking  सनातनी आरती सक्सेनाartisaxena_02  motivational thoughts on success

Krishna Singh Hinauti

#Thinking सनातनी आरती सक्सेनाartisaxena_02 winspirational quotes

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Manojkumar Srivastava

#सनातनधर्म #राष्ट्रवाद #एनी बेसेन्ट शुभ विचार नये अच्छे विचार #एनीबेसेन्टकेविचार#

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राजनीतिक विचार

©Manojkumar Srivastava #सनातनधर्म 
 #राष्ट्रवाद 
   #एनी बेसेन्ट शुभ विचार नये अच्छे विचार
#एनीबेसेन्टकेविचार#

Manojkumar Srivastava

#सनातनधर्म #युग जय श्री राम

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शुभ रात्रि मित्रो

©Manojkumar Srivastava #सनातनधर्म 
 #युग  जय श्री राम

CHOUDHARY HARDIN KUKNA

#सनातनसंस्कृति भक्ति सागर

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White विषय - भारतीय सनातन  संस्कृति 

ऋषि और मुनि रहते जहाँ ,साधना में लीन l
दधीचि जैसे ऋषि परोपकार मे तल्लीन l
शाश्वत, वैदिक, प्राचीन संस्कृति को जान ।
इस चराचर जगत में सनातन संस्कृति
महान ॥

जीवात्मा को परमात्मा से मिलाने वाली ।
कर्म के अनुसार फल बताने वाली ।
यज्ञ साधना व्रत जप तप ध्यान ।
इस चराचर जगत में सनातन संस्कृति महान ॥

अंत नही, प्रारंभ नहीं ,परोपकारी भावना । 
निष्काम कर्म,तल्लीनता से साधना ।
अंतस की शुद्धता,अध्यात्म से चलायमान ।
इस चराचर जगत में सनातन संस्कृति महान ।l

माघ मास मौनी अमावस्या संगम तीरे वास ।
सागर है आस्था का अमृत योग में विश्वास ।
बसंत पंचमी पर्व ज्ञान का दिव्य अनुष्ठान ।
 इस चराचर जगत में सनातन संस्कृति महान । ।

©CHOUDHARY HARDIN KUKNA #सनातनसंस्कृति  भक्ति सागर

Dil_ki.dastaan :- संग्राम मौर्य

सूर्यनारायण भगवान के आशीर्वाद से
आप सभी भी उन्हीं की तरह विश्व में
 रोशनी के समान जगमग रहें।
"मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें"

©Dil_ki.dastaan:- संग्राम मौर्य #makarsakranti #मकरसंक्रांति #सनातन #हिंदू #2025 #संग्राममौर्य

Dil_ki.dastaan :- संग्राम मौर्य

मकर संक्रांति "उत्तरायण एंव मकरसंक्रांत"

सूर्य की रोशनी सूर्य का प्रकाश 
देती हमें ऊर्जा और आत्मविश्वास 

सूर्य से होती..दिन की शुरूआत 
कुछ नया करने का करें प्रयास 

सूर्य से शक्ति सूर्य से जीवनदान 
सूर्य ही अंधेरे पर जीत का प्रतीक 

पोंगल,लोहड़ी और मकर संक्रात 
सबसे जुड़ी संस्कृति और ज़ज्बात 

मिलकर जतायें सूर्य का आभार 
आओ हम मनाएँ मकर संक्रांत 🌾🌞

©Dil_ki.dastaan #MakarSankranti2025 #mahakumbh2025 #संग्राममौर्य #कुंभ #सूर्यनारायण #सनातन #हिंदू

