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أحمد سعود
مجھ کو چلنے دو اکیلا ہے ابھی میرا سفر راستہ روکا گیا تو قافلہ ہو جاؤں گا मुझ को चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊँगा وسیم بریلوی @Rekhta ©أحمد سعود #شاعری مجھ کو چلنے دو اکیلا ہے ابھی میرا سفر راستہ روکا گیا تو قافلہ ہو جاؤں گا मुझ को चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र रास्ता रोका गया तो क़
Acharya Chandramani Jha
अपने हर लफ्ज का खुद आईना हो जाऊंगा , उसको छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊंगा....! तुम गिराने में लगे थे तुमने सोचा ही नहीं.... मैं गिरा तो मसला बन के खड़ा हो जाऊंगा....! मुझको चलने दो अकेला , है अभी मेरा सफर बाकी.... रास्ता रोका गया तो काफिला हो जाऊंगा....! सारी दुनियाँ की नजर में है मेरा अहद-ए-वफ़ा.... एक तेरे कहने से क्या मैं बेवफा हो जाऊंगा....!! ✍️@आचार्य ©Acharya Chandramani Jha अपने हर लफ्ज का खुद आईना हो जाऊंगा , उसको छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊंगा....! तुम गिराने में लगे थे तुमने सोचा ही नहीं.... मैं गिरा तो मस
Sandeep Rajput
वो लकड़ी किसने उसका रास्ता रोका किसने बाजार मे उसको तोका किसे सब कुछ बताती है वो लड़की ना जाने कैसे मुस्कुराती है वो लड़की read caption for full poem ©Sandeep Rajput वो लड़की किसने उसका रास्ता रोका किसने बाजार मे उसको तोका किसे सब कुछ बताती है वो लड़की ना जाने कैसे मुस्कुराती है वो लड़की घर की इज़्ज़त घर की
कृष्णा वाघमारे, जालना , महाराष्ट्र,431211
Vikas Sharma Shivaaya'
शनि गायत्री मंत्र: .-ॐ भग भवाय विद्महे मृत्यु-रूपाय धीमहि तन्नो शौरीहि प्रचोदयात् || -ॐ शनैश्चराय विद्महे छायापुत्राय धीमहि तन्नो मंद: प्रचोदयात || -ॐ काकध्वजाय विद्महे खड्गहस्ताय धीमहि तन्नो मन्दः प्रचोदयात || सुंदरकांड: दोहा – 1 प्रभु राम का कार्य पूरा किये बिना विश्राम नही हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम। राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम ॥1॥ हनुमानजी ने उसको अपने हाथसे छुआ, फिर उसको प्रणाम किया, और कहा की – रामचन्द्रजीका का कार्य किये बिना मुझको विश्राम कहाँ? ॥1॥ श्री राम का कार्य जब तक पूरा न कर लूँ, तब तक मुझे आराम कहाँ? श्री राम, जय राम, जय जय राम सुरसा का प्रसंग देवताओं ने नागमाता सुरसा को भेजा जात पवनसुत देवन्ह देखा। जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा॥ सुरसा नाम अहिन्ह कै माता। पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता॥1॥ देवताओ ने पवनपुत्र हनुमान् जी को जाते हुए देखा और उनके बल और बुद्धि के वैभव को जानने के लिए॥ देवताओं ने नाग माता सुरसा को भेजा। उस नागमाताने आकर हनुमानजी से यह बात कही॥ सुरसा ने हनुमानजी का रास्ता रोका आजु सुरन्ह मोहि दीन्ह अहारा। सुनत बचन कह पवनकुमारा॥ राम काजु करि फिरि मैं आवौं। सीता कइ सुधि प्रभुहि सुनावौं॥2॥ आज तो मुझको देवताओं ने यह अच्छा आहार दिया। यह बात सुन, हँस कर हनुमानजी बोले॥ मैं रामचन्द्रजी का काम करके लौट आऊँ और सीताजी की खबर रामचन्द्रजी को सुना दूं॥ हनुमानजी ने सुरसा को समझाया कि वह उनको नहीं खा सकती तब तव बदन पैठिहउँ आई। सत्य कहउँ मोहि जान दे माई॥ कवनेहुँ जतन देइ नहिं जाना। ग्रससि न मोहि कहेउ हनुमाना॥3॥ फिर हे माता! मै आकर आपके मुँह में प्रवेश करूंगा। अभी तू मुझे जाने दे। इसमें कुछ भी फर्क नहीं पड़ेगा। मै तुझे सत्य कहता हूँ॥ जब सुरसा ने किसी उपायसे उनको जाने नहीं दिया, तब हनुमानजी ने कहा कि, तू क्यों देरी करती है? तू मुझको नही खा सकती॥ सुरसा ने कई योजन मुंह फैलाया, तो हनुमानजी ने भी शरीर फैलाया जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा। कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा॥ सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ। तुरत पवनसुत बत्तिस भयऊ॥4॥ सुरसाने अपना मुंह, एक योजनभरमें (चार कोस मे) फैलाया। हनुमानजी ने अपना शरीर, उससे दूना यानी दो योजन विस्तारवाला किया॥ सुरसा ने अपना मुँह सोलह (16) योजनमें फैलाया। हनुमानजीने अपना शरीर तुरंत बत्तीस (32) योजन बड़ा किया॥ सुरसा ने मुंह सौ योजन फैलाया, तो हनुमानजी ने छोटा सा रूप धारण किया जस जस सुरसा बदनु बढ़ावा। तासु दून कपि रूप देखावा॥ सत जोजन तेहिं आनन कीन्हा। अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा॥5॥ सुरसा ने जैसे-जैसे मुख का विस्तार बढ़ाया, जैसा जैसा मुंह फैलाया, हनुमानजी ने वैसे ही अपना स्वरुप उससे दुगना दिखाया॥ जब सुरसा ने अपना मुंह सौ योजन (चार सौ कोस का) में फैलाया, तब हनुमानजी तुरंत बहुत छोटा स्वरुप धारण कर लिया॥ सुरसा को हनुमानजी की शक्ति का पता चला बदन पइठि पुनि बाहेर आवा। मागा बिदा ताहि सिरु नावा॥ मोहि सुरन्ह जेहि लागि पठावा। बुधि बल मरमु तोर मैं पावा॥6॥ छोटा स्वरुप धारण कर हनुमानजी, सुरसाके मुंहमें घुसकर तुरन्त बाहर निकल आए। फिर सुरसा से विदा मांग कर हनुमानजी ने प्रणाम किया॥ उस वक़्त सुरसा ने हनुमानजी से कहा की – हे हनुमान! देवताओंने मुझको जिसके लिए भेजा था, वह तुम्हारे बल और बुद्धि का भेद, मैंने अच्छी तरह पा लिया है॥ 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' शनि गायत्री मंत्र: .-ॐ भग भवाय विद्महे मृत्यु-रूपाय धीमहि तन्नो शौरीहि प्रचोदयात् || -ॐ शनैश्चराय विद्महे छायापुत्राय धीमहि तन्नो मंद: प्रच
Love Prashar
इक दोस्ती ऐसी भी थी ( A Lesson From Riots, Friendship Has No Religion ) I wrote this with lot feelings please take some time out and read it if possible पूरी कहानी अनुशीर्षक मै पढ़े ( Read In Caption ) #Genesis Introduction इस कहानी को जब मैं लिख रहा था तो खुद मेरे जेहन मे कई सवालात थे मै उन दंगो के वक़्त वहा उस जगह पर तो नहीं था परन्तु स