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gumnaam_writer011
हमारा भी एक वक्त... हमारा भी एक दौर आएगा ।। जिस जिस के दिल मे है चाहत मेरे हार जाने की... उनकी गली मोहल्ले मे मेरे नाम का शोर आएगा ।। ©aggarwalvivan #शोर
Anand Tripathi 'रवि'
ज़िन्दगी हर रोज़ कुछ कहती है कभी बुदबुदाते हुए तो कभी चिल्लाते हुए पर अधिकतर दब जाती हैं वो आवाज़ें अन्य शोरों में #शोर
Rashmi singh raghuvanshi "रश्मिमते"
कभी-कभी हम अपने अंदर के शोर को ख़त्म करने के लिए बाहर के शोर का सहारा लेने लगते है। ©rashmi singh raghuvanshi #शोर
Jivesh Upadhyay
वो आऐगी महफिल मे तुम भाभी भाभी का शोर मत मचाना, वो हो जाए हमारी ऐसा उसपर जोर मत चलाना। #शोर
somnath gawade
दिल मे एक दबा-दबासा शोर है चिल्लाने का तो बहुत मन करता है लेकिन लोग क्या कहेंगे ?? इस सवाल ने मूह पर पट्टी बांध रखी है। #शोर
पूर्वार्थ
शोर खामोशियों के सन्नाटे को,चीरता हुआ विकल्प हूं, शांति को तड़पाता,अपने ही दिल का शोर हूं। सो जाए सारी दुनियां,लेकिन मैं जागता हुआ भोर हूं, अपने - आप में मचलता,नहीं जो कभी सोता,मैं वो तोड़ हूं दिलों के तार में तान छेड़ता,अपने ही दिल का शोर हूं। कभी सपनों के पीछे भागता,कभी नदियों सा ख़ामोश हो बहता नहीं जो कभी रुकता,पल - पल जो दिल को छेड़ जाता बसंती हवा सा मतवाला,अपने ही दिल का शोर हूं। जीता हूं सबमें,वो मौन रंग का इंद्र्धनुशी संसार हूं मैं कभी सही तो कभी गलत,इन्सानों में फंसा मोहजाल सा मैं सात सुरों से सज़ा,मनमोहना संगीत हूं मैं,अपने ही दिल का शोर हूं। कभी तो ख़ुद से रूठा,साथ छोड़ने को आतुर अपने ही दिल का द्वंद हूं मैं,कभी प्यार में पड़ा मैं सुख -दुःख का प्रतिबिंब सा मैं,अपने ही दिल शोर हूं। सभी वक्त के साथ,छोड़ देते हैं अपनों का साथ मैं चुप रहता लेकिन,कभी ना तन्हा छोड़ता सच्ची प्रीत और मनमीत सा मैं,दिलों की शोर को सुनता ज़िंदगीभर का साथ निभानेवाला सच्चा हमसफ़र,मित्र और सहयोगी राहगीर सा मैं आत्मा की गहराईयों की आवाज़,अपने ही दिल का शोर हूं हां मैं कभी न चुप रहनेवाला,दिल के शीशे में सच्चा प्रतिबिंब दिखाता मैं,अपने ही दिल का शोर हूं।। ©purvarth #शोर
प्रीति
खेल सब खामोश थे.... पता नहीं शोर कहा हो रहा था..... ©khankhan...... (खनखन...👧) शोर
Narendra Sonkar
कोलाहल बढ़ रहा है;शोर बढ़ रहा है बेवजह ही दुश्मनी का छोर बढ़ रहा है हम जी रहें हैं स्वार्थ के इस दौर में नरेन्द्र, दूषित,मलिन,विकारों का स्कोर बढ़ रहा है `````` नरेन्द्र सोनकर'कुमार सोनकरन'प्रयागराज। ©Narendra Sonkar "शोर"
Raone
शोर अन्तर्मन में शोर बाहर में इस शोर भरी दुनियाँ में ढूंढ बस सुकून रहा कोई भीड़ में खुश हो रहा तो कोई तन्हाई ढूँढ रहा चेहरा खुश दिखे इसलिए बेवजह हँसी का नकाब कर रहा कोई नृत्य में भुला रहा कोई गीत को ज़रिया बना रहा मशरूफ रख सके ख़ुद को इसलिए व्यस्त रहने के बहाने बना रहा कोई नशे में डूब रहा कोई क़लम चलाकर खुशी ढूँढ रहा कैसे भी कर के दिल के धड़कने की दर को बना रहा कोई आँसूओं का दरिया बहा रहा और कोई खुश दिखे इसके लिए जोर के ठहाके लगा रहा इस शोर की दुनियाँ में हर कोई बस सुकून ढूँढ रहा.. इक सुकून ढूँढ रहा..... राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी ©मेरी दुनियाँ मेरी कवितायेँ शोर