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theABHAYSINGH_BIPIN

#sad_shayari तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में, तपने दो इस बदन की जलती आग में। बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो, बह जाने दो मुझे दरिया की धार

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White तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में,
तपने दो इस बदन की जलती आग में।
बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो,
बह जाने दो मुझे दरिया की धार में।

घटा बनके छाई तेरी ज़ुल्फ़ें घनी,
खो जाने दो मुझे मखमली छांव में।
ऐशगाह अब वीरान क्यों लगता है,
ले चलो मुझे ख़्वाबों की गोद में।

अरसों से खुद को सँवारा है मैंने,
बांध लो अब मुझे नैनों के जाल में।
लौट गए जज़्बातों के सारे खरीदार,
मैं बिक गया बस इश्क़ के बाज़ार में।

थक चुका हूं मैं इस कच्ची सर्दी से,
ले चलो मुझे इश्क़ की गरमाहट में।
ढूंढते रहे जो मुझे शहर के शोर में,
अब बसा हूं 'अभय' कुदरत के गांव में।

©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_shayari 
तराशो मुझे ख्वाहिशों के सांचे में,
तपने दो इस बदन की जलती आग में।
बरसों मुझ पर बादल-सा बरसा करो,
बह जाने दो मुझे दरिया की धार

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर तेरी आमद ने दिये दिल को सुकून ऐसे, कि हर लम्हा ख़ुशी में गुलज़ार गुज़री है। तेरा ज़िक्र आया तो माहौल महक उठा, कि जैसे गुलों से ल

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तेरी आमद ने दिये दिल को सुकून ऐसे,
कि हर लम्हा ख़ुशी में गुलज़ार गुज़री है।
तेरा ज़िक्र आया तो माहौल महक उठा,
कि जैसे गुलों से लिपटी बहार गुज़री है।

तेरी राहों में जो ठहरे थे सिलसिले,
वो सब रातों में बनके खुमार गुज़री है।
तू जो आया तो एहसास यूँ हुआ नवनीत,
ज़िंदगी अब तलक बेकरार गुज़री है।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
तेरी आमद ने दिये दिल को सुकून ऐसे,
कि हर लम्हा ख़ुशी में गुलज़ार गुज़री है।
तेरा ज़िक्र आया तो माहौल महक उठा,
कि जैसे गुलों से ल

theABHAYSINGH_BIPIN

कौन है जो सूरज को धमका रहा, कोहरे का जाल यूं फैला रहा? क्यों उजाले को निगलने चला, सांसों तक को ठंडा बना रहा? ठंड में अब पानी भी डरा रहा, खु

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कौन है जो सूरज को धमका रहा,
कोहरे का जाल यूं फैला रहा?
क्यों उजाले को निगलने चला,
सांसों तक को ठंडा बना रहा?

ठंड में अब पानी भी डरा रहा,
खुद को भाप में बदल रहा।
किसको यह कारीगरी सूझी है,
जो प्रकृति पर कहर ढा रहा?

कौन है जो चुराने चला,
जो इतनी जल्दी दिन ढल रहा?
समय को घेरने वाला कौन,
जो हर पल को सर्दी में ढल रहा?

उतार दिया है काम का बोझ,
काम छोड़ खुद को गर्म कर रहा।
सर्दी से ठिठुर गए हैं सारे,
इंसान बैठा अलाव जला रहा।

निकले ही हाथ-पैर हो गए सुन्न,
हवा में ऐसी नमी छोड़ रहा।
अब तो पानी पीना भी मुश्किल है,
कौन है जो बर्फ से पानी भिगो रहा?

©theABHAYSINGH_BIPIN कौन है जो सूरज को धमका रहा,
कोहरे का जाल यूं फैला रहा?
क्यों उजाले को निगलने चला,
सांसों तक को ठंडा बना रहा?

ठंड में अब पानी भी डरा रहा,
खु

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी, नज़्म जो दिल से निकले, गाता जरूर हूं। चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है, जो समझ सके, वो ही

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White बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी,
नज़्म जो दिल से निकले गाता जरूर हूं।

चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है,
जो समझ सके, वो ही सुनता जरूर हूं।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी,
नज़्म जो दिल से निकले, गाता जरूर हूं।

चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है,
जो समझ सके, वो ही

shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Shayari nojoto चमन मे चारसु चिंगारियां है, जिधऱ देखो,उधर बर्बादियां है//१ नोंचता है क्यूं गुलों को बनके गुल्ची,तभी तो हों रहीं रुस्वाइया

