Find the Latest Status about वीथि from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, वीथि.
डॉ वीणा कपूर "वेणु"...
शरद पूर्णिमा अंकित किया प्रतिबिंब तुम्हारा मन दर्पण में कितनी बार। शुभागमन होगा तुम्हारा क्या मेरे अनदेखे द्वार।। तमस वीथियां मन की जला रहीं हैं पावन दीप चांद चकोर के मानस मिलन से प्रेम में आरंभ हुई पीड़ा की रीत। शुभ्र ज्योत्स्ना आएगी यहां करने को मनुहार। शुभागमन होगा तुम्हारा क्या मेरे अनदेखे दवार।। ©Veena Kapoor मन दर्पण तमस वीथियां शुभ्र ज्योत्स्ना मनुहार #sharadpurnima
हिमपुत्री किरन पुरोहित
बृजराजकुंवर की लीला (दोहे) निकले बृज की वीथि में, ज्यों सांवल बृजराज । रीझ गईं बृज गोपियां , देख मधुर सब साज ।। कोई कह मम लाल री , कोई वचन पुनीत । कोई सकुचाती कहे , पूर्व जन्म को मीत ।। पूर्व जन्म की योगिनीं , धर गोपी का वेश। चूम चूम कर नाथ को , देत प्रेम संदेश ।। करो ब्याह हमसे कहें , गोपी करें विहास । रूठे तब गोपाल जी , दौड़े मां के पास ।। मां बृज की सब गोपियां , हमको रहीं सताय। कहती हम उनके पिया , तुमको सास बताय ।। हंसकर मात बोलती , देती पूत उठाय । हाय बावरी गोपियां , उन्हें कौन समझाय ।। कहे किरन ये मोहनी , मोहन रहे बिछाय । हाय नंद के लाल को , कोय न नजर लगाय।। ......................... किरन पुरोहित "हिमपुत्री" mohan ki leela madhuri .................................. विषय....बृजराजकुंवर की लीला विधा....... दोहा बृजराजकुंवर की लीला
Guru
श्री राधा राधा रटौ, त्याग जगत की आस। ब्रज वीथिन विचरत रहौ, कर वृन्दावन वास॥ कर वृन्दावनन वास रसिकजन संगति कीजै। प्रेम पंथ मन ढरौ त्याग विष अमृत पीजै॥ कहैं 'लाल बलबीर' होय आनन्द अगाधा। निश्चै करिके चित्त कहौ श्रीराधा राधा॥ - श्री लाल बलबीर जी, ब्रज बिनोद, वृन्दावन शतक हे मन, इस भौतिक संसार की सभी इच्छाओं को त्यागते हुए श्री राधा राधा का निरंतर जप करो। ब्रज की गलियों में विचरण करो और वृंदावन धाम में निवास करो। वृंदावन में निवास करो और रसिक भक्तों की संगति करो, प्रेम के मार्ग को पूरी निष्ठा से स्वीकार करो, और विष के समान संसारी विषयों का त्याग करते हुए अमृत का पान करो। श्री लाल बीर कहते हैं, "असीम आनन्द प्राप्त करो, बस श्री राधा नाम का अपने ह्रदय से विश्वासपूर्वक जप करो!" श्री #राधा राधा रटौ, त्याग जगत की आस। ब्रज वीथिन विचरत रहौ, कर वृन्दावन वास॥ कर #वृन्दावनन वास रसिकजन संगति कीजै। प्रेम पंथ मन ढरौ त्याग विष
AK__Alfaaz..
जब नदियों ने, पर्वतों से बिछड़ कर, रेत के मैंदानों में, अज्ञात वास ले लिया, और.., बादलों ने, बरसना भूलकर, हवाओं से संधि कर ली, सागरों ने, अपनी हृदय की गहराइयों में, अनेकों प्रश्न गर्भित कर लिये, व.., अपनी अंक सीमाओं को समेट, प्रतीक्षारत हो, क्षितिज पर अपने मिलन को, चिर मौन धारण कर लिया, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #अश्रु_वीथिका जब नदियों ने, पर्वतों से बिछड़ कर, रेत के मैंदानों में, अज्ञात वास ले लिया,
Sarita Shreyasi
मैं संभावना, तुम संकल्प हो, तुम स्वयंसिद्ध,मैं विकल्प हूँ, अबतक हर बात अपनी सिध्द करती आयी हूँ, योग्यता-क्षमता,मैं तो सबका प्रमाण देती आयी हूँ। आदत सी हो गयी है मुझे प्रतीकचिह्न और प्रमाण की, इसलिए तुमसे बारबार प्रमाण मांगती रहती हूँ मैं भी, जब विलुप्त होने लगती हूँ,तुम्हारी प्राथमिकता वीथियों से, विस्मृत हो जाती हूँ,तुम्हारी प्रेम कल्पना,मधुर समृतियों से , तब मैं आश्वासन सम्मान मांगती हूँ, प्रेम का प्रतीक,तुम्हारी निष्ठा का प्रमाण मांगती हूँ। Read caption मैं संभावना, तुम संकल्प हो, तुम स्वयंसिद्ध,मैं विकल्प हूँ, अबतक हर बात अपनी सिध्द करती आयी हूँ, योग्यता-क्षमता,मैं तो सबका प्रमाण देती आयी ह
Duniya_दुनिया
Sunita D Prasad
उल्लास जी की कविताएं उसके होठों का ध्वनित उल्लास श्रृंगारहीन है ! क्या किसी हँसते हुए चेहरे पर बेतरतीबी देखी है ? जैसे कई रातों की अनभिज्ञता और अंधकार में जन्म