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दिनेश कुशभुवनपुरी
गीतिका:– बूंद बादलों से बूँद गिरकर सागरों में जो समायी। मस्त लहरों में बदल कर जा तटों के अंग भायी॥ बूँद जो जाकर छुपी वारीश की गहराइयों में। सीपियों के साथ मिलकर मोतियों की लड़ बनायी॥ प्यास चातक की बड़ी थी आस पहली बूँद की थी। स्वाति की बूँदें गिरी जब प्यास तब उसने बुझायी॥ बर्फ़ का अंबार लगता बूँद बूँदों से मिलें जब। फिर पहाड़ों पर बिखर के, श्वेत चादर सी बिछायी॥ बूँद धरती पर पड़ी जो, ताल नदियां बाग चमके। फिर किसानों की फसल भी, झूमकर खुश लहलहायी॥ ©दिनेश कुशभुवनपुरी #गीतिका #बूंद #बादल #सागर
ASHISH KUMAR YADAV
Alone अकेले आए हो तो अपनी जंग आपको अकेले ही लड़ना होगा जीवन तुम्हारा अपना हैं इसलिये संघर्ष भी तुम को ही करना होगा! ©ASHISH KUMAR YADAV #alone #लाइफ #बूंद #ज्ञान #सागर #मोटिवेसन
Anuj Ray
सागर से छलकी, दो बूंद जल की , खुशियां भरी थीं ,जीवन के पल की । प्रेम की बावरी थी, मन के मिलन की। आशा की किरणें, बिखरी थीं हल्की।।.. सपनों की पूंजी है , ये डोर कल की, इसमें यादें बसी हैं, पहले मिलन की ।। सागर से छलकी, दो बूंद जल की, खुशियां भरी थीं, जीवन के पल की।। ©Anuj Ray #सागर से छलकी, दो बूंद जल की
Rakesh Raman Srivastava
तू प्यार का सागर है, तेरी एक बूंद के प्यासे हम
pramod malakar
बूंद बूंद करके """""""""""""" बूंद बूंद करके जो मिलता है ज्ञान तुम्हें दिल में समेट लिया करो। चांद की रोशनी मिलती है अगर, अमावस्या की रात भी, आंखों में समेट लिया करो। मंद मंद हवाएं बहती है अगर तुम्हारे करीब से, अपनी सांसों में पीरोलिया करो। कहानी किस्मत की ऐसे ही नहीं लिखी जाती, खुशी और गम को चुपचाप पी लिया करो। तुम भी शबनम हो इस कायनात के, मुस्कुराते हुए हर पल जी लिया करो। ख्वाहिशें तो बहुत होगी दिल में , फटे लम्हों को मन के धागों से सी लिया करो । आसमान भी और जगह ढूंढ रहा है , सपनों को दायरे में समेट लिया करो। बूंद बूंद करके जो मिलता है ज्ञान तुम्हें, दिल में समेट लिया करो।। !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! प्रमोद मालाकार की कलम से !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! ©pramod malakar #बूंद बूंद करके
hãmräj jhâ
कांच के बाहर की परत मुझ जैसी है। बूंद जैसी तुम छूकर गुजरती रहती हो। न तुम रुकती हो, न मेरा मन भरता है। - ©hãmräj jhâ बूंद बूंद 😛+ #Twowords