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#library nojoto #Shayari चमन मे चारसु चिंगारियां है, जिधऱ देखो,उधर बर्बादियां है//१ नोंचता है क्यूं गुलों को बनके गुल्ची,तभी तो हों रहीं

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Unsplash चमन मे चारसु चिंगारियां है,
जिधऱ देखो,उधर बर्बादियां है//१

नोंचता है क्यूं गुलों को बनके गुल्ची,
तभी तो हों रहीं रुस्वाइयाँ है//२

कहीं पे रखके वो भुला मुहब्बत,
वहीं से नफरतों की आगाजियां है//३

तुझे समझूँ,तुझे चाहूँ मुसलसल,
यही तो इश्क़ की रुहानियां है//४

तेरे पहलु मे आके बैठ जाऊं,
    सनम दिल में तेरी रुमानियाँ है/५

न बन पाये जो तु मेरा कभी भी,
मै समझूंगी तुझे दुश्वारियां है//६

लगी आतिश चमन मे बद-अम्न की,
सुकून वालों को ही हैरानियां है//७
#Shamawtitesbebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #library #nojoto #shayari 
चमन मे चारसु चिंगारियां है, जिधऱ देखो,उधर बर्बादियां है//१

नोंचता है क्यूं गुलों को बनके
गुल्ची,तभी तो हों रहीं

shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Sad_Status चमन मे चारसु चिंगारियां है, जिधऱ देखो,उधर बर्बादियां है//१ नोंचता है क्यूं गुलों को बनके गुल्ची,तभी तो हों रहीं हर्राजियाँ है//

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White चमन मे चारसु चिंगारियां है,
      जिधऱ देखो,उधर बर्बादियां है//१

नोंचता है क्यूं गुलों को बनके गुल्ची,
तभी तो हों रहीं हर्राजियाँ है//२

कहीं पर रखके वो भुला मुहब्बत,
चलन मे नफरतों की तैयारियां है//३

तेरे पह्लु मे आकर बैठ जाऊं,
 मेरे दिल में तेरी बेताबियां है//४

तुझे चाहूँ तुझे सोचूँ मुसलसल
मेरे दिल में तेरी बेचैनियां है//५

न बन पाये जो तु मेरा कभी भी,
मै समझूंगी तेरे शानो पे जिम्मदारियां है//६

लगे मैले चमन मे बद-अमन के,
मगर"शम्मा"से इनको क्यूं  दुश्वरियां है//७
#Shamawritesbebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Sad_Status चमन मे चारसु चिंगारियां है, जिधऱ देखो,उधर बर्बादियां है//१

नोंचता है क्यूं गुलों को बनके
गुल्ची,तभी तो हों रहीं हर्राजियाँ है//

Arjun Singh Rathoud #Gwalior City

शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की

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शाम की छोटी कविताएँ
यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं:
 * शाम का नजारा:
   धूप छिपी, छाया फैली,
   चिड़ियों की चहचहाट थमी।
   आकाश रंग बदलता,
   शाम आई, मन को भाती।
 * संध्या का समय:
   आज का दिन हुआ समाप्त,
   तारे निकले, चाँद आया।
   हवा चलती, शीतल लगती,
   मन शांत, आनंद भरा।
 * शाम की यादें:
   बचपन की शामें याद आतीं,
   दोस्तों संग खेलते थे।
   खेतों में दौड़ते फिरते,
   खुशी से मन भर जाता।✍️✍️🙏💯😍

©Arjun Singh Rathoud #Gwalior City शाम की छोटी कविताएँ
यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं:
 * शाम का नजारा:
   धूप छिपी, छाया फैली,
   चिड़ियों की

Ashraf Fani

हम तो जन्नत से हैं ठुकराये हुए बनके आदम यहाँ हैं आये हुए जो दिल में दिया वही तो किया बातों बातों में फिर भी फँसाये हुए हम तो जन्नत से हैं ठ

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हम तो जन्नत से हैं ठुकराये हुए
बनके आदम यहाँ  हैं आये हुए
जो दिल में दिया वही तो किया
बातों बातों में फिर भी फँसाये हुए
हम तो जन्नत से हैं ठुकराये हुए

©Ashraf Fani हम तो जन्नत से हैं ठुकराये हुए
बनके आदम यहाँ  हैं आये हुए
जो दिल में दिया वही तो किया
बातों बातों में फिर भी फँसाये हुए
हम तो जन्नत से हैं ठ

Anjali Singhal

Love 💞 "आपने ही भरे हैं मुझमें अपने प्यार के रंग, एहसासों में घुल रहे हैं जो मेरी साँसों के संग। कुछ रंग प्यार के तो ले गई हवा बहाकर, फिज़

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