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Pushpendra Pankaj
द्वापर की मित्रता बरसों की उम्मीदें लेकर, श्याम तेरे दर आया हूँ। देख मुझे, मैं विप्र सुदामा,मित्र से मिलने आया हूँ ।। सुना है तेरे दर्शन मात्र में,अजब मोह और जादू है। आ जल्दी से गले लगा ले, मन उत्सुक बेकाबू है।। लम्बी अवधि चली प्रतीक्षा,कटते रहे दिवस और रैन। आज मेरा मन प्रश्न पूछता,कब आएगा मन को चैन।। श्याम उठे,फिर गले लगाया,बोले मैं तेरा साया हूँ । अब सारे दुख दूर हो गए,सुख की गागर लाया हूँ ।। हरि आसन पर मित्र बिठाया ,देख दुर्दशा रोने लगे। रोते जाएँ ,रोते जाएँ ,अश्रुओं से पग धोने लगे ।। नयन नीर भर उठे सुदामा,अपलक फिर हरि को देखा, बोले युगों तक याद रहेंगे,द्वापर युग के बाल सखा ।। पुष्पेन्द्र"पंकज" ©Pushpendra Pankaj #humantouch द्वापर युग के बाल सखा
Kamal bhansali
"जो "दोस्ती" कभी विश्वास न हारे "कृष्ण- सुदामा" की तरह निखरे वो ही है "दोस्ती" बाकी सब व्यवहार कभी तुम नहीं कभी हम नहीं तैयार ऊपर प्यार भीतर स्वार्थ की तलवार ये ही है आजकल की "दोस्ती' मेरे यार बदल गया युग बदल गया है संसार बदल गया मानव बदल गये है विचार" इस युग की दोस्ती
Amrish Prasad
नए सोच से जब हम गुजरते हैं नए युग की सुरवात होती है पुरानी सोच न रख प्यारे पुराना वक्त न आयेगा जब रखेंगे नई सोच जो हम युग नया आ जाएगा ©Amrish Prasad नए युग की नई बात
Muskan Raj
आज का ज्ञान ये पल कुछ विपरीत हैं हमारे सुनो तुम भी हौसला रखना हवा तेज़ हो जाये चाहे दिया फिर भी जला रखना ! आपकी मुस्कान ! #आशा #आस #समय #काल #युग #आधार #nojoto #Hindi #कविता #कहानी ।
Harshita sharma
"नारी हूं मैं इस युग की" नारी हूं मैं इस युग की, नारी की अलग पहचान बनाऊंगी। मुझे जिस भी क्षेत्र में भेजोगे, सर्वश्रेष्ठ कर दिखाऊंगी। औरों से अलग हूं मैं, कुछ अलग करके ही जाऊंगी।। नारी हूं मैं इस युग की....... चाह नहीं हैं एक अलग नाम की, इसी को महान बनाऊंगी। दुनिया के इस कठिन मंच पर, एक प्रदर्शन मैं भी दिखलाऊंगी।। नारी हूं मैं इस युग की.......... कठपुतली नहीं किसी खेल की, अब स्वतंत्र मंचन पर अपना परचम लहराऊंगी। ना किसी से कम हूं, और ना ही मैं पीछे हटूंगी। जब-जब भी आह्वान होगा, अपनी योग्यता मनवाऊंगी।। नारी हूं मैं इस युग की....... जीवन की हर विपरीत परिस्थिति में, पग-पग के हर संत्रस्त मोड़ पर, रख हौसलों को बुलंद, उससे भी लड़ जाऊंगी।। नारी हूं मैं इस युग की.......... इस धरा पर मां-बेटी बनकर आई हूं, और अपना फर्ज निभाऊंगी। मैं वचन तुझे देती हूं "भारत मां", तेरी कोख कभी न लजाऊंगी।। नारी हूं मैं इस युग की........ मैं भी सरहद पर लड़ने जाऊंगी, वीरों में शामिल हो जाऊंगी। शेरनी बनकर टूट पड़ूंगी और झांसी की रानी कहलाऊंगी।। नारी हूं मैं इस युग की........... मैं लेकर तिरंगा हाथों में, वंदे मातरम् गाऊंगी। भारत के इतिहास में, मैं भी अमर हो जाऊंगी।। नारी हूं मैं इस युग की............ ©Harshita sharma "#इस युग की नारी" #कविता #coldnights