Find the Latest Status about गुप्त डायरी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, गुप्त डायरी.
Arpit Mishra
श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे! सब शोक अपना भूलकर करतल युगल मलने लगे! संसार देखे अब हमारे शत्रु रन में मृत पड़े! करते हुए यह घोषणा हो गए उठकर खड़े!! । ©Arpit Mishra गुप्त
गुप्त #कविता
read morePoetrywithakanksha9
#Pehlealfaaz मेरी डायरी के पन्नों में अक्सर तेरा जिक्र आता है बस यूँ ही तेरी बात करते करते पूरा पन्ना भर जाता है ख्वाबों ख्यालों से उतरकर तु कुछ इस तरह मेरे दिल पर छा जाता है बस यूँ ही तेरी बात करते करते पूरा पन्ना भर जाता है यादों से तेरी ये दिल भी भर आता है बस यूँ ही तेरी बात करते करते पूरा पन्ना भर जाता है मेरी डायरी के पन्नों में अक्सर तेरा जिक्र आता है मेरी डायरी के पन्नों ✍️✍️✍️ शिवम् गुप्त Rachit Kulshrestha रोहित तिवारी ।
मेरी डायरी के पन्नों ✍️✍️✍️ शिवम् गुप्त Rachit Kulshrestha रोहित तिवारी । #Pehlealfaaz
read moreArpit Mishra
उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उसका लगा, मानों हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा । मुख-बाल-रवि-सम लाल होकर ज्वाल सा बोधित हुआ, प्रलयार्थ उनके मिस वहाँ क्या काल ही क्रोधित हुआ ? अथवा अधिक कहना वृथा है, पार्थ का प्रण है यही, साक्षी रहे सुन ये बचन रवि, शशि, अनल, अंबर, मही । सूर्यास्त से पहले न जो मैं कल जयद्रथ-वधकरूँ, तो शपथ करता हूँ स्वयं मैं ही अनल में जल मरूँ । - मैथलीशरण गुप्त ©Arpit Mishra मैथलीशरण गुप्त
मैथलीशरण गुप्त #Poetry
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
White मौन मतदाता, गुप्त मतदान, मनचाहा हो साझा वरदान। शिक्षित वयस्क की बस पहचान, मताधिकार का खूब हो मान। राज आप का,न किसी से रार, ऐसे प्रयोग हों मताधिकार। ©BANDHETIYA OFFICIAL #गुप्त मतदान।
Arpit Mishra
हां , लेखनी ह्रदय पत्र पर लिखनी तुझे है यह कथा , दृगकालिमा में डूबकर तैयार होकर सर्वथा। स्वच्छंदता से कर तुझे करने पड़े प्रस्ताव जो , जाग जाए तेरी नोक से सो चुके है भाव जो ।। । ©Arpit Mishra #standout गुप्त
Krishna Rathod
Secret door वह सच में एक अद्भुत चीज है देख जिसे रूह तडपने लगती है खोलो उसे तों नशा सा कर देता है और ना खोलो तों अधुरा सा लगता है वही है शायद जिसे देखे बिना मौत नही और जिसे कोई देख नही सकता मतलब की हात लगाओ तों पाणी है और पास जाओ तों कुछ भी नही शायद इसी वजह से आज कुछ अधुरा सा लग रहा है शायद ओ चीज मुझे ढूंढनी होगी गुप्त दरवाजा
गुप्त दरवाजा #poem
read moreThanos
चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में, स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में। पुलक प्रकट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से, मानों झीम[1] रहे हैं तरु भी, मन्द पवन के झोंकों से॥ 👉मैथिलीशरण गुप्त मैथिलीशरण गुप्त
मैथिलीशरण गुप्त #uncategorized
read more