Aadishakti Shivpriya Parivar

कुछ लोग ऐसा समझते हैं कि घर में हल्का सा पूजा पाठ करना तंत्र -मंत्र करने में आता है। या फिर जो पूजा पाठ कर रहा है वो घर संसार की जिम्मेदारी छोड़कर सन्यासी बन जाएगा जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं हैं। शादी करने से केवल इतना नहीं होता कि माता -पिता की मर्जी से या अपनी मर्जी से शादी कर ली और खाया- पीया -सोया और काम खत्म। शादी करने को भी हमारे यहां धर्म से जोड़कर गृहस्थ धर्म का नाम दिया गया है।
          शादी करने के बाद व्यक्ति की जिम्मेदारी खुद के प्रति, खुद के परिवार व समाज के प्रति ज्यादा बढ़ जाती है। गृहस्थ धर्म सबसे बड़ा धर्म है यहां व्यक्ति को तीन ऋण उतारना आवश्यक है, नहीं तो उसकी दुर्गति हो जाती है जीवन में कोई विशेष सुख या विशेष उपलब्धि उसको नहीं मिलती। यह तीन ऋण हैं -1.पितृऋण,2.देव ऋण,3.ऋषि ऋण या गुरु ऋण।
       1.पितृऋण-कोई भी जीव परमात्मा का अंश अविनाशी आत्मा होता है। लेकिन उसे अपनी अभिव्यक्ति के लिए किसी शरीर की जरूरत पड़ती है और यह शरीर हमें हमारे माता-पिता प्रदान करते हैं। वैसे तो माता -पिता का ऋण हम कभी नहीं उतार सकते फिर भी इंसान को कोशिश करनी चाहिए कि हमारे कुछ पुण्यों से हमारे पूर्वजों का भला हो।
2.ऋषिऋण या गुरु ऋण - माता -पिता के बाद गुरु का व्यक्ति के जीवन में बहुत बड़ा योगदान रहता है। गुरु का आश्रय किसी व्यक्ति विशेष से नहीं होता बल्कि जो हमें सही-गलत का ज्ञान प्रदान करें और उन्नति के मार्ग पर ले जाएं वहीं हमारे गुरु होते हैं। लेकिन यहां पर इतना आवश्यक है कि आध्यात्मिक क्षेत्र में जो सतगुरु होते हैं एक उनके पास जाने के बाद किसी अन्य गुरु के पास जाने की जरूरत नहीं रहती।वो हमें साक्षात ईश्वर के दर्शन कराने में सक्षम होते हैं। इतना ही नहीं वो यह महसूस कराने में सक्षम होते हैं कि तुम ईश्वर से अलग नहीं हो। ईश्वर सिंधू है उससे अलग होकर तुम बिंदू हो और जैसे बिंदू सिंधु में मिलकर खुद सिंधू हो जाता है उसी प्रकार जीव भी ईश्वर से मिलकर खुद ईश्वर हो जाता है वहां ईश्वर और जीव का भेद खत्म होकर जीव और परमात्मा एकाकार हो जाते हैं।
3.देव ऋण -हमारा खुद का कुछ नहीं है जो भी हैं परमात्मा और प्रकृति का हैं। हालांकि ईश्वर सर्वशक्तिमान है लेकिन ईश्वर की ही इच्छा और उन्हीं के अंश से देवी- देवता बनते हैं। हमारे यहां कुलदेवी, कुलदेवता, स्थान देव, ग्राम देव, क्षेत्रपाल देव, अन्न देव, वृक्ष देव,जल देव,धरती मां, सूर्य देव आदि कईं देवी-देवता होते हैं। वैसे तो इंसान पूरी तरह से इनका भी ऋण नहीं उतार सकता लेकिन फिर भी इनके सम्मान के लिए कुछ न कुछ करना चाहिए।
              अब मुख्यत:बात यह है कि लोग यह बोलते हैं कि सबकी पूजा करेंगे तो काम कब करेंगे?इसका जवाब यह है कि संसार और संसार के काम भी परमात्मा ने बनाएं हैं और एक सामान्य गृहस्थ इंसान को जीवन में 80%काम करना चाहिए लेकिन 20%पूजा -पाठ जरूरी है। एक चीज और सामने आती है कि हमें यह 20%पूजा-पाठ वगैरह कब तक करना है?इसका सटीक जवाब यह है कि जब तक हमें दुनिया में माता -पिता द्वारा दिया गया शरीर सही -सलामत रखना हैं तब तक पितृऋण उतारना है,जब तक हम चाहते हैं कि हमें ज्ञान प्राप्त होता रहें।हम अज्ञानी न रहें हमें गुरु का सम्मान करना है और जब तक हम चाहते हैं कि कुलदेवी- कुलदेवता आदि हमारे घर में मजबूती से रहकर हर संकट में सहायता करें या जब तक हमें धरती मां, सूर्य देव आदि की जरूरत महसूस हो पूजा करनी है। निस्वार्थ भाव से सेवा करने वाले कम लोग हैं लेकिन जब तक जरूरत है तब तक तो करें।
              हां यहां एक चीज हो सकती है जब माता-पिता खुद यह चीजें करेंगे तो बच्चों पर भी संस्कार पड़ेंगे। अभिमन्यु जैसे बालक जन्म से पहले ही सीख लेते हैं फिर भी जब बच्चा समझने लायक हो जाएं परिवार वालों को सिखाना चाहिए। मुख्यतः गृहस्थ आश्रम हमारे वेद शास्त्रों में 25वर्ष से 50वर्ष तक बताया हैं तब तक पूजना चाहिए। पहले परिवार के बड़े लोग खुद यह चीजें करें फिर शादी से पहले हर युवक-युवती को यह सब समझाकर शादी करनी चाहिए और जो लड़की की सासु मां होती है उनका भी यह विशेष रूप से कर्तव्य और जिम्मेदारी बनती है कि नईं बहु को पास में खड़े रहकर यह चीजें सिखाएं। वैसे भी वानप्रस्थ आश्रम वन में जाकर तपस्या करने और दुसरों को ज्ञान देने का होता है।अब वन में जाने वाला सिस्टम तो नहीं है फिर भी घर में रहकर अपने आचरण में तपस्या उतारें और 50वर्ष के बाद यह हमारी सनातन संस्कृति रूपी धरोहर आने वाली पीढ़ी को अपने परिवार व समाज के बच्चों में बांट दें। इससे हमारी सनातन संस्कृति बची रह सकती है। किसी बाबा, तांत्रिक के चक्कर में पड़ने से पहले खुद दिमाग चलाएं ज्ञानी बनें।
         किसी भी देवी -देवता की सवारी या हमारे स्थानीय भाषा में इसे छाया आना कहते हैं। ईश्वरीय कृपा और व्यक्ति के तपोबल से यह होता है। ऊर्जा बढ़ाने का सबका अपना -अपना कारण होता है लेकिन फिर भी मैं यह कहना चाहुंगी कि परिवार व समाज में रहने वाले सच्चे साधक या साधिका जिनके पास ऐसी कोई दैवीय कृपा हैं उनको परिवार व समाज में ऐसी जानकारी देनी चाहिए। इससे मानव और प्रकृति लाख तरह की समस्या से बच सकते हैं। इन्हीं चीजों से जुड़ी एक कहानी यहां प्रस्तुत कर रही हूं जो मैंने बचपन में सुनी थी।

