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चैनाराम
कभी कभी हम धागे ही इतने कमजोर चुन लेते हैं कि पुरी उम्र ही गांठ बांधने में गुजर जाती है ©चैनाराम चना
चना #शायरी
read moreVijay Kumar उपनाम-"साखी"
थोथा चना बाज रहा अपना ज्ञान बांट रहा न कोई पूँछता उसको न कोई ढूंढता उसको वो चिल्ला-चिल्लाकर, फ़िझुल ही हांफ रहा थोथा चना बाज रहा पानी मे वो नाच रहा बेमतलब वो बोलता, अपनी जिह्वा खोलता, फूटा घड़ा होकर, वो अंधेरा छांट रहा थोथा चना बाज रहा अपनी शेखी बांट रहा बच निकल तू साखी थोथे को न बना साथी अधूरे ज्ञान से बेहतर अज्ञानी रहना अच्छा है थोथा चना होता, बड़ा आत्मघाती जो न बनता, साथ न रखता, थोथे चने की पाती वो फ़लक में होता, सितारे की भांति दिल से विजय थोथा चना
थोथा चना #कविता
read moreDivuu.writes
रहमत ऐसी कर खुदा वो हमसे मिलने आए बादल बरसे जोर जोर और गरम गरम दो चाय आंखों में आंखें उनकी हो और लबों पे हो आए हाय इस सावन मेरे ख्वाबों को भी सच के पर लग जाए ©Divuu.writes #chai गरम गरम दो चाय
#chai गरम गरम दो चाय
read moreAnjali Jain
सच है ये, शराब खरीदने के लिए व्यक्ति खुद जाता है! ......और दूध बेचने वालों को घर-घर जाना पड़ता है! हम सोचें, विचार करें छिद्र कहाँ है; झोल कहाँ है? उस मछली को क्यों नहीं रोक पाते? उस चने को सिर पर क्यों बिठा नहीं पाते??? ©अंजलि जैन #मछली/चना#१०.१०.२० #WatchingSunset
#मछली/चना१०.१०.२० #WatchingSunset
read moreAnjali Jain
एक मछली तालाब गंदा कर देती है! एक अनुशासन हीन व्यक्ति,हर संस्था का अनुशासन भंग कर देता है! एक अव्यवस्थित व्यक्ति, सारी अव्यवस्था फैलाता है! एक हिंसक व्यक्ति, सब तरफ हिंसा फैलाता है! एक लड़ाकू व्यक्ति, सबकी शांति भंग कर देता है! एक हत्यारा, सबमें दहशत जगाता है ............................... अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता! अकेला अनुशासित व्यक्ति, अनुशासन क़ायम नहीं कर सकता! अकेला व्यवस्थित व्यक्ति, व्यवस्था नहीं बना सकता! अकेला अहिंसक व्यक्ति, अहिंसा नहीं जगा पाता!अकेला शांत व्यक्ति, शांति स्थापित नहीं कर सकता! आखिर, ऐसा क्यों??? ©अंजलि जैन #मछली/चना#१०.१०.२० #WatchingSunset
#मछली/चना१०.१०.२० #WatchingSunset
read moreमुंशी पवन कुमार साव "शत्यागाशि"
एक दिन नानी कही कहानी, उसमे थे न राजा-रानी। बहुत ही थी दुख भरी कहानी, रोने को आए आँखों में पानी। एक दिन चना कहा, सुनो भगवान, तुम ही हो सबसे बलवान। जिस रूप में भी, मैं हूँ रहता, सभी कोई मुझे चाव से खाता। इनसे बचने का दो कोई उपाय। तुम ही बताओ क्या नहीं है यह अन्याय? अब तुम ही मेरे प्राण बचाओ। अपनी शरण मे मुझे तुम लाओ। बोले तब हँस कर भगवान। बात सुनो तुम आयुष्मान। जल्दी दूर यहाँ से जाओ। वृथा न मेरा मन ललचाओ। इतने में भागे यजमान। नाक मुड़वाई बचाई जान। शेष हुई चना की राम कहानी। अब उसने ईश्वर भी पहचानी। #चना और भगवान #story