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Ashvani Kumar
तुझे क्या लगता है तेरी बन्दी वफादार है, ईश्क भी हमारा चाकू की धार है, बचा के रखना महबूबा को अपनी, यात्री अपने सामान का स्वयं जिम्मेदार है।। ©Ashvani Kumar यात्री अपने सामान का स्वयं जिम्मेदार है।।
Mohammad Ibraheem Sultan Mirza
ज्यादा बोझ लेकर चलने वाले अक्सर डूब जाते हैं, फिर चाहे वह अभिमान का हो या सामान का हो, ___________________________ मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा,, ज्यादा बोझ लेकर चलने वाले अक्सर डूब जाते हैं, ... फिर चाहे वह अभिमान का हो या सामान का हो,
Shivangi
भारतीय सामान खरीदेंगे इस बार हम त्योहारों में करेंगे विरोध चाइनीस समान का जो बिक रहे बाजारों में।। #yqbaba #yqdidi #shivangiverma #diwali201
shailesh jha( सांझ_शैलेश)
नज़रिया अच्छा , कहा क्या आपने, इस इमारत के आखिरी कमरे में, जो 'तम' से भरा है, 'सन्नटा' पसरा है यहां। (पूरी कविता captions में है -read and review pls) नज़रिया अच्छा , कहा क्या आपने, इस इमारत के आखिरी कमरे में, जो 'तम' से भरा है, 'सन्नटा' पसरा है यहां। दिलों को भेदती- दिमागी नसों को सुन्न क
Technocrat Sanam
नाज़ तो यहीं है सनम लेकिन नज़ाकत चली गयी मुहब्बत जिंदा है, मुहब्बत की अदावत चली गयी सारे शेर-ओ-ग़ज़लें-वज़लें हाँ महफ़ूज़ हैं दिलों में लेकिन साथ उसके इक उम्दा लिखावट चली गयी साज-ओ-सामान का क्या है, बने हैं, और बनेंगे कई मगर इक कारीगर के साथ इक सजावट चली गयी कहने को यूँतो शरीफ और भी तमाम है महफ़िल में वो जो उठ कर गया उसके साथ शराफत चली गयी कुछ ग़मज़दा हैं कुछ दिखावटी मायूस भी हैं यहां किसी की 'राहत' तो किसी की आफ़त चली गयी ©technocrat_sanam Dedicating a #tribute to #rahatindorisahab 💐 राहत... नाज़ तो यहीं है सनम लेकिन नज़ाकत चली गयी मुहब्बत जिंदा है, मुहब्बत की अदावत चली गयी
Mahfuz nisar
मैं तवायफ बावक़ार हूँ साहब। आप हज़रात के महफ़िलों की शान हूँ,साहब अकेली औरत हूँ, लेकिन किसी ने पूछा नहीं, क्या उसका कोई मकान है साहब, पाजेब,सलवार,लाली से सजी मोरनी की तरह नाचती हूँ, सब हमबिस्तर होना तो चाहते हैं, लेकिन किसी ने नहीं पूछा, क्या मैं भी रिश्ते की गरज़गार हूँ,साहब। माँ को देखा था,अब ख़ुद को देख रही हूँ, मुझे लगता है कि तवायफ हूँ,तो बस कोई मज़ाक उड़ाने की सामान का इंतज़ाम हूँ साहब। आपकी गीली मुस्कान,और जबान की लरज अच्छी है, वैसे मैं तो बहुतों की तलबगार हूँ साहब, कहूँगी तो डरती हूँ, कोई सिरफिरा गला ना उतार दे आकर, अब भी अपने लिए थोड़ी सी इज्जत के ख़ातिर अग्यार हूँ साहब, मैं तवायफ बावक़ार हूँ साहब। ✍mahfuz nisar © #Love मैं तवायफ बावक़ार हूँ साहब। आप हज़रात के महफ़िलों की शान हूँ,साहब अकेली औरत हूँ, लेकिन किसी ने पूछा नहीं, क्या उसका कोई मकान है साहब,
Juhi Grover
क़ातिल बन कर के ज़माने के, ऐसे बैठे हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं है, उनकी रूह हमारी तलाश में दर ब दर फिरती है, जैसे मर के भी ज़िन्दा है। अरमानों का क़त्ल सरेआम करके भी हम पे कोई इल्ज़ाम नहीं है, हम पर कितने भी कोई मुकद्दमे चलाए, बेगुनाह बाइज्ज़त भी शर्मिन्दा हैं। जीने की कोई आरज़ू नहीं छोड़ी उन्होंने, मग़र ज़िन्दगी के पास भी नहीं हैं, बुरा कुछ नहीं किया किसी का, फिर भी मौत के बाद भी मिली निन्दा है। हर बार तलाशते हैं ज़िन्दगी की राहें वो,मग़र जीने की ख़्वाहिश ही नहीं है, ज़िन्दगी के इतने ज़्यादा तज़ुर्बे हैं कि हर बार ही वो चुनिन्दा हैं। ज़िन्दगी की राह पे चलते मौत के पास हो के भी मौत की फरियाद करते नही हैं, आज़ाद हो चुके हैं दुनिया के बन्धनों से, मग़र फिर भी सामान का पुलिन्दा है। तुझे कैंसे समझाएँ ऐ ज़िन्दगी, ज़िन्दगी के सफ़र का अन्जाम ज़िन्दगी नहीं है, ज़िन्दगी और मौत भी तो बस आखिर किसी मालिक का ही तो कारिन्दा है। क़ातिल बन कर के ज़माने के, ऐसे बैठे हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं है, उनकी रूह हमारी तलाश में दर ब दर फिरती है, जैसे मर के भी ज़
Deepak Kanoujia
Some are using candle light for one candle night dinner... Few studying in candle light to forget all nights as begger... शॉपकीपर तो आपको सामान दे देता है...और हर कोई घर लाकर उस सामान का अपनी अपनी ज़रूरतों के हिसाब से इस्तेमाल कर लेता है... शायद उसे बताया जाए ज़रू
Divyanshu Pathak
बहिन महज एक शब्द नही पूरी दुनिया होती है जिसके स्नेह और प्रेम के स्पंदन में पूरा घर महकता है । बड़ी हो तो सारी जुम्मेदारियों को स्वयं के सर लेती है छोटी हो तो भी सबका सहयोग कर मन भर देती है। शक्ति के स्वरुप को समझना है तो हमें अपनी बहिन के सानिध्य को महसूस करना होगा । आपके साथ बड़े होते होते वह कब समझदार हो गयी याद नही होगा। जब भी