       बचपन में मैंने एक कहानी पढ़ी थी। एक छोटा  बच्चा रोज अपनी दादी मां को मंदिर जाते हुए और पूजा करते हुए देखता है।वो लड़का एक दिन अपनी दादी से पूछता है
लड़का -दादी मां रोज -रोज मंदिर क्यों जाती हों?
दादी मां -इससे भगवान खुश होते हैं और हम सकारात्मक विचारों से घिरें रहते हैं। हमारे जीवन में उन्नति आती है। सफलता मिलती है।
           वो लड़का अपनी कक्षा का टाॅपर था और घर में आकर स्वाध्याय करता था और स्कूल में भी मन लगाकर खुब पढ़ता था लेकिन उस दिन के बाद पढ़ाई को छोड़कर स्कूल में भी बिल्कुल नहीं पढ़ता और घर पर भी घंटों बैठकर पूजा- पाठ करता और सोचता कि सबकुछ भगवान करेंगे।साल भर बाद रिजल्ट आया तो लड़का फेल हो गया।
फिर उसने अपनी दादी से कहा-दादी मां!आपके कहने से मैंने इतना पूजा -पाठ किया फिर भी मैं फेल हो गया।अब मैं किसी भी भगवान की पूजा नहीं करूंगा।
दादी मां ने कहा -भगवान की पूजा के साथ कर्म करने भी जरूरी है। भगवान पर भरोसा करने का अर्थ यह बिल्कुल भी नहीं है कि हम अपने कर्मों का त्याग कर दें। तुमने भगवान की पूजा तो करी और विश्वास के बजाय अंधविश्वास दिखाया कि कर्म नहीं करोगे तो भी भगवान तुम्हें सफल करेंगे। भगवान भी उसकी सहायता करते हैं जो खुद की मदद स्वयं करते हैं।
          अपनी दादी मां की बात को उस लड़के ने बहुत अच्छे से समझ लिया और सारी निराशा त्यागकर भगवान पर विश्वास करने के साथ ही कर्म करता। निश्चित समय पर पूजा -पाठ करता, निश्चित समय पर पढ़ाई करता और परिवार व समाज में अपना अच्छा समय व्यतीत करता। इससे उसका तनाव भी खत्म हो गया और सकारात्मक ऊर्जा का संचार उसमें हुआ। इसके बाद जो लड़का पहले कक्षा में टाॅपर था और फेल हुआ वहीं लड़का पुरी स्कूल में टाॅपर हुआ।
                     समझदार लोग इस कहानी से बहुत कुछ सीख जायेंगे।

©Aadishakti Shivpriya Parivar #गृहस्थधर्म #सनातनधर्म #पितृऋण #देवऋण #ऋषिऋण #Shorts

Aadishakti Shivpriya Parivar

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जय माता दी
हर-हर महादेव
मैं किसी जाति, पंथ व धर्म समुदाय की विरोधी नहीं हूं,
 लेकिन सनातनी होने पर गर्व है। हमारे सनातन धर्म में रोज सुबह उठकर, पित्रों व देवी -देवताओं को प्रणाम करने की परम्परा है।
हमारे यहां कुलदेवी,कुलदेवता,पित्रदेव , गुरुदेव, ईष्ट देव तो होते ही है लेकिन हमारे धर्म की सबसे बड़ी खुबसूरती यह है कि धरती मां, गौमाता, वायु देवता, सुर्य भगवान, गोवर्धन पर्वत, गंगा माता, अन्न देवता भी होते हैं।
हमारे यहां कण कण में परमात्मा को देखा गया है।

©Aadishakti Shivpriya Parivar हमारी सनातन संस्कृति
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